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राजस्थान : पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह सहित 3 लोगों के खिलाफ अरेस्ट वारंट, कोर्ट ने माना इस मामले में दोषी

अर्जुन अरविंद, बूंदी राजस्थान के बूंदी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ...

अर्जुन अरविंद, बूंदीराजस्थान के बूंदी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह को फर्जी डीड के आधार पर ट्रस्ट बनाने के मामले में दोषी माना हैं। कोर्ट ने भंवर जितेंद्र सिंह सहित तीन लोगों को गिरफ्तारी वारंट से शुक्रवार को तलब किया। मामले में कोर्ट ने बूंदी के पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाड़ा और भंवर जितेंद्र सिंह के ससुर बृजेंद्र सिंह को दोषी माना हैं।कोर्ट ने इन्हें 6 जनवरी 2022 को पेश होने के आदेश दिए। बूंदी रियासत के पूर्व नरेश स्वर्गीय रणजीत सिंह ने अपने हिस्से की संपत्ति की वसीयत अपने मित्र अविनाश चांनना के नाम की थी। ये है पूरा मामला स्वर्गीय रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके भांजे भंवर जितेंद्र ने एक ट्रस्ट डीड उजागर की। इसमें रणजीत सिंह ने अपनी संपत्ति की ट्रस्टी डीड बनाकर उसे आशापुरा माता मंदिर को समर्पित कर दिया। इस वसीयत के अनुसार आशापुरा माता मंदिर का इंचार्ज भंवर जितेंद्र को मुख्य सेवायत बनाया था। इस आधार पर रणजीत सिंह की सारी संपत्ति आशापुरा ट्रस्ट को हस्थानांतरित कर दी थी। संपत्ति का बंटवारा को लेकर विवादअविनाश चांनना के पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर एडवोकेट कानसिंह राठौर के मुताबिक कि भंवर जितेंद्र ने साल 2008 में इस ट्रस्ट डीड को बनना बताया है। जबकि 8 मई 2008 को हाईकोर्ट में भंवर जितेंद्र ने संपत्ति विवाद के मामले में रणजीत सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कोर्ट से उनके मामा रणजीत सिंह को जेल भेजने की अपील की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। उसी दौरान रणजीत सिंह ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर अनुरोध किया था, कि मेरी और जितेंद्र सिंह के बीच संपत्ति का बंटवारा कर दिया जाए। मुझे मेरे हिस्से की संपत्ति दे दी जाए, जिसका कि मैं अपने जीवन काल में उपयोग, उपभोग कर सकूं। इसी दौरान भंवर जितेंद्र ने रणजीत सिंह के द्वारा उनकी संपत्ति की ट्रस्ट डीड बनाना बताया। जिसमें भंवर जितेंद्र को मुख्य सेवारत मनोनीत किया गया था। पुलिस की रिपोर्ट को दी थी चुनौतीएडवोकेट राठौड़ के मुताबिक उन्होंने कोर्ट में इसी आधार पर पुलिस की अंतरिम रिपोर्ट को चुनौती दी थी। एक तरफ भंवर जितेंद्र, संपत्ति मामले में कोर्ट की अवमानना पर अपने मामा रणजीत सिंह को जेल भेजने की अपील कर रहे थे। उसी समय उनके मामा कैसे यह ट्रस्ट डीड कर सकते हैं। साथ ही जब इस ट्रस्ट डीड के आधार पर जितेंद्र सिंह, रणजीत सिंह की संपत्ति के मुख्य कर्ता-धर्ता हो गए थे, तो फिर उन्होंने मामा के खिलाफ संपत्ति का केस उनकी मौत के बाद तक क्यों चलाए रखा था। 2017 में दर्ज हुआ था मामला एडवोकेट राठौर ने बताया कि इस मामले में रणजीत सिंह के मित्र अविनाश चानना ने ट्रस्ट डीड को फर्जी बताते हुए साल 2017 में कोतवाली पुलिस थाने में भंवर जितेंद्र और ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाडा, बृजेंद्र सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया था। भंवर जितेंद्र ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस मुकदमे को खारिज करने की अपील की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जबकि बूंदी पुलिस ने इस मामले में अंतरिम रिपोर्ट (FR) लगाकर मामला कोर्ट में पेश कर दिया था। कोर्ट में चांनना ने पुलिस द्वारा लगाई गई। अंतरिम रिपोर्ट को चुनौती दी। जिस पर शुक्रवार को न्यायालय ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद पर प्रसंज्ञान लेते हुए भंवर जितेंद्र सिंह, श्रीनाथ सिंह हाड़ा, बृजेंद्र सिंह को भादस 420,467,468, 471 में दोषी मानते हुए उन्हें गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है।


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