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जंगलों में छिपा है पेट्रोलियम पदार्थों का विकल्प, वैकल्पिक ईंधन की खोज को लेकर रिसर्च में आई तेजी

रवि सिन्हा, रांची पेट्रोलियम पदार्थों के लिए भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बीच व...

रवि सिन्हा, रांची पेट्रोलियम पदार्थों के लिए भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बीच वैकल्पिक ईंधन पर चर्चा का दौर जारी है। इसकी खोज को लेकर रिसर्च का काम चल रहा। इस बीच भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद की रांची स्थित संबंधित इकाई वन उत्पादकता संस्थान भी केंद्र सरकार के निर्देश पर लगातार नई खोज और रिसर्च में जुटी है। वन उत्पादकता संस्थान के निदेशक और वैज्ञानिक डॉ. नितिन कुलकर्णी का मानना है कि पेट्रोलियम पदार्थों का विकल्प जंगल में ही छिपा हैं। नवभारतटाइम्स ऑनलाइन से विशेष बातचीत में डॉ. कुलकर्णी ने कहा कि वातावरण और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक लगातार इस कोशिश में जुटे हैं कि कैसे बायो प्रोडक्ट को बढ़ावा मिले। जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके। केंद्र सरकार भी इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है और वैकल्पिक ईंधन की खोज को लेकर जंगल में शोध और अनुसंधान का काम चल रहा है। दुनिया भर में पेट्रोलियम पदार्थों की सीमित मात्रा के कारण अब सभी देश वैकल्पिक ईंधन के स्त्रोत तलाशने में जुटे हैं। ऐसे में अपने देश में भी कई ऐसे पेड़-पौधे हैं, जिसका उपयोग पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में संभव है। इनमें जैट्रोफा और करंज समेत अन्य पेड़ की उपलब्धता भारत में हैं। झारखंड में भी करंज के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, कैसे इनकी गुणवत्ता में सुधार हो और इससे ज्यादा से ज्यादा तेल निकाला जा सके, इस दिशा में संस्थान की ओर से शोध किए जा रहे हैं। इसके अलावा इस तरह के अन्य पेड़-पौधों की भी पहचान की जा रही है, जिससे बॉयो प्रोडक्ट का उत्पादन हो सके।


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