पटना: पूर्व मुख्यमंत्री और हम (एस) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों को उचित प्रत...

पटना: पूर्व मुख्यमंत्री और हम (एस) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों को उचित प्रतिनिधित्व देने में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्तक्षेप की मांग की। जीतन राम मांझी की मांग रविवार को एक ट्वीट में मांझी ने कहा 'भारत को सुप्रीम कोर्ट में एसटी जजों की जरूरत है। हालांकि, कॉलेजियम सिस्टम उनके लिए एक निवारक के रूप में काम कर रहा है। मैं राष्ट्रपति से अनुरोध करता हूं कि उन्हें शीर्ष अदालत में उचित प्रतिनिधित्व दें।' हालांकि, पूर्व सीएम ने एसटी लोगों के राज्यपाल, सीएम, शीर्ष अधिकारी, डॉक्टर और इंजीनियर बनने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, "यह खुशी की बात है कि उन्होंने अन्य क्षेत्रों में शीर्ष स्थान हासिल किया है।" मांझी खुद मुसहर समुदाय से आते हैं, जो राज्य में महादलित जाति में सबसे पिछड़ा है। हाल ही 9 नामों की सिफारिश कॉलेजियम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए नौ लोगों के नामों की सिफारिश के कुछ ही दिनों बाद मांझी की यह मांग आई है। इनमें आठ उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उनमें से तीन महिला न्यायाधीश हैं-जस्टिस हेमा कोहली, बीवी नागरत्ना और बेला त्रिवेदी। पटना हाई कोर्ट के वकील राजीव रंजन कुमार पांडे ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिक्त पदों को भरने की सिफारिश की गई है।" हालांकि, उन्होंने कहा कि सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि केंद्र नामों को मंजूरी देने में कितना समय लेता है। कॉलेजियम ने 17 अगस्त को अपनी सिफारिश भेजी है। केंद्र पहले कॉलेजियम सिस्टम के जरिए जजों की नियुक्ति के पक्ष में नहीं था।
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