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कोरोना काल में माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले हजारों बच्चों को शिवराज सरकार ने दिया बड़ा झटका!

भोपाल कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave News) के दौरान एमपी में दर्जनों बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है। इनमें कई बच्चे ऐसे हैं...

भोपाल कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave News) के दौरान एमपी में दर्जनों बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है। इनमें कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें अब देखने वाला कोई नहीं है। असहाय बच्चों के लिए एमपी सरकार ने मुख्यमंत्री कोविड जन कल्याण योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत सरकार उन बच्चों को आर्थिक मदद और पेंशन देने वाली थी। मगर एक झटके में इस योजना के लाभ मिलने से कई लोग वंचित हो गए हैं। आइए समझाते हैं, ये कैसे हुआ है। दरअसल, इंदौर की रहने वाली दो बहनों की जिंदगी में अप्रैल 2021 तक सब कुछ सामान्य था। 10 साल की एक बहन इंदौर के इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ती है। 19 साल की दूसरी बहन एक इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक कर रही है। उसका सपना सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का था। घर में अकेले सिर्फ पिता कमाने वाले थे। 29 अप्रैल को कोरोना से उनकी मौत हो गई है। दोनों बहनों की 50 वर्षीय मां इसके बाद डिप्रेशन में चली गईं। दोनों बहनें बुजुर्ग दादा के साथ किराए के घर पर रहती हैं, जिसका तीन महीने से किराया नहीं दिया गया है। परिवार के पास बचत के जो रुपये हैं, उसका उपयोग राशन के लिए किया जा रहा है। इस बीच शिवराज सरकार ने यह घोषणा की थी कि कोविड काल में माता-पिता को खोने वाले बच्चों को हम 5 हजार रुपये की मासिक पेंशन, मुफ्त और मुफ्त शिक्षा देंगे। इसके बाद इन बच्चों में उम्मीद जगी थी कि जिंदगी की राह थोड़ी आसान हो जाएगी। सरकार ने यह की थी घोषणा दरअसल, कोरोना से मचे हाहाकर के दौरान 13 मई को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कोविड-9 जन कल्याण योजना की घोषणा की थी, जिससे उन बच्चों को वित्तीय सहायता का वादा किया गया था, जिन्होंने महामारी के कारण माता-पिता (या दोनों) को खो दिया था। योजना के मूल मसौदे में यह कहा गया है कि जिन परिवारों के कमाऊ सदस्य खो गए हैं, वे इस योजना के पात्र हैं। योजना में हो गया ये बदलाव मगर योजना के फाइनल प्रारूप में बदलाव किया गया है। इसमें बदलाव की वजह से इंदौर की दोनों बहनों को योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। इस योजना के तहत केवल अनाथ बच्चों को इसका लाभ मिलेगा। मीडिया से बात करते हुए एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा है कि फॉर्म का प्वाइंटर नंबर 4.4, जिससे सिंगल-पैरेंट बच्चों को लाभ के लिए पात्र बनाया गया था, उसे हटा दिया गया है। वहीं, इस बात की पुष्टि के लिए नवभारत टाइम्स.कॉम की टीम ने हेल्प डेस्क नंबर 0755-2700800 पर फोन किया। मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना के बारे में जानकारी ली। उसमें भी यहीं बताया गया कि सिंगल पैरेंट्स वाले लोगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। इस वजह से हुआ परिवर्तन? अधिकारियों की मानें तो प्रदेश इस योजना के तहत आवेदन करने वाले अनाथ बच्चों की कुल संख्या 1001 है। जबकि माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की संख्या 10 हजार से ऊपर है। अधिकारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर कहा है कि हमारे पर इसे कवर के लिए बजट नहीं है। साथ ही राज्य ने तब सुझाव दिया था कि 10,000 बच्चे दशक पुरानी पालक देखभाल और प्रयोजन योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत बच्चों को दो हजार रुपये प्रतिमाह मासिक सहायता मिलती थी। मूल रूप से परित्यक्त बच्चों की मदद के लिए यह योजना शुरू की गई थी। इसके लिए अतिरिक्त बजट के रूप में सरकार हर साल हर जिले को 10 लाख रुपये आवंटित करती है। इस बजट से जिला प्रशासन केवल 40 बच्चों की देखभाल कर सकता है। कई बच्चे रह गए वंचित वहीं, योजना के रूप रेखा में बदलाव के बाद नौ हजार से अधिक बच्चे इस योजना से वंचित रह गए हैं। ग्वालियर की एक महिला ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मेरा 12 वर्षीय बेटा शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ रहा था, लेकिन मैंने मई में अपने पति को कोविड से खो दिया। मेरे पति एक फैक्ट्री में मैनेजर थे और साठ से सत्तर हजार रुपये महीने की कमाई थी। मैं एक हाउसवाइफ हूं और अब मेरे पास अपने बेटे की फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं। मैं खुद को कोस रहा हूं, क्योंकि मैं जीवित हूं और बेटे को आर्थिक मदद नहीं कर पा रही हूं। वहीं, जिले भर के सरकारी अधिकारी ऐसी स्थिति को कम करने की कोशिश में लगे हैं। साथ ही कई कदम उठा रहे हैं। इंदौर में ऐसे 330 बच्चों की पहचान की गई है, जिनके एकल अभिभावक हैं। कलेक्टर मनीष सिंह और स्थानीय सांसद शंकर लालवानी ने स्कूल फीस माफ करने की घोषणा कर दी है। इससे वैसे बच्चों ने राहत महसूस किया है। वहीं, सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य ने कहा कि राज्य को इसके लिए एक विशिष्ट योजना के साथ आना चाहिए था। हम अपनी आय से उन्हें कुछ योगदान दे सकते हैं, लेकिन हम उन्हें वर्षों तक भुगतान नहीं कर सकते हैं। मीडिया से बात करते हुए महिला एवं बाल विकास आयुक्त स्वाति मीना नायक ने कहा कि यह सच है कि हमने केवल 1001 अनाथ बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि वह अत्याधिक असुरक्षित थे। उनके साथ गलत हो सकता था। दूसरी लहर के दौरान हमने संदेशों की बाढ़ देखी है, जहां लोग मदद मांग रहे थे। नायक ने कहा कि विभाग के पोर्टल विकसित कर रहा है, जो अन्य बच्चों के लिए दुनिया भर से प्रयोजन मांगेगा।


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