Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

Bihar News : बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के पास बना डाली चार मंजिला इमारत, अदालत ने कहा- कोरोना काल में इतनी तेजी! तोड़ो बिल्डिंग को

पटना: पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन से सटे राज्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से वित्त पोषित चार मंजिला इमारत...

पटना: पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन से सटे राज्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से वित्त पोषित चार मंजिला इमारत को एक महीने के भीतर गिराने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने 4:1 के फैसले में इस निर्माण को बिहार बिल्डिंग बायलॉज, 2014 के अनुसार अवैध माना है। अदालत ने राज्य सरकार को उन सरकारी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने के लिए एक जांच आयोग का गठन करने का भी निर्देश दिया, जिन्होंने अवैध निर्माण की अनुमति दी थी। इस इमारत को बनाना जनता के 14 करोड़ रुपयों की बर्बादी माना गया है। कोरोना काल में इतनी तेजी- पटना हाईकोर्ट भवन का निर्माण बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड की तरफ से बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए 'मुसाफिरखाना' के रूप में उपयोग करने के लिए किया जा रहा था । कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यदि भवन निर्माण विभाग दिए गए समय के भीतर ऐसा करने में विफल रहता है तो पटना नगर निगम इसे तुरंत ध्वस्त कर देगा। पटना हाईकोर्ट ने सरकार की खिंचाई भी की कि कैसे यह इमारत कोरोना महामारी के दौरान जल्दबाजी में बन गई जब कहीं और कोई काम नहीं हो रहा था। 14 मार्च को हाईकोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह, विकास जैन, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, राजेंद्र कुमार मिश्रा और चक्रधारी शरण सिंह की संविधान पीठ ने इस साल 1 मार्च को मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। वरिष्ठ वकील राजेंद्र नारायण को न्याय मित्र नियुक्त किया गया था, जबकि महाधिवक्ता ललित किशोर पेश हुए थे। वरिष्ठ वकील पीके शाही, तेज बहादुर और मृगंक मौली ने वक्फ बोर्ड, भवन निर्माण निगम और उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व किया। प्रसून सिन्हा ने वक्फ एस्टेट की प्रबंध समिति के लिए व्यक्तिगत रूप से नगर निगम और खुर्शीद आलम का प्रतिनिधित्व किया। खंडपीठ ने दिया इमारत गिराने का आदेशतीन न्यायाधीशों ने निर्माण को पूरी तरह से ध्वस्त करने के लिए न्यायमूर्ति जैन के प्रमुख फैसले पर सहमति व्यक्त की, यह देखते हुए कि यह अवैध रूप से उपनियमों का उल्लंघन करके बनाया गया था। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने एक असहमतिपूर्ण निर्णय दिया कि इमारत के केवल उस हिस्से को ध्वस्त किया जाए जो अनियमित पाया गया था। न्यायमूर्ति चक्रधारी सिंह ने अपने हिस्से के आदेश में जांच आयोग गठित करने का निर्देश दिया। इसे बिल्डिंग बायलॉज नंबर 21 का पूर्ण उल्लंघन माना गया जिसमें लिखा है कि राज्यपाल के घर, राज्य सचिवालय, विधानसभा, उच्च न्यायालय और अन्य की सीमा से 200 मीटर के दायरे में 10 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले किसी भी भवन की अनुमति नहीं दी जाएगी।


from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/3jjMqGo
https://ift.tt/2WK412y

No comments