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अमित ठाकरे, बीवाई विजयेंद्र...पिता की जगह लेने को तैयार ये नेता पुत्र

बीवाई विजयेंद्र को कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा है। वह येदियुरप्पा के छोटे बेटे हैं, इस वक्त ...

बीवाई विजयेंद्र को कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा है। वह येदियुरप्पा के छोटे बेटे हैं, इस वक्त पार्टी की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष भी हैं। माना जाता है कि उन्हें कर्नाटक की राजनीति में आगे बढ़ाए जाने के वादे पर ही येदियुरप्पा सीएम पद से हटने को राजी हुए। उधर महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे के पुत्र अमित ठाकरे के लिए भी बड़ी भूमिका तैयार की जा रही है। दोनों के बारे में बता रहे हैं नरेन्द्र नाथ...

Indian Politics: अक्सर यह देखने को मिलता है कि किसी बड़े नेता का बेटा भी राजनीति को ही अपना करियर बनाता है। आज भी यहां हम दो ऐसे युवाओं की बात कर रहे हैं जो राजनीति में अपने पिता की जगह लेने के लिए तैयार हैं।


अमित ठाकरे, बीवाई विजयेंद्र...पिता की जगह लेने को तैयार ये नेता पुत्र

बीवाई विजयेंद्र को कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा है। वह येदियुरप्पा के छोटे बेटे हैं, इस वक्त पार्टी की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष भी हैं। माना जाता है कि उन्हें कर्नाटक की राजनीति में आगे बढ़ाए जाने के वादे पर ही येदियुरप्पा सीएम पद से हटने को राजी हुए। उधर महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे के पुत्र अमित ठाकरे के लिए भी बड़ी भूमिका तैयार की जा रही है। दोनों के बारे में बता रहे हैं

नरेन्द्र नाथ...



महाराष्ट्र का नवनिर्माण करेंगे अमित
महाराष्ट्र का नवनिर्माण करेंगे अमित

देश के अग्रणी सियासी परिवारों में एक- ठाकरे परिवार के एक और सदस्य अमित ठाकरे आने वाले दिनों में राजनीति में बड़ी भूमिका में देखे जा सकते हैं। वह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के संस्थापक राज ठाकरे के बेटे हैं। माना जा रहा है कि अगले साल महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनावों में वह अपने पिता की पार्टी का काम संभालेंगे। अमित ठाकरे नासिक में पार्टी को पुरानी साख वापस दिलाने के लिए अभी से मैदान में उतर चुके हैं। नासिक एमएनएस की जन्मस्थली रहा है। हालांकि अमित ठाकरे पार्टी की औपचारिक सदस्यता पिछले साल ही ले चुके हैं, लेकिन अब तक सक्रिय तौर पर सामने नहीं आए थे। वैसे पिछले दिनों उन्होंने छात्रों और आंगनबाड़ी महिलाओं की समस्याओं को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे को एक पत्र भी लिखा था। इसके बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे को एक और पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अभिभावकों को फीस के लिए परेशान करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। इसके बाद से ही संकेत मिलने लगा कि अब वह पूरी सक्रियता से मैदान में उतरने वाले हैं। अपने पिता की तरह ही अमित भी स्केच बनाते हैं।

बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे कभी उनके सबसे करीबी माने जाते थे और यह भी कहा गया था कि वह उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं। लेकिन अंतत: बाला साहब ने बेटे उद्धव को ही अपने उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित किया। तब राज ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई। उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे भी राजनीति में पहले ही आ चुके हैं और अभी वह महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं। दरअसल अमित ठाकरे को उतारने के पीछे राज ठाकरे की मंशा आदित्य ठाकरे को काउंटर करने की ही दिख रही है। हाल के दिनों में राज्य में आदित्य नई पीढ़ी से अग्रणी नेताओं में निकले हैं और लगातार सक्रिय भी हैं। यही कारण है कि अमित अधिकतर युवाओं से जुड़े मसले ही उठा रहे हैं। पिछले कुछ सालों से राज ठाकरे ने अपनी हर महत्वपूर्ण सभा और बैठक में अमित को अपने साथ रखा। 27 साल के अमित ठाकरे ने रामनिरंजन आनंदीलाल पोद्दार कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकनॉमिक्स से पढ़ाई की है। उनकी शादी भी दो साल पहले 2019 हुई थी जिसमें देश की तमाम चर्चित हस्तियां पहुंची थीं। उन्होंने मिताली बोरुडे से शादी की है, जो देश के बड़े सर्जन संजय बोरुडे की बेटी हैं।



सीएम पद पर है विजयेंद्र की नजर
सीएम पद पर है विजयेंद्र की नजर

कर्नाटक बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन के बाद से पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा और उनके परिवार के भविष्य के बारे में बातें होने लगी हैं। अभी भी येदियुरप्पा परिवार का मानना है कि 2023 में वहां होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके परिवार की अहम भूमिका रहेगी। इसी आकलन के बीच उनके छोटे बेटे बीवाई विजयेंद्र सुर्खियों में हैं। पिछले साल ही बीवाई विजयेंद्र को प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, तभी से इस बारे में चर्चा होने लगी थी। पिछले कुछ दिनों से येदियुरप्पा इसी कारण विवादों में भी थे। असंतुष्ट नेताओं ने येदियुरप्पा पर वंशवाद का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह अपने बेटे को प्रमोट कर रहे हैं। येदियुरप्पा के बड़े बेटे बीवाई राघवेंद्र अभी राज्य के शिमोगा से लोकसभा सांसद हैं। बीवाई विजयेंद्र अपने संक्षिप्त राजनीतिक सफर में कई बार विवादों में भी फंस चुके हैं, लेकिन उनके पिता उनके साथ हमेशा खड़े रहे। बीएस येदियुरप्पा ने तब कहा था कि उनके बेटे के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप में अगर रत्ती भर भी सचाई है, तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। पिछले कुछ दिनों से उन्हें राज्य में सबसे ताकतवर नेता माना जाने लगा था।

अपने ऊपर लगने वाले आरोपों से प्रभावित हुए बगैर 45 साल के विजयेंद्र राज्य में अपना रसूख बढ़ाते रहे। लॉ से ग्रेजुएट करने वाले विजयेंद्र के बारे में कहा जाता है कि वह काफी महत्वाकांक्षी हैं और राज्य का शीर्ष पद पाना उनका सपना है। इसी कारण वह नई सरकार में खुद के लिए डेप्युटी सीएम पद की मांग रहे थे, लेकिन लिंगायत समुदाय से ही नया सीएम बनने के बाद उनका दांव अभी चलता नहीं दिख रहा है। विजयेंद्र ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 2009 में बीजेपी युवा मोर्चा के साथ की थी। जब उनके पिता करप्शन के केस में फंसे थे, जिस वजह से उन्हें पद से त्यागपत्र भी देना पड़ा था, तब उन्होंने ही कानूनी रूप से पिता के लिए लड़ाई लड़ी थी। 2018 विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा, मगर तब पार्टी ने नहीं दिया। जेडीएस-कांग्रेस सरकार गिराने में भी उनकी अहम भूमिका मानी गई थी।





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