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मैं कांग्रेसी था, हूं और रहूंगा... बीजेपी में जाने की खबरों पर बोले अजय सिंह राहुल

भोपाल पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह (Ajay Singh Rahul News) को लेकर कई तरह की अटकले हैं। उन अटकलों को बल तब मिला जब वह एमपी के गृह मंत्री...

भोपाल पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह (Ajay Singh Rahul News) को लेकर कई तरह की अटकले हैं। उन अटकलों को बल तब मिला जब वह एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिलने उनके आवास पर चले गए। इसके बाद उनके जन्मदिन पर बीजेपी के कई नेताओं ने बधाई दी थी। कयास लगाए जा रहे थे कि अजय सिंह राहुल कांग्रेस पार्टी को झटका दे सकते हैं। इन चर्चाओं पर विराम देने के लिए अजय सिंह राहुल ने मीडिया में सफाई दी है। कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल ने इन खबरों पर विराम देते हुए कहा कि मुझे अपने पिता अर्जुन सिंह से सदभाव के साथ सबको साथ लेकर चलने की सीख विरासत में मिली है। वे हमेशा अपने आपको कांग्रेस का सिपाही कहते थे। उनके विचारों के विपरीत जाकर मैं आलोचना का भागीदार नहीं बनना चाहता। मैं उन्हीं की परंपरा का निर्वहन करता हूं। मैं आत्मा से कांग्रेसी था, कांग्रेसी हूं और कांग्रेसी रहूंगा। उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसा सोच रहे हैं कि मैं बीजेपी में जा सकता हूं, उन सभी से मेरा विनम्र आग्रह है कि वे इस कल्पनाशील विचार को त्याग दें। मेरी प्रतिबद्धता कांग्रेस पार्टी के साथ है। अजय सिंह ने अपने पिता के राजनीतिक कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा प्रतिपक्ष का सम्मान किया। प्रतिपक्ष के सुझावों को वे हमेशा ध्यान से सुनते थे और आलोचनाओं से कभी विचलित नहीं होते थे। लोकतंत्र की स्वस्थ परंपराओं का उन्होंने हमेशा पालन किया। भले ही विचारधाराएं अलग-अलग हों लेकिन उन्होंने प्रदेश के विकास में इसे कभी आड़े आने नहीं दिया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यही कारण है कि प्रदेश में बीजेपी सरकार के समय केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने मध्यप्रदेश को जो दिया वह हमेशा याद किया जाएगा। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में उनसे बहुत सीखा है। सिंह ने कहा कि मेरे मंत्री रहते हुए बीजेपी के बहुत से विधायक मुझसे क्षेत्र के काम से मिलते रहते थे और मैं सहर्ष उनकी समस्याओं को हल करता था। उनमें कई अभी वर्तमान में मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह मैं भी अपने क्षेत्र की समस्याओं और जनता के काम लेकर बीजेपी सरकार के मंत्रियों से मिलता रहता हूं। कई बार एक दूसरे से सौजन्य भेंट होती रहती है। प्रतिपक्ष दुश्मन तो नहीं होता। लोकतंत्र में वैमनस्य का कोई स्थान नहीं है। इस सौजन्यता का यह अर्थ कतई नहीं लगाना चाहिए कि मैं कांग्रेस छोड़ रहा हूं। यह सिर्फ एक परिकल्पना मात्र है।


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