विजयदशमी पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजनों का सिलसिला शुक्रवार सुबह से ही शुरू हो गया। मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ को संत...
गोरखनाथ मंदिर से शुक्रवार को मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में धूमधाम से विजयदशमी की भव्य विजयशोभा यात्रा निकली। गोरक्षपीठाधीश्वर विजयरथ पर सवार होकर मानसरोवर मंदिर पहुंचें और वहां वह शक्ति आराधना करने के बाद रामलीला मैदान में भगवान राम का तिलक किया।
विजयदशमी पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजनों का सिलसिला शुक्रवार सुबह से ही शुरू हो गया। मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ को संतों ने टीका लगाया। तिलकोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सुबह से ही कतार लगी थी। मुख्यमंत्री मंदिर के तिलक हाल में आसन लगाकर बैठे थे। मुख्यमंत्री भी तिलक लगाकर लोगों को आशीर्वाद दे रहे थे।
विशेष परिधान में नजर आए सीएम योगी
विशेष परिधान में नजर आए गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के साथ भव्य शोभायात्रा मंदिर परिसर में निकली। पारंपरिक शस्त्रों के साथ नाथ योगियों, पुजारियों व संतों की यात्रा में पूरे शाही तरीके से वेदपाठी किशोर-युवा त्रिशुल-तलवार व अन्य शस्त्रों के साथ इसमें शामिल रहे।
ढोल-नगाड़े के साथ आरती
शोभायात्रा सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ के दरबार में पहुंची। यहां गोरक्षपीठाधीश्वर ने गर्भगृह में श्रीनाथ जी का अनुष्ठान एवं पूजन किया। ढोल-नगाड़े के साथ आरती हुई। श्रीनाथ पूजा के बाद योगी आदित्यनाथ ने भैरव मंदिर, दुर्गा मंदिर, राम दरबार, अखंड धुनी, हनुमान मंदिर, श्रीकृष्ण दरबार सहित मंदिर परिसर में स्थापित सभी देवी-देवताओं का दर्शन-पूजन किया।
सभी देव विग्रहों का किया विशेष पूजन
श्रीनाथ की पूजा के बाद योगी आदित्यनाथ ने भैरव मंदिर, दुर्गा मंदिर, रामदरबार, अखण्ड धूनी, हनुमान मंदिर, श्रीकृष्ण दरबार समेत सभी प्रतिष्ठित सभी देव प्रतिमाओं का दर्शन कर पूजन किया। उसके बाद उनका काफिला भगवान भीम की प्रतिमा के समक्ष पहुंचा जहां उन्होंने पूजन किया। उसके बाद भीम सरोवर पर पहुंच कर पूजन किया। यहां उन्होंने सरोवर की मछलियों को चारा दिया।
अपने गुरु महंतअवेद्यनाथ की समाधि पर टेका माथा
ढोल और शंख की मंगल ध्वनियों के बीच वे ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं ब्रह्मलीन महंत अपने गुरु अवेद्यनाथ की समाधि पर माथा टेक कर पुष्प अर्पित किया। उसके बाद पुन: मुख्यमंत्री मंदिर में पहुंच कर वहां गुरु गोरक्षनाथ समेत स्थापित सभी देव प्रतिमाओं का पूजन किया। उसके बाद वे गोशाला पहुंचे जहां उन्होंने 20 मिनट तक वक्त विताया। गायों को गुड़ व चना खिला कर आशीर्वाद लिया।
क्या है दंडाधिकारी बनने की परंपरा?
पूजन के बाद संतों-योगियों की अदालत लगती है जिसमें नाथपंथ की परम्परा के अनुसार हर वर्ष विजयादशमी की रात गोरखनाथ मंदिर में पात्र देवता पीठाधीश्वर संतों के विवादों का सुलझाते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। इसी पद पर वह दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं।
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