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छुट्टी पर 'सिर फोड़ने' की बात कहने वाले SDM, लाठीचार्ज की जांच, करनाल में इन बातों पर माने किसान

करनाल करनाल प्रशासन और किसानों के बीच सहमति बन गई है। किसान धरना खत्‍म होने पर राजी हो गए हैं। लाठीचार्ज की न्‍यायिक जांच होगी। एसडीएम आयु...

करनालकरनाल प्रशासन और किसानों के बीच सहमति बन गई है। किसान धरना खत्‍म होने पर राजी हो गए हैं। लाठीचार्ज की न्‍यायिक जांच होगी। एसडीएम आयुष सिन्‍हा जांच के दौरान छुट्टी पर रहेंगे। मृतक किसान के 2 परिजनों को एक सप्‍ताह में सरकारी नौकरी मिलेगी। इस तरह करनाल के मिनी सचिवालय के बाहर तीन दिनों से चल रहा गतिरोध अब समाप्‍त हो गया है। शनिवार को करनाल प्रशासन और किसान नेताओं के बीच हुई मीटिंग में तय किया गया कि करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की न्‍यायिक जांच होगी। यह जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में होगी। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार शाम ही करनाल प्रशासन और किसानों के बीच लगभग समझौते की शर्तें तय हो गई थीं। लेकिन इनके औपचारिक ऐलान के लिए शनिवार सुबह किसान नेताओं और प्रशासन के बीच बैठक रखी गई थी। इस बैठक में गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्‍व में 13 किसान नेता पहुंचे थे। इस मीटिंग के बाद 7 सितंबर से चल रहा का घेराव खत्‍म हो गया है। इसलिए किया था किसानों ने आंदोलन 28 अगस्त को पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, बीते 28 अगस्त को तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने पुलिस को सीधे तौर पर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश दिया था। यह थी किसानों की मांगकिसानों की मांग है कि, एसडीएम आयुष सिन्हा बर्खास्त हों और उन पर हत्या का मामला दर्ज हो। मरने वाले किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये, उनके बेटे को सरकारी नौकरी और पुलिस हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। 7 सितंबर को बुलाई थी महापंचायतकिसानों ने इस मसले पर 7 सितंबर को करनाल में महापंचायल बुलाई थी। इसके खत्‍म होते ही किसान अनाजमंडी की ओर बढ़े। वहां ऐलान किया गया कि मिनी सचिवालय पर धरना देना है। प्रशासन ने किसानों को रोकने की कोशिश की लेकिन टकराव का रास्‍ता नहीं अपनाया। शाम होते-होते किसानों ने सचिवालय को घेर लिया और धरने को अनिश्चिकालीन बताया। इंटरनेट पर लगी थी पाबंदीप्रदेश सरकार की ओर से इस दौरान करनाल में इंटरनेट बंद रखा गया। 7 सितंबर के किसान आंदोलन को देखते हुए करनाल के साथ-साथ कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत व जींद जिले की इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगा दी गई थी। करनाल में तब से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। लेकिन बाकी जिलों में बाद में पाबंदी हटा ली गई थी।


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