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'कहां जाऊं, कैसे उनका पता लगाऊं'... 3 तलाक बैन के बीच बेबस छोड़ रहे शौहर, मुस्लिम महिलाओं की आपबीती

हैदराबाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने हाल ही में ऐलान किया था कि 1 अगस्त को मुस्लिम महिलाओं के अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसी...

हैदराबाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने हाल ही में ऐलान किया था कि 1 अगस्त को मुस्लिम महिलाओं के अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसी दिन ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून पारित हुआ था। तीन तलाक भले ही गैरकानूनी हो, लेकिन इन सबके बीच मुस्लिम महिलाओं की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। उनके शौहर उन्हें बेबसी की हालत में छोड़कर जा रहे हैं। तेलंगाना में कई महिलाएं भारी मानसिक तनाव से जूझ रही हैं। दो साल पहले मुस्लिम महिला (शादी के अधिकारों का संरक्षण) ऐक्ट पास होने के बाद विवादित शादियों के मामले में महिलाओं को और मुसीबत उठानी पड़ रही है। उनके पति बिना तलाक दिए ही उन्हें छोड़ दे रहे हैं। इस वजह से ऐसी महिलाएं ना तो गुजारा भत्ता मांग पा रही हैं, ना ही दूसरी शादी हो रही है। सिर्फ 18 दिन चल सकी शादी हैदराबाद की जकीरा (बदला हुआ नाम) का मामला ही लीजिए। उनकी शादी सिर्फ 18 दिन चल सकी। उनके पति को हत्या के मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद जेल भेज दिया गया। इसके बाद वह हैदराबाद स्थित शाहीन नगर में अपने माता-पिता के घर पर चली गईं। 'जमानत के 25 लाख दिए, तब भी छोड़ा' तभी से जकीरा असमंजस की स्थिति में हैं। वह दोबारा अपने पति के साथ रहने का इंतजार कर रही हैं। हालांकि पति ने जमानत पर छूटने के बाद नई शादी कर ली। रिकॉर्ड के मुताबिक जमानत राशि जकीरा के परिवार ने दी थी। 25 साल का जकीरा कहती हैं, 'हमने उनकी जमानत के लिए 25 लाख रुपये अदा किए। फिर भी वह मुझे छोड़ चुके हैं।' तलाक-गुजारा भत्ता दोनों से शौहर का इनकार जकीरा के नकाब के अंदर ठुकराए जाने का दर्द साफ छलकता है। वह कहती हैं, 'उन्होंने मुझे तलाक या गुजारा भत्ता देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। यही नहीं उन्होंने धमकी दी है कि अगर मैं तलाक पर अड़ी रहती हूं तो वह मेरे बेटे को छीन लेंगे।' सुल्तान शाही इलाके में शाहीन विमिन रिसोर्स ऐंड वेलफेयर असोसिएशन के दफ्तर में अपने इर्द-गिर्द बैठी महिलाओं की तरह जकीरा को भी शांति की तलाश है। उनमें से हर किसी के पास बताने के लिए एक जैसी कहानी है। 'अब मैं कैसे उनका पता लगाऊं' सुल्ताना (बदला हुआ नाम) की पहली शादी 14 साल की उम्र में हुई थी। एक बच्चे की मां बनने के बाद उसके परिवार ने दूसरा शौहर ढूंढ लिया। अब सुल्ताना के दो बच्चे हैं और कोई पति नहीं है। शादी के बाद अपने माता-पिता के साथ रहना कितना मुश्किल है, यह स्वीकार करते हुए वह कहती हैं, 'मेरे दूसरे पति ने अचानक एक दिन मुझे छोड़ने का फैसला किया, क्योंकि वह किसी और से प्यार करते थे। मुझे नहीं पता कि अब मैं कैसे उनका पता लगाऊं।' 70 प्रतिशत मामलों में शौहर ने बीवियों को छोड़ा शाहीन की संस्थापक जमीला निशात कहती हैं, 'जब हम उन लोगों से बात करने की कोशिश करते हैं तो वे कहते हैं कि कानूनी झमेलों से बचने के लिए किसी भी सूरत में तलाक का केस फाइल नहीं करेंगे।' जमीला के पास आने वाले 70 प्रतिशत मामले ऐसे हैं, जिनमें पतियों ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया है। कई मामलों में पति दूसरे देशों के हैं, जो पत्नियों को खराब आर्थिक हालत से जूझने के लिए छोड़ जाते हैं। वक्फ बोर्ड से भत्ते की प्रक्रिया बहुत लंबी निशात कहती हैं, 'हालांकि ऐसे मामलों में वक्फ बोर्ड से भत्ते का प्रावधान है। लेकिन ये प्रक्रिया लंबी है। इसके लिए फैमिली कोर्ट का ऑर्डर लाना पड़ता है, जिसमें एक साल या उससे ज्यादा भी लग सकते हैं। अकसर ऐसे मामलों में महिलाओं को कुछ भी नहीं मिल पाता है।'


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