बेंगलुरु एनआईए ने बेंगलुरु की विशेष अदालत में एक चार्जशीट दायर की है। इस चार्जशीट में खुलासा किया कि आईएसआईएस संदिग्ध आतंकी शिहाबुद्दीन ए...

बेंगलुरु एनआईए ने बेंगलुरु की विशेष अदालत में एक चार्जशीट दायर की है। इस चार्जशीट में खुलासा किया कि आईएसआईएस संदिग्ध आतंकी शिहाबुद्दीन एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। इस्लामिक स्टेट (आईएस) से प्रेरित उनका मॉड्यूल हिंसक जिहाद छेड़कर बगावत फैलाने के लिए उनका संगठन काम करने वाला था। उन्होंने हिंसा फैलाने के लिए गुजरात, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र को चुना था। शिहाबुद्दीन ने मुंबई में हथियार और गोला बारूद एकत्र किया। अफगानिस्तान संकट के मद्देनजर, एनआईए ने आईएसआईएस के 25 संदिग्धों की पहचान की है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे अफगानिस्तान में हैं और जिहाद को अंजाम देने के लिए भारतीयों को ऑनलाइन भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दूसरा आरोप पत्र 3 सितंबर को बेंगलुरु में दायर किया गया था। उन्होंने इसमें कहा, 'बेंगलुरू आईएसआईएस मॉड्यूल में विदेशी हैंडलर की पहचान अभी तक स्थापित नहीं हुई है। उनके चैट नाम को 'भाई' कहा गया था। अल-हिंद मॉड्यूल बनाया बेंगलुरु के गुरप्पनपाल्या निवासी महबूब पाशा और 16 अन्य के खिलाफ पिछले साल जनवरी में बेंगलुरु में मामला दर्ज किया गया था। एनआईए ने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु में आतंकवाद और हिंदू नेताओं की हत्या से संबंधित कई मामलों में आरोपी पाशा ने खाजा मोइदीन के साथ मिलकर दक्षिण भारत में युवा मुसलमानों की भर्ती करके एक आतंकवादी गिरोह बनाया। उन्होंने अल-हिंद मॉड्यूल का गठन किया और अप्रैल 2019 में बेंगलुरु को अपने आधार के रूप में चुना। नक्सलियों की तरह काम करने की थी तैयारी समूह ने अपनी विचारधारा फैलाने के लिए गुजरात में जंबूसर, पश्चिम बंगाल में बर्दवान और महाराष्ट्र में रत्नागिरी की पहचान की। एक अधिकारी के मुताबिक, समूह चाहता था कि उसके सदस्य इन राज्यों के घने जंगलों में चले जाएं और नक्सलियों की तरह काम करें। एसआई की हत्या कर तमिलनाडु भाग गया था शिहाबुद्दीन समूह ने जो हथियारों और गोला-बारूद इकट्ठा किए थे, उनका इस्तेमाल जनवरी 2020 में तमिलनाडु पुलिस के एसआई विल्सन की हत्या में किया गया था। एसआई की हत्या के बाद, आरोपी शिहाबुद्दीन कतर भाग गया, जहां से उसे जनवरी 2021 में निर्वासित किया गया था। चैट के लिए डार्क वेब का प्रयोग एनआईए के अनुसार, पाशा और मोइदीन ने युवाओं को भर्ती किया, आईईडी बनाने के लिए बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री की खरीद की और हिंदू नेताओं को निशाना बनाने की योजना बनाई। उन्होंने ठिकाने हासिल करने के लिए कर्नाटक में शिवानासमुद्र और गुंडलुपेट में एक जगह पर ट्रेनिंग आयोजित की। आरोप पत्र में कहा गया है कि आरोपी व्यक्ति भारत में आईएसआईएस गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक सुरक्षित चैट (डार्क वेब) के माध्यम से विदेशी आईएसआईएस संचालकों के साथ संवाद कर रहे थे।
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