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राजस्थान में कोयला सप्लाई ना होने से गहराया बिजली संकट, 7 साल में पहली बार अंधेरे में डूबे कई कस्बे- गांव

जयपुर प्रदेश के ज्यादात्तर जिले में जहां बारिश ना होने के चलते लोग परेशान है। वहीं इसी बीच एक ओर संकट ने प्रदेशवासियों की नींद उड़ा रखी ह...

जयपुर प्रदेश के ज्यादात्तर जिले में जहां बारिश ना होने के चलते लोग परेशान है। वहीं इसी बीच एक ओर संकट ने प्रदेशवासियों की नींद उड़ा रखी है। दरअसल राजस्थान में बिजली संकट गहराता जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार कोयले की कमी से चलते पूर्ण रूप से बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है। वहीं इसी के चलते अब स्थिति यह आ गई है कि प्रदेश के 4 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन प्रभावित हो गया है। वहीं इसी बजह से जिला मुख्यालयोंं को छोड़कर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में अघोषित कटौती लगातार जारी है। कई जिलों के गांव और छोटे कस्बों में 12 घंटे से भी ज्यादा बिजली की कटौती हो रही है। ऊर्जा मंत्री कल्ला ने संभाली कमान, अफसरों को लगाई डांट फटकार प्रदेश में बिजली की लगातार कटौती और घटती उत्पादन क्षमता के बाद अब ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला को कमान संभालनी ली है। मंत्री कल्ला और ऊर्जा सचिव दिनेश कुमार शनिवार यानी आज दिल्ली जाएंगे। साथ ही वहां कोयला मंत्रालय के अफसरों के साथ मामला सुलझाएंगे। इससे पहले उन्होंने बीकानेर से वर्चुअल माध्यम से अफसरों की मीटिंग ली थी। इस दौरान मंत्री ने अफसरों पर नाराजगी जताते हुए हालातों को सुधारने की चेतावनी दी थी। बिजली उत्पादन कंपनियों को चुकाना है 1800 करोड़ दरअसल पता चला है कि इस मामले में कोयला मंत्री से राजस्थान के अधिकारियों की बात भी हुई है। मुख्य सचिव भी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जानकारी यह भी मिली है कि प्रदेश के तीनों डिस्कॉम जयपुर, अजमेर और जोधपुर कोल इंडिया और पीकेसीएल से कोयला तो ले रहे हैं। लेकिन पूरा भुगतान नहीं कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार विद्युत उत्पादन निगम को दोनों कंपनियां को 1800 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। बिजली की खपत बढ़ने से भी गहराया संकट इधर यह भी जानकारी मिली है कि राजस्थान में बिजली खपत भी बढ़ गई है। पिछले वर्षों के रिकाॅर्ड को तोड़़ते हुए बिजली की खपत और अधिकतम मांग अब तक 3107 लाख यूनिट प्रतिदिन और 14690 मेगावाट दर्ज की गई है। पिछले तीन दिन में बिजली डिमांड करीब 355 लाख यूनिट तक बढ़ गई। वहीं गत वर्ष के मुकाबले करीब 700 लाख यूनिट प्रतिदिन बढ गई है। डिमांड बढ़ने और बिजली उत्पादन में कमी के कारण लोड डिस्पेच सेंटर से ग्रामीण इलाकों में कटौती के लिए 220 केवी जीएसएस पर मैसेज दिए जा रहे है। वहीं प्रदेश के ग्रामीण इलाकों और कस्बों में अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है। 4 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन प्रभावित विद्युत उत्पादन ईकाइयों में कोयला की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं करने से 2500 मेगावाट का विद्युत उत्पादन नहीं हो पा रहा है। राज्य में कालीसिंध और सूरतगढ़ थर्मल प्लांट की सभी यूनिट (सब क्रिटिकल) बंद होने के बाद 4 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन प्रभावित हो गया। मंत्री कल्ला की ओर ने ली गई समीक्षा बैठक में यह बात भी सामने आई है। बैठक के दौरान ऊर्जा विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि सामान्य दिनों में विद्युत एक्सचेंज में बिजली खरीद की औसत दर 3-4 रूपये प्रति यूनिट रहती है, जो कि वर्तमान में बढकर 17-18 रूपये प्रति यूनिट तक पहुंंच गई है। बिजली की बढी हुई मांग को पूरा करने के लिए प्रचलित महंगी दरों पर भी बिजली एक्सचेंज से अधिकतम बिजली खरीदने के प्रयास किये जा रहे है, लेकिन बिजली की खपत बढने के कारण एक्सचेन्ज से भी पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल पा रही है।


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