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बंदूक नहीं पेंसिल से होगी पुलवामा की पहचान...मोदी सरकार का खास ODOP प्लान तो समझिए

नई दिल्ली भारत अब दुनिया में बनी संपेरों और हाथियों के देश की अपनी छवि से बाहर निकल चुका है। भारत अब हर क्षेत्र में विश्व में अपनी मौजूदग...

नई दिल्ली भारत अब दुनिया में बनी संपेरों और हाथियों के देश की अपनी छवि से बाहर निकल चुका है। भारत अब हर क्षेत्र में विश्व में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। निर्यात के क्षेत्र में गोवा के काजू और गुंटूर की मिर्च जैसे पारंपरिक उत्पादों को ही बढ़ावा दिया जाता था। लेकिन एक जिला एक उत्पाद (One District One Product) के तहत अब रणनीति बदली है। कॉमर्स विभाग के ODOP के तहत पारंपरिक उत्पादों के साथ ही नए उत्पादों को भी शामिल किया गया है। इसमें कर्नाटक के चित्रदुर्ग की एलईडी बल्ब, नासिक की वाइन, दार्जिलिंग की चाय, मुजफ्फरपुर की शाही लीची, से लेकर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा की पेंसिल तक शामिल है। लिस्टिंग के लिए IIT, IIM, NIFT और NID की भी मदद ली जा रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की तरफ से तय किए गए 400 बिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य के तहत के उत्पादों की विविधता के तहत यह टार्गेट फिक्स किया गया है। इन्वेस्ट इंडिया की तरफ से संभाले जा रहे ODOP के इस कार्य के लिए सभी 739 जिलों की सूची तैयार की जा रही है। लिस्टिंग के अलावा के साथ ही उत्पादों में सुधार के लिए भी काम किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में आतंक के गढ़ के तौर पर कुख्यात हो चुके पुलवामा में पाए जाने वाले चिनार के पेड़ की लकड़ियों से पेंसिल तैयार किया जा रहा है। इसे भी ओडीओपी की लिस्ट में जोड़ा गया है। कर्नाटक के मैसूर में कैपेसिटर और इंटिग्रेटेड सर्किट बोर्ड को भी लिस्ट में शामिल किया गया है। कोप्पल के इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक खिलौने, गुजरात के आणंद के डेयरी उत्पाद भी शामिल हैं।


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