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36 कॉम की अगुआई का क्या मतलब है, क्या इसे वसुंधरा की खुद की दावेदारी समझी जाए

जयपुर राजस्थान में बीजेपी की ओर से सीएम फेस को लेकर मचे घमासान के बीच ने लंबे अरसे बाद चुप्पी तोड़ी। इस दौरान उन्होंने इशारो-इशारों में अ...

जयपुर राजस्थान में बीजेपी की ओर से सीएम फेस को लेकर मचे घमासान के बीच ने लंबे अरसे बाद चुप्पी तोड़ी। इस दौरान उन्होंने इशारो-इशारों में अपने विरोधियों को कई संदेश दे दिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहने से क्या होता है छत्तीस की छत्तीस कॉम का प्यार जरूरी है। जिन्हें इनका प्यार मिलेगा, आगे जाकर राज वही करेगा। अपने इस पुराने फॉर्मूले का पासा फेंककर क्या वसुंधरा ने एक बार फिर सियासी बिसात पर सभी दावेदारों को मात देने की कोशिश की है। 'चाहने से नहीं होता, जनता क्या चाहती है वो जरूरी'बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को जोधपुर में प्रदेश के सियासी हालात पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि साल 2023 में विधानसभा और 24 में लोकसभा चुनाव हैं। इसके लिए कार्यकर्ता तैयार हो गए हैं। बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसको लेकर अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि चाहने से तो यह नहीं हो सकता, जनता क्या चाहती है यह जरूरी है। 36 की 36 कॉम को प्यार करना है और इसका प्यार जिसको मिलेगा वही आगे जाकर राज करेगा। वसुंधरा ने इसलिए चला 36 कॉम वाला दांवपूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का 36 की 36 कॉम क्या चाहती है, यह आधार कोई नया नहीं है। दरअसल, साल 1998 के चुनाव में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस ने 156 सीटों के साथ अपना ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। उसके बाद साल 2013 के चुनाव से दिग्गज बीजेपी नेता प्रमोद महाजन ने मध्यप्रदेश में साध्वी उमा भारती और राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में परिवर्तन यात्रा की थी। जिसका बीजेपी को फायदा मिला था। उस समय भी वसुंधरा राजे ने इसी 36 की 36 कॉम को गले लगाने के फार्मूला अपनाया और प्रदेश में सियासी रणनीति तैयारी की थी। राजस्थान बीजेपी में सीएम फेस के लिए कई नाम चर्चा मेंवसुंधरा राजे ने इसकी शुरुआत खुद के राजपूत की बेटी, जाट की बहू और गुर्जर की समधन बताकर की थी। जो कई मायने में सफल भी रहा था। अब एक बार फिर इसे आधार बनाते हुए वसुंधरा राजे ने जाट चेहरे के नाम पर दावा ठोका है। इससे पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया राजपूत चेहरे के नाम पर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और ब्राह्मण के नाम पर चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी जैसे संभावित सीएम चेहरों के सामने वसुंधरा ने अपनी दावेदारी प्रबल तरीके से रख दी है। क्या होगा बीजेपी आलाकमान का फैसला?सीएम पद को लेकर कुछ राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के रूप में नए और सफल प्रयोग कर चुके हैं। ऐसे में राजस्थान से नाता रखने वाले अभी हाल ही रेलवे मंत्री बनाए गए अश्विनी वैष्णव पर भी दांव खेला जा सकता है। इसके साथ ही ओम प्रकाश माथुर का नाम भी इस दौड़ में शामिल रहा है। लंबी खामोशी के बाद अब वसुंधरा ने पेश की दावेदारी अब वसुंधरा राजे के नए अंदाज से मतलब साफ है वे राजस्थान की राजनीति से अलग होने वाली नहीं हैं। पूरे दमखम के साथ साल 2023 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दावेदारी रखेंगी। साथ ही ये भी स्पष्ट करने की कोशिश करेंगी कि राजस्थान की 36 की 36 कॉम उन्हें चाहती है। (प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट)


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