पटना बिहार में आजकल 'स्टैच्यू पॉलिटिक्स' हो रही है। ऐसा लग रहा है कि चिराग और तेजस्वी दो जिस्म एक जान हो गए। दोनों की चाहत एक है।...
पटना बिहार में आजकल 'स्टैच्यू पॉलिटिक्स' हो रही है। ऐसा लग रहा है कि चिराग और तेजस्वी दो जिस्म एक जान हो गए। दोनों की चाहत एक है। राज्य की सियाासत पर राज करना। सत्ता सुख किसी एक को ही मिलेगा। मगर दिखाने को ही सही, नीतीश से मुकाबले के लिए दोनों एकजुट हैं। तेजस्वी और चिराग सियासी दोस्त या दुश्मन? तेजस्वी-चिराग एक रणनीति के तहत नीतीश से डिमांड कर रहे हैं। मांग भी ऐसी कि जेडीयू नेताओं को न उगलते बन रहा है ना निगलते। दोनों (तेजस्वी-चिराग) को अपनी-अपनी विरासत भी संभालनी है। वोट बैंक की भी चिंता है। ऊपरी तौर पर दिख रहा है कि नीतीश के 'दोस्त' के बेटे एकजुट होकर मात देने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल इन दोनों में गलाकाट प्रतियोगिता है। रेस में दोनों एक-दूसरे को पीछे छोड़ना चाह रहे हैं। पटखनी देना चाह रहे हैं। लेकिन दोनों का मुकाबला सियासत के 'चाणक्य' कहे जानेवाले से है। सत्ता पर काबिज होने के लिए दोनों को एक-दूसरे की वोटबैंक में सेंधमारी करनी है। बिना उसके काम नहीं चलनेवाला। वजूद बचाने के लिए जरूरी है। मूर्ति डिमांड के पीछे वोटिंग का गुणा-गणित एक अनुमान के मुताबिक बिहार में करीब साढ़े पांच प्रतिशत राजपूत मतदाता है। जबकि राज्य में दुसाध/पासवान वोटरों की तादाद लगभग 5 फीसदी है। चिराग और तेजस्वी को अपनी सियासी पारी चमकाने के लिए इन मतदाताओं की सख्त जरुरत है। पासवान और रघुवंश प्रसाद की अपने-अपने जातियों में ठीकठाक सम्मान और पकड़ रही है। रघुवंश और पासवान के प्रति सम्मान दिखाकर दोनों 'युवराज' वोटिंग दंगल को जीतना चाहते हैं। मगर नीतीश कुमार पत्ता खोलने को तैयार नहीं हैं। तेजस्वी और चिराग को चाहिए पासवान-रघुवंश की मूर्ति बिहार के नेता प्रतिपक्ष ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर रघुवंश प्रसाद सिंह और रामविलास पासवान की मूर्ति पटना में स्थापित कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि रघुवंश प्रसाद सिंह और रामविलास पासवान की पुण्यतिथि-जयंती को राजकीय कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। पत्र में कहा गया कि बिहार के दोनों ही नेता महान विभूति थे। दोनों ने अपने राजनीतिक सरोकारों और सक्रिय राजनीतिक जीवन से राज्य की बहुत सेवा की है। चिराग पासवान पहले ही रघुवंश प्रसाद सिंह और रामविलास पासवान की आदमकद प्रतिमा लगाने की मांग कर चुके हैं। वैसे जमुई सांसद चिराग पासवान ने दिल्ली के 12 जनपथ स्थित सरकारी आवास में अपने पिता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मूर्ति लगवा चुके हैं। आवास खाली करने का आदेश जारी होने के बाद चिराग ने ऐसा किया है। नीतीश कुमार पत्ता खोलने को तैयार नहीं रामविलास पासवान और रघुवंश पासवान की मूर्ति, जयंती और पुण्यतिथि के नाम पर हो रही राजनीति पर जेडीयू का बयान आया। संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पूरे मामले पर सियासत बंद करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। आज हमारे बीच रामविलास पासवान जी नहीं है। सामाजिक परिवर्तन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज उनके नाम पर कुछ डिमांड किया जा रहा है। हमारे मुख्यमंत्री निर्णय लेने के लिए सक्षम हैं। जो भी निर्णय लेना होगा वो लेंगे। लेकिन राजनीति के लिए डिमांड करें यह उचित नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर निर्णय लेने के लिए सक्षम हैं। मूर्ति डिमांड की रेस में बीजेपी भी शामिल नीतीश से मूर्ति डिमांड की रेस में बीजेपी भी पीछे रहना नहीं चाहती। राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि 'पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार के विकास और राष्ट्रीय राजनीति में जो बड़ी भूमिका निभायी, उसे देखते हुए पटना में उनकी प्रतिमा लगनी चाहिए। उन्होंने दलितों को आगे बढ़ाने के लिए लगातार संघर्ष किया, लेकिन कभी नफरत की राजनीति नहीं की। उनकी जयंती पर राजकीय समारोह होना चाहिए।
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