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OBC Reservation : आरक्षण की सियासत में 'मंडल पार्ट 2 से' भेंट कीजिए! मोदी-नीतीश दोनों चलते जा रहे अपने दांव

पटना: ये तो शुरू से कहा जाता है कि केंद्र की सरकार का रास्ता बिहार और यूपी से होकर गुजरता है। जाहिर है कि जब केंद्र कोई योजना लॉन्च करे त...

पटना: ये तो शुरू से कहा जाता है कि केंद्र की सरकार का रास्ता बिहार और यूपी से होकर गुजरता है। जाहिर है कि जब केंद्र कोई योजना लॉन्च करे तो बिहार में उसको लेकर सबसे पहले न्यूटन का तीसरा नियम अप्लाई होते दिखता है यानी क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया। OBC को लुभाने के लिए आप आरक्षण की नई पॉलिटिक्स को भी इसी का हिस्सा मान सकते हैं। लेकिन अभी ही क्यों, जबकि न तो केंद्र में और न ही बिहार में चुनाव है। समझने के लिए पहले दांव देखिए। मेडिकल परीक्षा में मोदी सरकार का OBC को आरक्षण 29 जुलाई को केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय शिक्षा कोटा के तहत मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा और दंत पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘हमारी सरकार ने अखिल भारतीय चिकित्सा शिक्षा कोटे के तहत अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के ताजा शैक्षणिक सत्र में ओबीसी को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला किया है।’ इसके बाद नीतीश की OBC को लुभाने की कोशिश केंद्र की इस घोषणा के ठीक बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को लुभाने के लिए अब ढाई लाख की पारिवारिक आय वाले उन सभी छात्रों को प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति (Scholarship) का लाभ देने का फैसला किया है, जो प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना में आते हैं। अब तक प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) ऐसे परिवार के बच्चों को दी जाती थी, जिनकी सालाना आय 1.5 लाख रुपये होती थी। बिहार सरकार ने पारिवारिक आय के दायरे को बढ़ाकर अब 2.5 लाख रुपये कर दिया गया है। मंत्रिमंडल ने पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर डेढ़ लाख रुपये के बदले ढाई लाख रुपये वार्षिक पुनर्निर्धारित करने को मंजूरी दे दी। बिहार के OBC वोट बैंक को समझिएइस पूरी राजनीति को समझने के लिए पहले आपको वोट बैंक का समीकरण समझना होगा। बिहार में OBC में करीब 33 जातियां आती हैं। इनमें यादव, कुर्मी, कुशवाहा (कोईरी), बनिया और सुनार शामिल हैं। ' बिहार की आधी जनसंख्या OBC की' अगर आंकड़ों को देखें तो NSSO यानी नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन के 2020 के आसपास एक अनुमान के मुताबिक बिहार की करीब-करीब आधी जनसंख्या OBC की है। इन्हीं में से यादव और मुसलमानों को मिलाकर लालू ने MY समीकरण तैयार किया था। लालू का ये जिन्न करीब डेढ़ दशक तक उन्हें सत्ता पर काबिज रखने में मददगार साबित हुआ। क्या ये मंडल पार्ट 2 का इशारा? अब सवाल ये कि क्या ये मंडल पार्ट 2 का इशारा है? कायदे से देखें तो केंद्र के मेडिकल में OBC को 27% और EWS यानि एक तरह से गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण इसी की ओर संकेत कर रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि नीतीश ने OBC छात्रवृति का पैमाना बदलकर कोई नई चाल चली है। देखिए कैसे
  • मार्च, 2017- नीतीश सरकार ने राज्य में 11वीं और 12वीं के ओबीसी- ईबीसी छात्र-छात्राओं को सालाना 2000 रुपए छात्रवृत्ति का ऐलान किया।
  • जनवरी, 2020- नीतीश सरकार ने अपनी कैबिनेट की बैठक में 2018 की मुख्यमंत्री उद्यमी योजना में OBC जातियों के लिए भी दरवाजे खोल दिए। इसके तहत लघु और मध्यम उद्योग लगाने के लिए युवाओं को दस लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। इसमें पांच लाख रुपये सब्सिडी के रूप में होते हैं, शेष पांच लाख ब्याज मुक्त कर्ज के रूप में।
यानी धीरे-धीरे आरक्षण का स्वरूप बदलता जा रहा है। अब दायरे में वो जातियां भी हैं जो या तो बड़ा वोट बैंक हैं या फिर सरकार से उपेक्षित होकर नाराज हो चुकी हैं। ऐसे में केंद्र हो या बिहार सरकार, इन्हें बखूबी पता है कि 'सब दिन होत न एक समाना' यानि सारे दिन एक ही ढर्रे पर सियासत नहीं की जा सकती। उसे वोट बैंक के हिसाब से ढालना एक राजनीतिक मजबूरी है। लेकिन एक बार में ढालने की कोशिश सियासी खुदकुशी को भी न्योता दे सकती है। इसीलिए ये सियासी दांव ठहर-ठहर कर चले जा रहे हैं। कितना नफा, कितना नुकसान? अब ये कहना तो बड़ा मुश्किल है कि OBC पर दांव लगाने से कितना फायदा होगा और कितना नुकसान। क्योंकि एक बात तो तय मानिए कि जब लोगों के लिए आरक्षण नई बात थी तो इसके प्रति आकर्षण या गुस्सा भी उतना ही ज्यादा था। लेकिन अब वोटर भी इससे जुड़ी सियासत को तराजू में तौलने के बाद ही कोई फैसला करता है। इसके लिए वो अब तक के आरक्षण के आंकड़ों को जरूर ध्यान में रखता है कि इस सुविधा से आम आदमी को कितना नफा हुआ और कितना नुकसान...


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