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Rajasthan: पोस्टमार्टम गैंग का खुलासा, डॉक्टर-वकील-पुलिसकर्मी समेत 15 गिरफ्तार

रेखा शर्मा, दौसा क्या आपने कभी सुना है कि किसी व्यक्ति की मौत नहीं हो और उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बन जाए? यही नहीं, उसके पोस्टमार्टम रिपो...

रेखा शर्मा, दौसा क्या आपने कभी सुना है कि किसी व्यक्ति की मौत नहीं हो और उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बन जाए? यही नहीं, उसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर 10 लाख रुपए का क्लेम भी उठा लिया जाए! सुनने में ये असंभव लगता है लेकिन ऐसा एक केस नहीं बल्कि अनेक मामले हैं। जी हां, राजस्थान के दौसा में ऐसे ही गिरोह से जुड़े 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में वकील, पुलिसकर्मी, डॉक्टर और कंपनी सर्वेयर भी शामिल हैं। खुलासा दिल्ली के अरुण के फर्जी पोस्टमार्टम से हुआ, 3 और मामले मिले फर्जी पोस्टमार्टम गिरोह की पूरी क्राइम कुंडली समझने के लिए हम आपको वर्ष 2016 में दर्ज हुए एक मुकदमे के बारे में बताते हैं। दरअसल, दिल्ली के रहने वाले अरुण नामक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत का मामला कोतवाली थाने में दर्ज कराया था। इस मामले में जांच अधिकारी रमेश चंद और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सतीश गुप्ता, एडवोकेट चतुर्भुज मीणा की मिलीभगत सामने आई। पता चला कि अरुण नामक व्यक्ति की मौत ही नहीं हुई है और वह अभी भी जिंदा है। इसके बावजूद भी उसका एक्सीडेंट दिखाया गया और फर्जी पोस्टमार्टम भी दस्तावेजों में किया गया। इतना ही नहीं वकील और बीमा कंपनी के सर्वर के जरिए 10 लाख रुपए का क्लेम भी ले लिया गया। 2019 में डॉक्टर, पुलिसकर्मी, वकील पकड़े, अब 15 गिरफ्तार दिल्ली के इस अरुण के फर्जी पोस्टमार्टम का राज दो साल पहले ही खुल चुका था। इस पूरे मामले का पता लगने के बाद एसओजी और सोशल पुलिस ने वर्ष 2019 में डॉक्टर, पुलिसकर्मी, वकील आदि को गिरफ्तार कर लिया था। अब इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की गई तो इस तरह के और कई मामले सामने आए। इनमें सड़क दुर्घटना नहीं होने के बावजूद भी कागजों में सड़क दुर्घटना दिखाई गई। व्यक्ति को मृत बताकर फर्जी पोस्टमार्टम किया गया। इस तरह के अनेक मामले सामने आने के बाद दौसा पुलिस ने मुकदमा दर्ज किए और जांच शुरू की। जिसके बाद इन मामलों की जांच सीआईडी सीबी और जयपुर रेंज आईजी ऑफिस की ओर से भी की गई। लंबी जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने कुल 3 मामलों का खुलासा किया है। मौत 3 महीने पहले, पोस्टमार्टम में बताया एक्सीडेंट दौसा एसपी अनिल बेनीवाल ने प्रेस वार्ता करके बताया कि 2016 में बेजवाडी निवासी राम कुमार मीणा का फर्जी एक्सीडेंट और फर्जी पोस्टमार्टम दिखाया गया था। जबकि रामकुमार की मौत दस्तावेजों में दिखाई गई। मौत से 3 माह पहले ही हार्ट अटैक से हो गई थी। इसी तरह 2016 में भांवता गांव निवासी जनसीराम और नाथूलाल की मौत सड़क दुर्घटना में बताकर फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की गई थी। जबकि जनसीराम की हार्टअटैक से और नाथूलाल की मृत्यु कैंसर से हुई थी। ये दोनों ही मौतें फर्जी पोस्टमार्टम की डेट से कई माह पूर्व हो गई थी। जेल से बाहर आया डॉक्टर बहाल, पुलिसकर्मी ने वीआरएस लिया इन मामलों के खुलासे के बाद पुलिस ने इन मामलों में आरोपी डॉक्टर सतीश गुप्ता, पुलिस के एएसआई रमेश चंद, एडवोकेट चतुर्भुज मीणा सहित कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन तीनों मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी वर्ष 2019 में भी इसी तरह के एक प्रकरण में हो चुकी है। ऐसे में गिरफ्तारी के बाद जमानत पर बाहर आए पुलिसकर्मी ने नौकरी से वीआरएस भी ले लिया है। वहीं डॉक्टर को बहाल कर दिया गया था। जिसे ऑन ड्यूटी पुलिस ने अब अन्य मुकदमों में गिरफ्तार कर लिया है। दौसा के चर्चित फर्जी पोस्टमार्टम मामले में पुलिस ने 15 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और अभी करीब 8 आरोपी इस मामले में फरार चल रहे हैं। पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है। लेकिन इस तरह डॉक्टर, पुलिस, वकील, बीमा कंपनी के सर्वेयर सभी की मिलीभगत से निश्चित रूप से सिस्टम की फेलियर व्यवस्था भी सामने आती है।


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