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2 साल पहले शुरू हुआ विद्रोह और ताश के पत्तों की तरह बिखर गया कैप्टन का 'किला', पूरी कहानी

चंडीगढ़ पंजाब की राजनीति में शनिवार को जो हुआ, पिछले 24 घंटे तक किसी को भनक तक नहीं थी। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपमानित महसू...

चंडीगढ़ पंजाब की राजनीति में शनिवार को जो हुआ, पिछले 24 घंटे तक किसी को भनक तक नहीं थी। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपमानित महसूस करते हुए अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया। कैप्टन तंज भरे अंदाज में कहा कि अगर कांग्रेस को लगता है कि वह सरकार ठीक से नहीं चला पा रहे हैं तो पार्टी जिसे चाहे सीएम बना सकती है। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ कैप्टन अमरिंदर सिंह अब और ज्यादा मुखर हो गए हैं। उन्होंने सिद्धू का पाकिस्तान से संबंध बताते हुए कहा है कि अगर उन्हें सीएम बनाया गया तो विरोध करेंगे। दरअसल 2017 में पंजाब में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार को अपने ही मंत्रियों और विधायकों से समय-समय पर बगावत झेलनी पड़ी। अगस्त 2019 से उनके खिलाफ विद्रोह तेज होता चला गया और आखिरकार शनिवार को कैप्टन अपनी 'कप्तानी' छोड़नी पड़ गई। जानिए कब क्या हुआ- पढ़ें: अगस्त 2019 का पहला हफ्ता- अगस्त 2019 में पंजाब कांग्रेस के अंदर पहली बार अंसतुष्टि का संकेत मिला था। विधायकों ने सीएलपी मीटिंग में बेअदबी और दूसरे मुद्दों पर कार्रवाई न होने पर सवाल उठाए थे। 9 सितंबर 2019- अमरिंदर सिंह ने इस असंतोष को पाटने के लिए कैबिनेट रैंक के 6 विधायकों को अपना सलाहकार नियुक्त किया। 9 दिसंबर 2019- पंजाब कांग्रेस (पीपीसीसी) अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने जालंधर से फीडबैक मीटिंग की शुरुआत की। हालांकि कार्यकर्तांओं से निगेटिव फीडबैक मिलने पर उन्होंने यह मीटिंग रोक दी। 20 जनवरी 2020- सोनिया गांधी ने घोषणापत्र कार्यान्वयन समिति गठित की। 21 जनवरी 2020- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब कांग्रेस प्रदेश कमिटी और जिला कमिटी को भंग कर दिया। हालांकि सुनील जाखड़ अपने पद पर बने रहे। इसी के साथ 11 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया। इसका चेयरमैन आशा कुमारी को बनाया गया। 3 मार्च 2020- 3 मार्च को सीएम के आवास पर आयोजित डिनर में पंजाब कांग्रेस के 80 में से करीब आधे विधायक शामिल नहीं हुए। दो मंत्री और एक सलाहकार ने भी इससे दूरी बना ली। मार्च 2020- बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायकों के सवालों और बयानों से असंतुष्टि स्पष्ट रूप से जाहिर हुआ। सितंबर 2020- आशा कुमारी की जगह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया गया। 1 अक्टूबर 2020- हरीश रावत ने सिद्धू से उनके अमृतसर स्थित आवास में मुलाकात की। दोनों पक्षों (सिद्धू-कैप्टन) के बीच सुलह कराने की कोशिश की गई। 9 अप्रैल 2021- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कोटकापुरा फायरिं केस की जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इससे पार्टी के अंदर असंतोष खुलकर सामने आने लगा। 17 मई 2021- पंजाब कांग्रेस के विधायक परगट सिंह ने सीएम के करीबियों पर उन्हें धमकी देने का आरोप लगाया। 30 मई 2021- अमरिंदर सिंह के फेजबुक कैंपेन पेज 'पंजाब दा कैप्टन' में उन्हें सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया। 18 जुलाई 2021- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अमरिंदर खेमे के जोरदार विरोध के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया। 24 अगस्त 2021- करीब 32 विधायकों ने सीएम अमरिंदर सिंह के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि चुनावी वादों के पूरा होने के लिए अब उन्हें कैप्टन पर यकीन नहीं रह गया है। इस विद्रोह में 4 कैबिनेट मंत्री भी शामिल थे। 25 अगस्त 2021- हरीश रावत ने ऐलान किया कि पार्टी 2022 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ेगी। 26 अगस्त 2021- हरीश रावत ने सिद्धू के सलाहकारों के आपत्तिजनक बयान पर कहा कि या तो सिद्धू खुद अपने सलाहकारों को हटाएं या फिर वे उन्हें पदस्थ कर देंगे। 27 अगस्त 2021- सिद्धू ने पार्टी हाई कमान से कहा कि उन्हें फैसले लेने की आजादी दी जाए नहीं तो वह मुंहतोड़ जवाब देंगे। (इत्त नाल इत्त वी बजाऊं) 1 सितंबर 2021- हरीश रावत ने अमरिंदर सिंह के साथ करीब 3 घंटे तक मीटिंग कर उन्हें पार्टी यूनिट के अंदर बढ़ती नाराजगी से अवगत कराया। 4 सितंबर 2021- दो असंतुष्ट मंत्री तृप्ति राजिंदर सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मांग रखी कि बटाला पंजाब का 24वां जिला बनाया जाए।


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