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काबुल में भारतीय का दर्द- 'आंखों के सामने एक देश को बिखरते देखा, अब घर वापसी के घंटे गिन रहा'

कोलकाता अफगानिस्तान के एनजीओ में काम करने वाले कोलकाता निवासी एक युवक काबुल इंटरनैशनल एयरपोर्ट का वह दृश्य भूल नहीं पाते हैं। सोमवार को द...

कोलकाता अफगानिस्तान के एनजीओ में काम करने वाले कोलकाता निवासी एक युवक काबुल इंटरनैशनल एयरपोर्ट का वह दृश्य भूल नहीं पाते हैं। सोमवार को देश छोड़ने के लिए बेसब्र हजारों की तादाद में पुरुष, महिलाएं और बच्चे रनवे की ओर भाग रहे थे। एयरपोर्ट पर मची भगदड़ को काबू करने के लिए फायरिंग में कई लोगों की जान चली गई। सुरक्षा कारणों से इस युवक ने अपना छापने से इनकार किया है। युवक ने बताया कि वह सोमवार को कमर्शल फ्लाइट से काबुल छोड़ने वाले थे। वह बताते हैं, 'सोमवार सुबह करीब साढ़े सात बजे जब मैं एयरपोर्ट पहुंचा तो वहां लगभग 8000 से 10,000 लोग इकट्ठा थे जो देश छोड़ने के लिए बेताब थे। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग की गई। इससे हर तरफ अफरा-तफरी मच गई और हमें तुरंत वहां से जाने को कहा गया। दो घंटे के हंगामे के बाद मुझे मजबूरन वापस आना पड़ा।' पढ़ें: विदेश मंत्रालय से लेकर सीएम ऑफिस तक मदद की गुहार अब यह युवक काबुल में अपने एक दोस्त के घर में ठहरा हुआ है। काबुल से सारी कमर्शल फ्लाइट बंद होने के बाद युवक ने भारत में रह रहे अपने दोस्तों को, काबुल के साथियों को वॉइस मेसेज भेजा, भारतीय दूतावास में मेसेज और मेल किया। विदेश मंत्रालय से लेकर बंगाल सीएम ऑफिस तक में मदद की गुहार लगाई। 'रातोंरात जिंदगी बदल गई'काबुल में फंसे एनजीओ वर्कर बताते हैं, 'यह दर्दनाक और हृदयविदारक था, एक देश मेरी आंखों के सामने बिखर रहा था। किसी को आइडिया नहीं था कि तालिबान इतनी जल्दी काबुल में घुसपैठ कर लेगा। हमें बताया गया था कि जब तक अमेरिकी सेना यहां है, स्थिति नियंत्रण में होगी लेकिन रातोंरात लोगों की जिंदगी बदल गई।' पढ़ें: 'बेचैनी में गुजरी रात'युवक ने बताया, 'रविवार को मैंने अपने सहयोगी के साथ रहने का फैसला किया क्योंकि मेरा अपार्टमेंट प्रेजिडेंशल पैलेस के नजदीक था और उस लिहाज से वहां रहना मेरे लिए सुरक्षित नहीं था।' कोलकाता निवासी बताते हैं, 'वह रात बेचैनी में गुजरी। सोमवार तक तालिबान ने पूरे देश को कंट्रोल में ले लिया था और एयरपोर्ट के रास्ते में कई चेकपॉइंट बनाए गए थे। हालांकि उन्होंने मेरे डॉक्युमेंट देखे और मुझे जाने दिया। मैंने अफगानी ड्रेस पहनी हुई थी।' दूतावास के मेसेज के लिए हर वक्त मोबाइल पर नजर इस युवक ने बताया कि कुछ वक्त पहले तक उनका अचानक से अफगानिस्तान छोड़ने का कोई प्लान नहीं था लेकिन अब भारतीय दूतावास के मेसेज के इंतजार में हर वक्त मोबाइल चेक करते हैं। उन्होंने बताया, 'यहां इतनी अनिश्चितता है कि मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। सोमवार रात मुझे दूतावास से मेसेज आया था कि वे काबुल मे फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए तैयारी कर रहे हैं और हमें वेट करने को कहा। उन्होंने हमें घर से निकलने के लिए भी मना किया।' 'घर लौटने के इंतजार में हूं' युवक ने बताया, 'उन्होंने हमसे कहा कि तालिबान भारतीयों पर हमला नहीं करेगा लेकिन हम यहां रहकर और खतरा मोल नहीं ले सकते। यहां स्थिति अस्थिर है। मैं अफगानिस्तान छोड़ने और घर जाने के लिए घंटे गिन रहा हूं।'


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