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'बेटी की शादी करनी है...' और 2 घंटे बाद कश्मीर से वो कॉल, आतंकियों ने यूं खत्म कर दी हंसती-खेलती जिंदगी

सहारनपुर सगीर अहमद ने अपनी बेटी नजराना को पुलवामा से फोन किया। उन्होंने कहा, 'मैं अपनी शोबी के लिए अच्छा लड़का देख रहा हूं।' यह क...

सहारनपुर सगीर अहमद ने अपनी बेटी नजराना को पुलवामा से फोन किया। उन्होंने कहा, 'मैं अपनी शोबी के लिए अच्छा लड़का देख रहा हूं।' यह कॉल शनिवार शाम करीब 6.30 बजे आई थी। नजराना बहुत खुश थी कि छोटी बहन शोबी की जल्दी शादी होगी। वह खुश थी। लगभग दो घंटे बाद फिर मोबाइल की घंटी बजी। इस बार कॉल सगीर की मौत की थी। दो घंटे बाद नजराना को एक और फोन आया। नजराना ने कहा कि उसे लगा कि शायद पिता कुछ कहना भूल गए हैं। उसने फोन उठाया, लेकिन इस बार सगीर के मालिक सज्जाद अहमद वानी का कॉल था। उन्होंने कहा, 'मेरे पास आपके लिए बुरी खबर है।' उन्होंने कहा। नजराना को पिता के मौत की खबर मिली। सब बिखर गया। कुछ देर पहले ही कहा था बहुत अच्छे हैं लोग नजराना ने कहा कि वह खुश थी। कुछ देर पहले ही पिता ने कहा था कि यहां के लोग बहुत अच्छे हैं। हम लोग उनकी ज्यादा फिक्र न करें। 'मैं यहां बिल्कुल अच्छा और खुश हूं।' यूपी के सहारनपुर के बढ़ई सगीर अहमद कोरोना महामारी में रोजगार खो चुके थे। अपने परिवार का जीवनयापन करने के लिए पुलवामा गए थे। गैर-कश्मीरियों का शिकार करने वाले आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी थी। दो सप्ताह में घाटी में मारे गए गैर कश्मीरियों में वह 11वें निर्दोष नागरिक थे। मालिक ने पहुंचाया अस्पताल वानी ने बताया कि सगीर, शोबी की शादी करना चाहता था। सगीर एक शांत स्वभाव का शख्स था। वह आध्यात्मिक और कुछ शर्मीला भी था। उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? वानी ने सबसे पहले सगीर के गोलियों से छलनी शव को लिटर में किराए के छोटे से घर के फर्श पर देखा था। वानी सगीर को अस्पताल ले गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वानी ने बताया कि किसी को भी सगीर की मौत के बारे में पता नहीं चलता अगर वह उसके घर नहीं जाते। उन्होंने कहा, 'मैं हर रोज सुबह अपने सारे वर्कर्स से मिलने उनके घर जाता हूं। मैं सगीर के घर पहुंचा तो वह खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था। मैं उसे अस्पताल ले गया।' हर महीने 15000 रुपये घर भेजता था सगीर को यहां नौकरी करके हर महीने लगभग 15,000 रुपये घर भेजता था। उसके एक बेटा और चार बेटियां हैं। छह महीने पहले पत्नी की कोविड से मौत हो गई थी। सगीर के भाई नईम ने बताया, 'वह 2020 में थोड़ी देर के लिए वापस आया, लेकिन फिर से कश्मीर लौट आया। उसने हमेशा हमें बताया कि वह कश्मीर में सुरक्षित है। लोग मिलनसार हैं और चीजें बेहतर हो जाएंगी।' परिवार पर है एक लाख का कर्ज नईम ने बताया कि जब पत्नी नफीसा की मृत्यु हुई तब भी उसने अपना काम जारी रखा क्योंकि परिवार के ऊपर एक लाख रुपये का कर्ज है। कश्मीर में आतंकवादी हमले में सहारनपुर निवासी के मारे जाने की सूचना मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने शनिवार रात सगीर के घर पहुंचे। प्रशासन ने दिया मदद का आश्वासन अपर जिलाधिकारी अर्चना द्विवेदी ने कहा, 'परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. हमने उनके परिवार को आश्वासन दिया है कि उनकी हर संभव मदद की जाएगी। परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है और इसे सरकार को भेजा जाएगा।


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