लखनऊ पूर्वांचल में गठबंधन की गांठ मजबूत करने के बाद सपा ने पश्चिम यूपी में भी पुराने साथी रालोद से रिश्ते और गाढ़े करने की ओर कदम बढ़ा दि...
लखनऊ पूर्वांचल में गठबंधन की गांठ मजबूत करने के बाद सपा ने पश्चिम यूपी में भी पुराने साथी रालोद से रिश्ते और गाढ़े करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। मंगलवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख जयंत सिंह के बीच एक घंटे से अधिक चली मुलाकात में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन का फॉर्म्यूला तय हो गया। सूत्रों के अनुसार, रालोद के लिए 30 से अधिक सीटों के नाम तय हो गए हैं, जबकि कुछ और सीटें समायोजन के तहत उसे मिल सकती हैं। ऐसे में रालोद को करीब 36 सीटें मिलने के आसार हैं। दोनों दल साथ चुनाव लड़ने के लिए सैद्धांतिक रूप से पहले ही सहमत थे, लेकिन पेंच सीटों को लेकर था। रालोद सपा से 45-50 सीटें मांग रही थी। इसी बीच कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस से भी गठबंधन की हवा उड़ी। हालांकि, मंगलवार को अखिलेश-जयंत की मुलाकात से सभी चर्चाओं पर विराम लग गया। सूत्रों के अनुसार तय सीटों के अलावा रालोद जो सीटें मांग रही है, उस पर 2017 में सपा उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे। इन सीटों पर कैराना उपचुनाव का मॉडल अपनाने पर सहमति बनी है। 2018 में कैराना सीट रालोद के खाते में थी, लेकिन उसके सिंबल पर चुनाव सपा नेत्री तब्स्सुम हसन लड़ी थीं। 'जयंत चौधरी के साथ बदलाव की ओर' मुलाकात के बाद जयंत ने अखिलेश संग 'बढ़ते कदम' टैगलाइन के साथ फोटो ट्वीट की। अखिलेश ने भी हाथ मिलाते हुए फोटो पोस्ट की और लिखा 'जयंत चौधरी के साथ बदलाव की ओर' 2017 में भी हुआ था गठबंधन सपा और रालोद ने 2017 का विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव साथ मिलकर लड़ा था। दोनों ही दोनों के बीच गठबंधन का उद्देश्य पश्चिमी यूपी की महत्वपूर्ण सीटों पर मुस्लिम और जाट वोटों को मजबूत करना है। 2013 में मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के बाद दोनों समुदायों के बीच संबंध तनावपूर्ण थे, विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में भाजपा को आगे बढ़ने में मदद मिली।
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