Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

कर्नाटक के मैसूर में चौंकाने वाले आंकड़े, सीरो सर्वे में 50% बच्चे कोरोना पॉजिटिव

मैसूर बच्चों में कोवैक्सिन वैक्सीनेशन को लेकर कर्नाटक के मैसूर में किए गए सीरो सर्वे और सामाजिक, भावनात्मक और पोषण संबंधी विकारों का हवाल...

मैसूर बच्चों में कोवैक्सिन वैक्सीनेशन को लेकर कर्नाटक के मैसूर में किए गए सीरो सर्वे और सामाजिक, भावनात्मक और पोषण संबंधी विकारों का हवाला देते हुए विशेषज्ञों ने स्कूलों में ऑन-कैंपस कक्षाओं को फिर से शुरू करने पर जोर दिया है। सरकार ने पिछले साल मार्च में महामारी के बाद स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था। तब से लेकर स्कूल लगातार बंद चल रहे हैं और ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हो रही हैं। 50 फीसदी बच्चे मिले संक्रमित मैसूर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट के बाल रोग विभाग के असोसिएट प्रफेसर डॉ प्रदीप एन ने कहा कि सीरो-निगरानी अध्ययन से पता चला है कि 50 फीसदी से अधिक बच्चे पहले ही वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। एंटीबॉटी टेस्ट में आया सामने डॉ. प्रदीप ने कहा, 'हमारे पिडिआट्रिक कोवैक्सिन ट्रायल किया। हमने 200 से अधिक बच्चों पर स्क्रीनिंग की। उनका आईजीजी एंटीबॉडी परीक्षण किया। उनमें से केवल 88 ही वैक्सीन लेने के योग्य थे क्योंकि बाकी में एंटीबॉडी पॉजिटिव आई। हैरानी की बात यह है कि किसी भी पॉजिटिव बच्चे में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखे। 6 साल तक के बच्चों में ज्यादा पॉजिटिविटी प्रफेसर ने कहा कि छह साल तक के बच्चों में पॉजिटिविटी दर अधिक है। यह शून्य से छह साल के बच्चों में लगभग 60 फीसदी, छह से 12 साल के बच्चों में 50 फीसदी और 12 से 18 साल के बच्चों में 40 फीसद मिली। उन्होंने कहा कि डेटा से पता चलता है कि अधिकांश बच्चे बिना लक्षणों वाले थे या उनमें हल्के लक्षण थे। स्कूलों को फिर से खोलने पर जोर स्कूलों को फिर से खोलने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि न केवल बाल श्रम, बाल विवाह और कुपोषण में वृद्धि हुई है, बल्कि बच्चों को अवसाद, गुस्सा नखरे और अन्य व्यवहार संबंधी विकारों जैसे मनोवैज्ञानिक मुद्दों का भी सामना करना पड़ रहा है, जो उन्हें तनाव जैसी मानसिक बीमारियों की ओर ले जाते हैं। इन बीमारियों का भविष्य में खतरा डॉक्टर ने बताया कि इसके अलावा, मोटापा, अधिक वजन और कुपोषण जैसे पोषण संबंधी विकार बढ़ रहे हैं, और वे वयस्क होने पर मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी से प्रभावित होंगे। हालांकि, हमें उच्च जोखिम वाले बच्चों में कुछ सावधानी बरतने की ज़रूरत है जैसे कि जन्मजात हृदय रोग, पुरानी अस्थमा, पुरानी गुर्दे की बीमारी और अन्य पहले से हुई बीमारियां बच्चों में 1 फीसदी से कम में देखी जाती हैं। प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले अश्विनी रंजन ने कहा कि स्कूलों को फिर से शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीजें कैसे चलती हैं, इसके आधार पर अन्य जगहों पर स्कूल फिर से खोले जा सकते हैं। यह एक वास्तविक तस्वीर देगा। सरकार को बड़े पैमाने पर माता-पिता और समुदाय को साथ लेकर निर्णय लेना चाहिए।


from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/3CPmfQQ
https://ift.tt/3CQwNPS

No comments