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UP में कई बीजेपी विधायकों के कट सकते हैं टिकट? शाह ने इशारों में कह दी बड़ी बात

लखनऊ यूपी में फर्श पर पहुंच चुकी भाजपा को अर्श पर लाने के सूत्रधार रहे अमित शाह ने 2022 के विधानसभा चुनाव की कमान संभाल ली है। शुक्रवार क...

लखनऊ यूपी में फर्श पर पहुंच चुकी भाजपा को अर्श पर लाने के सूत्रधार रहे अमित शाह ने 2022 के विधानसभा चुनाव की कमान संभाल ली है। शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में शाह ने पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को बंद हॉल में खुले तौर पर अनुशासन का फलसफा समझाया। महत्वाकांक्षाओं पर लक्ष्मण रेखा खींची। कहा, सबकी जिम्मेदारी तय होगी, काम मिलेगा। कुछ लोग चुनाव लड़ेंगे, कुछ लोग चुनाव लड़वाएंगे। सबको मिलकर मिशन 2022 में जुटना होगा। सुबह सदस्यता अभियान का आगाज करने के बाद अमित शाह दोपहर बाद चुनावी रणनीति को अंजाम देने में जुटे। बैठक में पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों, लोकसभा प्रभारियों व लोकसभा संयोजकों को बुलाया गया था। दरअसल ये वे चेहरे हैं जो संगठन की रणनीति को समझते हैं, जिनकी टिप्पणियां माहौल बनाने के काम आती हैं और जिनका रुख कार्यकर्ताओं की दशा-दिशा तय करने में अहम है। साथ ही पूर्व से वर्तमान बनने की महत्वाकांक्षाएं भी हैं, जो कभी उत्साह तो कभी टकराव की वजह भी बनती हैं। इसलिए अमित शाह ने संवाद व नसीहत का सिलसिला उनसे ही शुरू किया। 'अब आयाराम, गयाराम नहीं चलेगा' शाह ने कहा कि 2022 का चुनाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी को पूरी क्षमता के साथ जुटना होगा। सूत्रों के अनुसार शाह ने इशारों में यह भी नसीहत दी कि चुनाव के समय निष्ठा बदलने से स्थितियां नहीं बदलेंगी। उन्होंने कहा कि अनुशासन अहम है। आयाराम-गयाराम नहीं चलेगा। पार्टी के हर कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिल सकता। आप को जब टिकट मिला था, तब कुछ लोगों को टिकट नहीं मिला होगा। लेकिन, उन्होंने आपको जिताने में योगदान दिया। इसलिए संगठन जो कहे, उसे अमल में लाइए। शाह ने भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाई ठाकरे का उदाहरण दिया कि किस तरह उन्होंने चुनाव लड़ने से ज्यादा प्राथमिकता संगठन के विस्तार को दी। 'कोर निर्णयों के लिए मजबूत सरकार जरूरी' सूत्रों के अनुसार, शाह ने 2013 के बाद यूपी में भाजपा में मिली सफलता, उसकी रणनीति के विभिन्न आयामों का भी जिक्र किया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुआई में बनी गठबंधन सरकार की नजीर देते हुए कहा कि हमारे पास अपना पूरा संख्याबल नहीं था तो निर्णयों के लिए दूसरों की इच्छा व समर्थन पर निर्भर रहना पड़ता था। जब केंद्र व प्रदेश में मजबूत सरकार बनी तो सभी कोर मसलों पर निर्णय लिया जा सका। इसलिए मजबूत सरकार के गठन के अभियान को जारी रखना है। शाह ने सौरभ मालवीय की लिखी पुस्तक 'अंत्योदय को साकार करता उत्तर प्रदेश' का विमोचन भी किया। बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, सहचुनाव प्रभारी अनुराग ठाकुर, संगठनात्मक प्रभारी राधामोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, संगठन महामंत्री सुनील बंसल, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा आदि मौजूद थे।


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