Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

अजय मिश्रा टेनी और आशीष मिश्रा, अखाड़े और राजनीति दोनों के पहलवान

यूपी के लखीमपुर जिले के घटनाक्रम पर देश भर में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस घटना के केंद्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र और उनके पु...

यूपी के लखीमपुर जिले के घटनाक्रम पर देश भर में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस घटना के केंद्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र और उनके पुत्र आशीष मिश्र हैं। अजय मिश्र को मोदी कैबिनेट में जगह ही यूपी चुनाव के मद्देनजर मिली थी, क्योंकि वह राज्य की तराई बेल्ट में पार्टी का ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। उनके पुत्र आशीष अभी तक अपने पिता का राजनीतिक प्रबंधन देखते रहे हैं और 2022 के चुनाव में टिकट के दावेदार भी हैं। दोनों के बारे में बता रहे हैं रोहित मिश्र:

Lakhimpur Case: महज 12 साल के सियासी सफर में खीरी के ‘महाराज’ यानी, अजय मिश्र टेनी केंद्र में मंत्री भी बन गए। केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी वह लोगों को याद दिलाए रखना चाहते हैं कि वह केवल मंत्री, सांसद और विधायक ही नहीं हैं।


Lakhimpur Kheri Violence: अजय मिश्रा टेनी और आशीष मिश्रा, अखाड़े और राजनीति दोनों के पहलवान

यूपी के लखीमपुर जिले के घटनाक्रम पर देश भर में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इस घटना के केंद्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र और उनके पुत्र आशीष मिश्र हैं। अजय मिश्र को मोदी कैबिनेट में जगह ही यूपी चुनाव के मद्देनजर मिली थी, क्योंकि वह राज्य की तराई बेल्ट में पार्टी का ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। उनके पुत्र आशीष अभी तक अपने पिता का राजनीतिक प्रबंधन देखते रहे हैं और 2022 के चुनाव में टिकट के दावेदार भी हैं। दोनों के बारे में बता रहे हैं

रोहित मिश्र:



12 साल में ‘महाराज’ से मंत्री तक
12 साल में ‘महाराज’ से मंत्री तक

महज 12 साल के सियासी सफर में खीरी के ‘महाराज’ यानी, अजय मिश्र टेनी केंद्र में मंत्री भी बन गए। केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी वह लोगों को याद दिलाए रखना चाहते हैं कि वह केवल मंत्री, सांसद और विधायक ही नहीं हैं। उसके पहले का भी उनका एक इतिहास है। उनकी पृष्ठभूमि को परत-दर-परत देखने पर पता चलता है कि वह इतिहास उनकी दबंग छवि से जुड़ा है। कई अपराधों का जिक्र भी है। लखीमपुर की फिजाओं में तमाम किस्से तैर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले लखीमपुर के बनबीरपुर गांव में अजय मिश्र का जन्म 25 सितंबर 1960 को हुआ। पढ़ाई-लिखाई अच्छी रही। एलएलबी किया। खीरी में वह ‘महाराज’ और ‘टेनी’ के नाम से चर्चित हैं। बताते हैं कि अजय मिश्र को खेलों में खासी दिलचस्पी रही है। खासकर पहलवानी में। युवावस्था में वह खुद भी पहलवानी किया करते थे। बाद में पहलवानी के आयोजन करवाने लगे। कुछ समय तक अजय मिश्र ने वकालत भी की।



... और फिर बढ़ता चला गया टेनी महाराज का रसूख
... और फिर बढ़ता चला गया टेनी महाराज का रसूख

इस बीच उनकी दबंगई के किस्से मशहूर होते रहे और टेनी की पहचान मजबूत होती गई। बात 2003 की है। अजय मिश्र टेनी का नाम प्रभात गुप्ता मर्डर केस में आया। प्रभात गुप्ता तिकुनिया गांव का रहने वाला 24 वर्षीय युवक था। उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। अजय मिश्र इस हत्याकांड में नामजद थे। लेकिन एक साल बाद ही स्थानीय अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त कर दिया। इसी मामले की सुनवाई के दौरान टेनी पर कोर्ट परिसर में गोली चली थी। वह मामूली रूप से घायल भी हुए थे। हालांकि इस घटनाक्रम के बीच टेनी का रसूख बढ़ता ही जा रहा था। यह 2004-05 के बीच का समय था, जब उन्होंने राजनीति में पैर रखा। 2009 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बने। रुतबा बढ़ता गया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने टिकट दिया और वह निघासन सीट से विधायक हो गए। बढ़ता कद देखते हुए वर्ष 2014 में टेनी को सांसदी का टिकट मिला और वह बीएसपी के अरविंद गिरी को करीब एक लाख 10 हजार वोट से हराकर सांसद हो गए। 2019 में समाजवादी पार्टी की पूर्वी वर्मा को 2 लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया।



पिता के ही नक्श-ए-कदम पर बेटा
पिता के ही नक्श-ए-कदम पर बेटा

अजय मिश्र 'टेनी' के पिता अंबिका प्रसाद मिश्र क्षेत्र के नामचीन पहलवान थे। अजय मिश्र भी पहलवानी करते थे। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए आशीष मिश्र मोनू ने पहले कुछ दिन तक पहलवानी में हाथ आजमाया और अब आयोजक हैं। मोनू पर पहला मुकदमा 2007 में दर्ज हुआ था। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में सक्रिय रहने लगे थे। 2009 में जब पिता क्षेत्र पंचायत सदस्य हुए तो उसके बाद से ही आशीष ने उत्तराधिकारी के तौर पर पारिवारिक कामधाम संभालना शुरू कर दिया था। पेट्रोल पंप, ईंट-भट्ठे का काम, राइस मिल और खेती का पूरा काम अब मोनू ही देखते हैं। कम उम्र में ही पिता की राजनीतिक विरासत की साझेदारी का असर कुछ ऐसा रहा कि मोनू भारतीय जनता युवा मोर्चा के अवध क्षेत्र के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। मोनू को राजनीतिक और सामाजिक तौर पर सक्रिय माना जाता है।



अजय मिश्रा की दबंग विरासत को आगे बढ़ा रहे मोनू
अजय मिश्रा की दबंग विरासत को आगे बढ़ा रहे मोनू

युवावस्था से ही मोनू खेल के शौकीन रहे हैं। खुद क्रिकेट खेलते थे और पहलवानी भी करते थे। अब वह उनके दादा के नाम पर होने वाले दंगल की आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वह लखीमपुर में एक क्रिकेट टूर्नामेंट भी कराते हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं के मुताबिक क्षेत्र के निर्धन परिवारों की लड़कियों की शादी भी साल में एक बार कराते हैं। अजय मिश्र ने जिस दबंग छवि को बरकरार रखा, उसे मोनू विरासत के तौर पर आगे बढ़ा रहे हैं। क्षेत्र की राजनीति में उनका पूरा दखल है। क्षेत्र के विकास का काम, जो कि सांसद निधि से होता है, उसका मुआयना करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास है। क्षेत्र के लोगों की मानें तो मोनू गाड़ियों का काफिला लेकर चलने के शौकीन रहे हैं। मौजूदा समय में पिता के क्षेत्र के सभी कार्यक्रम वही तय करते हैं। आशीष फिलहाल निघासन सीट की दावेदारी कर रहे हैं। निघासन वही सीट रही है, जिससे वर्ष 2012 में अजय मिश्र टेनी विधायक चुने गए थे। आशीष ने न केवल इसकी दावेदारी शुरू कर दी है, बल्कि क्षेत्र में इसकी चर्चा भी जोरों पर है कि इस बार उन्हें ही यहां का टिकट मिलेगा। दावेदारी को ही पुख्ता बताने की ही कोशिश थी कि इस बार का दंगल बड़े पैमाने पर आयोजित कराया गया था। इस बार के आयोजन को बड़ा स्वरूप देने की सारी जिम्मेदारी मोनू पर ही थी।





from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/3mDLePL
https://ift.tt/3BuGYIN

No comments