Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

बेटा हो तो ऐसा! JEE Main में 300 में 296 नंबर... कोविड से दम तोड़ रहे पिता से किया वादा निभाया

बेंगलुरु डॉ. बालाजी प्रसाद पेशे से एक नेफ्रोलॉजिस्ट थे। पिछले साल 5 दिसंबर को कोविड -19 से उनकी मौत हो गई थी। मरने से पहले इन कोरोना वारि...

बेंगलुरु डॉ. बालाजी प्रसाद पेशे से एक नेफ्रोलॉजिस्ट थे। पिछले साल 5 दिसंबर को कोविड -19 से उनकी मौत हो गई थी। मरने से पहले इन कोरोना वारिअर ने अपने दोनों बेटों से एक वादा लिया था। यह था कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, वे अपनी पढ़ाई ब्रेक नहीं करेंगे। वे कड़ी मेहनत करेंगे और कोई परीक्षा नहीं छोड़ेंगे। पिता से किए वादे के अनुरूप उनके बेटे ऋषित बीपी और निर्यान बीपी पढ़ाई में जुटे रहे। पिता की मौत का सदमा था लेकिन वह अपने लक्ष्य पर अडिग बने रहे। पिता की मौत के समय ह्रषित 12वीं और निर्यान 10वीं कक्षा में था। परिवार में फिर जगी उम्मीद ऋषित ने 12 की पढ़ाई के साथ ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन भी दिया था। उन्होंने अपने पिता को 300 में से 296 अंक लाकर गौरवान्वित किया। ह्रषित को गणित और रसायन विज्ञान में 100 और भौतिकी में 96 अंक मिले हैं। उनकी सफलता ने उनके परिवार को पिछले साल मिली सभी निराशाओं के बीच आशा की एक नई किरण दी है। कोविड पॉजिटिव हो गए थे पिता कर्नाटक के बेंगलुरु में रहने वाले 54 वर्षीय डॉ. बालाजी ने शहर के पांच अस्पतालों में किडनी के रोगियों का इलाज किया था। वह एक अग्रिम पंक्ति के कोविड -19 योद्धा थे। ड्यूटी के दौरान ही वह कोविड पॉजिटिव हो गए थे। तीन महीने बाद पिता की हो गई थी मौत डॉ. बालाजी की 19 सितंबर को कोविड वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उसके लगभग तीन महीने बाद, डॉ प्रसाद की 5 दिसंबर को चेन्नै के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई। उनके परिवार में 80 वर्षीय मां, पत्नी हेमाली बी प्रसाद और दो बेटे हैं। पिता को बताया रोल मॉडल ऋषित ने बताया, 'मैंने अपने पिता से वादा किया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं कोई परीक्षा नहीं छोड़ूंगा। वह मेरे रोल मॉडल हैं और मेरे परिणामों के पीछे मुख्य कारण मेरे पिता ही हैं।' ऋषित ने कहा कि अपने पिता की मृत्यु के तुरंत बाद, उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए संघर्ष किया, लेकिन मेरी मां और भाई ने भी मुझे प्रेरित किया। जब भी मैं कमी महसूस करता, वे मुझे सलाह देते और मेरा ध्यान केंद्रित करते।' स्कूल की मजबूत नींव को दिया श्रेय ऋषित ने अपने हाई स्कोर का श्रेय अपने अल्मा मेटर बिशप कॉटन बॉयज स्कूल और नेहरू स्मारक विद्यालय में रखी मजबूत नींव को दिया। उसने कहा महामारी से पीड़ित छात्रों को उनकी सलाह है कि उसी ऊर्जा के साथ लगातार काम करें, ध्यान केंद्रित करें और पिछली गलतियों को सुधारें। पिता को गर्व महसूस करना है मकसद हेमाली ने कहा, 'अकादमिक मदद से ज्यादा, मेरे बच्चों को उनके शिक्षकों से मजबूत नैतिक समर्थन मिला।' ऋषित के रिजल्ट से उनके परिवार में पॉजिटिविटी आई है। मां ने कहा, 'मेरे बेटे ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। वह यह सुनिश्चित करना चाहता था कि उसके पिता को उस पर गर्व हो, चाहे वह कहीं भी हों।' पिता से रोज वीडियो कॉल पर करते थे बात यहां तक कि जब उनके पति अस्पताल में भर्ती थे, तब भी उन्होंने अपने बच्चों की शैक्षणिक परफॉर्मेंस के बारे में पूछा। हेमाली ने कहा, 'मेरे दोनों बच्चे उन्हें रोज वीडियो कॉल करते थे। उन्होंने अपने पिता के उत्साह को ऊंचा रखने के लिए वीडियो भी रेकॉर्ड किए।' ऋषित अब डॉक्टर बनने के अपने सपने की दिशा में काम कर रहे हैं।


from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/2VA8xQI
https://ift.tt/3yJmlH6

No comments