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सिंधिया परिवार में सब कुछ ठीक? ज्योतिरादित्य से अलग बुआ यशोधरा और वसुंधरा राजे ने मनाई राजमाता की जयंती

एच कुमारग्वालियर सिंधिया राजपरिवार (Scindia Family News) के राजनीतिक दल भले ही एक हो गए हैं लेकिन परिवार में मनभेद अभी तक बरकरार है। इसकी...

एच कुमारग्वालियर सिंधिया राजपरिवार (Scindia Family News) के राजनीतिक दल भले ही एक हो गए हैं लेकिन परिवार में मनभेद अभी तक बरकरार है। इसकी बानगी पिछले कुछ दिनों से चल रहे घटनाक्रम को देखने को मिला है। भतीजे और बुआ की राहें अभी भी अलग हैं। राजमाता विजया राजे सिंधिया की जयंती को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में अलग से मनाया। इसके बाद उनकी बुआ यशोधरा राजे ने भी अलग से कार्यक्रम में आयोजित किया। दोनों एक-दूसरे के कार्यक्रम में नहीं गए। मगर बीजेपी के नेता इसमें पहुंचते रहे हैं। बुआ और भतीजे के इन मतभेदों की वजह से बीजेपी पार्टी भी तीन गुट में नजर आ रही है। दरअसल, 12 अक्टूबर को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी दादी और बीजेपी की संस्थापक सदस्य राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती पर ग्वालियर के कटोरा ताल रोड स्थित छतरी में भव्य तरीके से मनाया था। इस कार्यक्रम में उनकी मां, पत्नी और बेटा भी दिखे थे। मगर दोनों बुआ नहीं आई थीं। साथ ही सिंधिया के तमाम समर्थक मंत्री भी पहुंचे थे। इसके अलावे उस क्षेत्र के कई दिग्गज नेता भी थे। मगर सबको इस कार्यक्रम से ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया ने दूरी खटक रही थी। दोनों बुआ में से कोई भी बुआ ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यक्रम नहीं पहुंची। वहीं, सिंधिया घराने के मतभेद 24 अक्टूबर को और भी खुलकर सार्वजनिक तौर पर सामने आ गए। राजमाता विजया राजे सिंधिया की बेटी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया ने अपनी मां राजमाता विजयराजे सिंधिया की जयंती का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं पहुंचे। साथ ही उनके समर्थक मंत्री भी नहीं पहुंचे। वहीं, कहने को तो यशोधरा राजे सिंधिया भी एमपी सरकार में मंत्री हैं लेकिन गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह के अलावा सरकार की तरफ से दूसरा कोई भी व्यक्ति कार्यक्रम में शिरकत करने नहीं पहुंचा। अपनी बहन का साथ देने के लिए राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया की दूसरी बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया जरूर ग्वालियर पहुंची और छतरी पर पहुंचकर जयंती कार्यक्रम में शामिल हुई। कांग्रेस ने साधा निशाना राजमाता विजया राजे सिंधिया के दो बार जयंती कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक में तमाम चर्चाएं चल रही हैं। दो बार हुए जयंती कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी बुआ के बीच चल रहे मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राम प्रताप सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि राजमाता की विरासत को संभालने के लिए अब बुआ और भतीजे की लड़ाई सड़कों पर दिख रही है। बीजेपी ने कहा, अपने घर की चिंता करें वहीं, कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक पकंज चुतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले अपने विवादों की चिंता करें, जिस प्रकार के विवाद कांग्रेस में राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर हैं। कांग्रेस पहले उनसे निपटे। कल ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के उपचुनाव अभियान के दायित्व के तहत चुनाव प्रचार में थे। दरअसल, बुआ और भतीजे की यह लड़ाई नई बात नहीं है। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया के भी अपनी बहनों से मतभेद रहे। मतभेद का कारण सिंधिया घराने की संपत्ति विवाद बताया जाता है। संपत्ति की वजह से विवाद जानकार बताते हैं कि सिंधिया घराने की संपत्ति को लेकर बीते 40 सालों से यह विवाद चला आ रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले यह विवाद माधवराव सिंधिया के साथ मौजूद रहा और अब माधवराव सिंधिया के बाद यह विवाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जारी है। पहले बुआ और भतीजे की पार्टियां अलग-अलग हुआ करती थीं। बुआ बीजेपी में तो भतीजा कांग्रेस में हुआ करता था, लेकिन अब दोनों की पार्टी तो एक हो गई है पर मतभेद अब भी जारी है। बीजेपी में अब बुआ और भतीजे के बीच राजनीतिक वर्चस्व की भी खींचतान शुरू हो गई है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने से जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद काफी बड़ा हो गया है। वहीं यशोधरा राजे सिंधिया को उनके मंत्रिमंडल के मंत्रियों का भी पूर्ण रूप से साथ मिलता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में पार्टी के अंदर बुआ से ज्यादा भतीजे का पलड़ा भारी है। बीजेपी का एक गुट ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ है जबकि बीजेपी का दूसरा गुट यशोधरा राजे सिंधिया के साथ है। जबकि तीसरा गुट वह है जो ना तो ज्योतिरादित्य सिंधिया से और ना ही यशोधरा राजे सिंधिया से बैर लेना चाहता है। इसलिए तीसरा गुट किसी भी तरफ अपना झुकाव नहीं दिखा रहा है। दो बार आयोजित की गई जयंती समारोह में बुआ भतीजे के विवाद को सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।


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