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हादसों पर लगाम के लिए हाई कोर्ट की पहल- 120 से घटाकर 80 किमी प्रति घंटा की स्पीड लिमिट

चेन्‍नै हाईवे पर ओवर स्‍पीड‍िंग की घटनाओं पर लगाम लगाने की मंशा से मद्रास हाई कोर्ट ने एक केंद्रीय अधिसूचना को रद्द करते हुए एक्‍सप्रेस व...

चेन्‍नै हाईवे पर ओवर स्‍पीड‍िंग की घटनाओं पर लगाम लगाने की मंशा से मद्रास हाई कोर्ट ने एक केंद्रीय अधिसूचना को रद्द करते हुए एक्‍सप्रेस वे पर टॉप स्‍पीड 120 से घटाकर 80 किलोमीटर प्रतिघंटा करने का आदेश दिया है। 4 अगस्‍त की इस अधिसूचना के अनुसार एक्‍सप्रेस वे पर टॉप स्‍पीड 100 किलोमीटर प्रतिघंटा से 120 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दी गई थी। जस्टिस एन किरुबाकरन और जस्टिस टीवी थमिलसेल्‍वी की डिविजन बेंच ने ओवरस्‍पीडिंग को अधिकांश सड़क हादसों की वजह बताया है। उन्‍होंने केंद्र सरकार की यह दलील मानने से इनकार कर दिया कि यह स्‍पीड लिमिट बेहतर सड़कों और गाड़‍ियों की उन्‍नत तकनीक को ध्‍यान में रखते हुए एक्‍सपर्ट कमिटी ने तय की है। केंद्र की दलील से असहमत इसके जवाब में बेंच ने पूछा, 'जब हम देख रहे हैं कि ओवर स्‍पीड‍िंग अधिकांश सड़क हादसों की मुख्‍य वजह है, तो यह कैसे कहा जा सकता है कि बेहतर सड़क सुविधाओं ओर उन्‍नत इंजन टेक्‍नॉलजी की वजह से हादसों में कमी आएगी।' कोर्ट का तर्क था कि दूसरी तरफ अधिक उन्‍नत इंजन तकनीक हमेशा अनियंत्रित स्‍पीड की वजह बनेगी और नतीजे में अधिक सड़क हादसे होंगे। सख्‍त सजा की मांग कोर्ट ने कहा, 'अधिकारियों को स्‍पीड गन, स्‍पीड इंडिकेशन डिस्‍पले और ड्रोन की मदद से ओवर स्‍पीड‍िंग कर रही गाड़‍ियों के ड्राइवरों की पहचान कर उन्‍हें सजा देने की व्‍यवस्‍था करनी चाहिए।' मद्राह हाई कोर्ट ने आगे व्‍यवस्‍था की कि, 'सड़क यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को कानून के अनुसार सख्त सजा दी जानी चाहिए। हाई स्पीड इंजन वाले वाहनों को इस तरह से कैलिब्रेट किया जाना चाहिए कि वाहन अनुमत गति सीमा से अधिक न हो।' बढ़ाया मुआवजाअदालत ने एक सड़क दुर्घटना में 90% विकलांगता झेलने वाली महिला दंत चिकित्सक और उसके दो बच्चों को दिए जाने वाले मुआवजे में वृद्धि करते हुए ये आदेश पारित किए। अदालत ने एक ट्रिब्यूनल के जरिए दिए गए 18.4 लाख रुपये के मुआवजे को बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दिया। 2013 में, जब पीड़िता कांचीपुरम रोड पर अपने दोपहिया वाहन की सवारी कर रही थी, एक तेज और लापरवाही से चल रही एमटीसी बस ने उन्‍हें टक्कर मार दी। 'अलग कोर्ट की हो व्‍यवस्‍था' याचिका का निपटारा करते हुए न्यायाधीशों ने सरकार को यातायात अपराधों और एक्सिडेंट क्‍लेम से निपटने के लिए विशेष अदालतों का गठन करने का सुझाव दिया, ताकि दुर्घटना से होने वाले आपराधिक मामलों और उसी दुर्घटना से जुड़े दावों को एक साथ व्‍यापक रूप से विशेष अदालतें निपटा सकें।


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