उज्जैन महाकाल मंदिर प्रबंधन ने बड़ा फैसला लिया है। अब भस्मारती और प्रोटोकॉल टिकट पर महाकाल की तस्वीर नहीं छपेगी। साथ ही पुजारियों के जरिए...
उज्जैन महाकाल मंदिर प्रबंधन ने बड़ा फैसला लिया है। अब भस्मारती और प्रोटोकॉल टिकट पर महाकाल की तस्वीर नहीं छपेगी। साथ ही पुजारियों के जरिए जल चढ़ाने पर रोक लगा दिया गया है। ये फैसला इसलिए लिया गया है कि टिकट को लोग फेंक देते थे और उस पर भगवान की तस्वीर होती है। इसकी वजह से लात भी लगता है। इसी को ध्यान में रखते हुए महाकाल मंदिर प्रबंधन ने यह फैसला लिया है। महाकाल मंदिर में भस्मारती के लिए टिकट 201 रुपये का है। इस पर छपी होती है। आम तौर पर लोग दर्शन के बाद टिकट को फेंक देते हैं। इसकी वजह से कई बार भगवान का अपमान होता है। इसे लेकर मंदिर के पुजारियों ने ही इसका विरोध शुरू किया था। कहा गया था कि जिस चीज पर लोगों के पैर आ जाएं, उस पर भगवान की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। इसके बाद मंदिर कमिटी ने यह फैसला लिया है कि अब ऐसा नहीं होगा। अब महाकाल मंदिर में भस्मारती के लिए टिकट पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का फोटो नहीं होगा। अब सामान्य टिकट दिए जाएंगे। मंदिर प्रबंधन ने कहा है कि हमारी पूरी कोशिश है कि किसी की धार्मिक भावना आहत नहीं हो। वहीं, महाकाल को पुजारियों के जरिए जल चढ़ाने की व्यवस्था को भी प्रतिबंधित कर दिया है। समिति ने गणपति मंडपम की पहली रैलिंग के पहुंच मार्ग पर अस्थाई स्टील के बैरिकेड लगवा दिए हैं। इसके बाद कोई भी पुरोहित और उनके प्रतिनिधि श्रद्धालुओं तक नहीं पहुंच सकेंगे। गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान महाकाल मंदिर में दर्शन के कई नियम बदले गए हैं। अभी भी श्रद्धालु यहां कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर प्रबंधन भी इसे लेकर सख्ती बरत रही है।
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