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स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में लखनऊ बना यूपी का का सबसे साफ शहर, जानें कैसे मिली उपलब्धि

लखनऊ साफ-सफाई के मामले में लखनऊ का दबदबा कायम रहा। शनिवार को जारी स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की रिपोर्ट में लखनऊ प्रदेश में नंबर-1 रहा। जबकि दे...

लखनऊसाफ-सफाई के मामले में लखनऊ का दबदबा कायम रहा। शनिवार को जारी स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की रिपोर्ट में लखनऊ प्रदेश में नंबर-1 रहा। जबकि देश में 12वें नंबर पर रहा। इससे पहले भी लखनऊ देश में 12वें और प्रदेश में नंबर-1 था। शहर को दो अवॉर्ड भी मिले हैं। इनमें एक बेस्ट स्टेट कैपिटल सिटी इन सिटीजन फीडबैक और दूसरा गार्बेज फ्री सिटी पर थ्री स्टार रहा। इस मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में मेयर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने ये अवॉर्ड लिए। वहीं, देश में इंदौर को लगातार पांचवीं बार देश का सबसे साफ शहर घोषित किया गया है। छत्तीसगढ़ सबसे साफ राज्य बना है। वाराणसी को 'स्वच्छ गंगा शहर' की कैटिगरी में पहला पुरस्कार मिला। एनसीआर में नोएडा को 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में सबसे स्वच्छ मध्यम शहर का अवॉर्ड मिला है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरा मुक्त भारत बनाने के लिए केंद्र की ओर से चालू किया गया यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वे है। फीडबैक में लखनऊ टॉप पर देश में लखनऊ को बेस्ट स्टेट कैपिटल सिटी सिटीजन इन फीडबैक अवॉर्ड प्राप्त हुआ है। फीडबैक और सिटीजन एंगेजमेंट के 1800 नंबर में 1549.78 नंबर लाकर लखनऊ टॉप पर है। वहीं, शौचालय की सफाई में ओडीएफ प्लस प्लस के 600 और IHHL के 120 नंबर मिलाकर 720 नम्बर प्राप्त हुए हैं। गार्बेज फ्री सिटी में तीन सितारा लखनऊ को प्रदेश में पहला तो देश में 12वां स्थान मिला है। इसके साथ बेस्ट स्टेट कैपिटल सिटी इन सिटिजन फीडबैक और गार्बेज फ्री सिटी में थ्री स्टार का अवॉर्ड भी मिला है। पिछले साल गार्बेज फ्री सिटी में लखनऊ को एक स्टार मिला था। सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी होने के मौके पर शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में मेयर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी को दोनों अवॉर्ड दिए गए। जानें यह भी 4320 शहरों में हुआ सर्वे 4586.17 अंक मिले लखनऊ नगर निगम को 6000 में इन कोशिशों की बदौलत बरकरार रही रैंक प्लॉटों से हटाया कूड़ा: 6 महीने में करीब 10,000 खाली प्लॉटों और अन्य जगहों को कूड़ामुक्त किया गया। करीब 120 खुले कूड़ाघरप हटाए दए। सड़क की सफाई: शहर में 62 डिवाइडर और रोड की सफाई के लिए 9 मैकेनाइज स्वीपिंग मशीन चलाई जा रही हैं। कारकस प्लांट: सफाई के लिए कारकस प्लांट लगाया गया, जहां मृत पशुओं के शवों का निस्तारण किया जा रहा है। घर-घर कूड़ा उठान: इसके लिए 500 से ज्यादा गाड़ियां लगाई गईं। इसके साथ 100 से ज्यादा नई जीपीएस युक्त गाड़ियां इकोग्रीन को दी गईं। हर गाड़ी में गीला कचरा, सूखा, मेडिकल कचरा, इलेक्ट्रानिक कचरा के चार बॉक्स हैं। कॉम्पैक्टर: कूड़ा कंप्रेस करने के लिए 84 कॉम्पैक्टर लगाए गए हैं, जहां कूड़ा शिवरी प्लांट पहुंचाया जाता है। अंडर ग्राउंड बिन: कूड़े का स्मार्ट तरीके से निस्तारण के लिए दिल्ली की तर्ज पर अंडरग्राउंड बिन बनाए जा रहे हैं। 18 जगह इनका निर्माण तेजी से चल रहा है। ट्रीटमेंट प्लांट: गंदे पानी की सफाई के लिए ट्रीटमेंट प्लांट बनवाया गया। ट्रीटमेंट के बाद 85 प्रतिशत प्राप्त पानी उपयोग में लाया जा रहा है। सीवेज स्लज के ट्रीटमेंट के लिए भरवारा में 345 एमएलडी, दौलतगंज में 54 एमएलडी, वृंदावन योजना में 32 एमएलडी क्षमता का एसटीपी चल रहा है। सेप्टिक टैंक सफाई: 43 विशेष वाहन लगाए गए हैं, जो टोल फ्री नंबर 14420 पर कॉल करने पर न्यूनतम शुल्क लेकर घर के सेप्टिक टैंक की सफाई करते है। जागरूरता: स्वच्छता के प्रति जागरूकता के लिए स्कूलों निबंध, वाद-विवाद, चित्रकला प्रतियोगिताएं करवाई गईं। नुक्कड़ नाटक के जरिए प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने के लिए अभियान चलाया गया। थैला बैंक, बर्तन बैंक: थैले का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए नगर निगम ने हर जोन में थैला बैंक शुरू किया। कल्याण मंडपो में बर्तन बैंक शुरू किए। सफाई: सभी जोन के बाजारों में नाइट स्वीपिंग भी कराई जा रही है। सफाईकर्मी, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की बायोमीट्रिक हाजिरी लग रही है और जीपीएस बेस्ड मोबाइल के जरिए उनकी मानिटरिंग की जा रही है। इसके साथ अफसर भी सुबह वॉर्डों में निगरानी के लिए पहुंचे रहे हैं। टैक्स में सुधार: साल 2011 के जनगणना के अनुसार नगर निगम में कुल 553819 रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी थी, जो जीआईएस सर्वें के बाद बढ़कर 605270 हो गई। इन खामियों से नहीं हुआ सुधार - कॉम्पैक्टर की खराबी से फैलने वाली गंदगी - सफाई में कार्यदायी संस्था की लापरवाही - सार्वजनिक शौचायलों के बंद रहने से फैली गंदगी - कूड़ा ढोने में इस्तेमाल हो रहीं कबाड़ गाड़ियां - डोर टु डोर कूड़ा कलेक्शन में लापरवाही - गीला और सूखा कूड़ा अलग करने में लापरवाही - लोगों में जागरूकता का अभाव ऐसे सुधरी रैंकिंग 2017- 269 2018- 115 2019- 121 2020- 12 2021- 12


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