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आंखों में जलन, सांसों पर संकट... आपके पूरे शरीर को खोखला कर रहा जानलेवा प्रदूषण, यूं बरतें सावधानियां

गाजियाबाद पिछले लगभग 5 साल से हर साल दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर के लोगों को स्मॉग (वायु प्रदूषण) से जूझना पड़ रहा है। इस साल भी दिवाली के...

गाजियाबादपिछले लगभग 5 साल से हर साल दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर के लोगों को स्मॉग (वायु प्रदूषण) से जूझना पड़ रहा है। इस साल भी दिवाली के बाद से वायु प्रदूषण घातक स्तर पर है। ऐसे में लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी, त्वचा पर रेशेज, हाई बीपी और पेट की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि हवा में घुले जहरीले तत्व सांस के जरिए शरीर के सभी ऑर्गन तक पहुंचते हैं और इनके काम करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। कंबाइंड अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉ. आरसी गुप्ता और जिला एमएमजी अस्पताल के सीनियर फिजिशनयन डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि कोहरा और जहरीले स्मॉग का जो कॉम्बीनेशन है वह लोगों की सेहत और जीवन के लिए बेहद खतरनाक है। हर ऑर्गन को करता है प्रभावित स्मॉग में घुले जहरीले तत्व सांस के साथ फेफड़ों और शरीर के अन्य सभी ऑर्गन तक पहुंचकर वहां चिपक जाते हैं। जिनका फौरी तौर पर सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन, घबराहट, सिर दर्द और उल्टी का मन होने के रूप में सामने आते हैं लेकिन, इसके बाद में उभरने वाले प्रभावों में अस्थमा, टीबी और कैंसर जैसे गंभीर रोग सामने आ सकते हैं। बच्चों का विकास होता है प्रभावितइसके अलावा स्मॉग बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। जिला एमएमजी अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके जैन के अनुसार वायु प्रदूषण बच्चों के लंग, किडनी और आंखों के अलावा दिमाग पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। बच्चों का शरीर विकास की अवस्था में होता है, ऐसे में प्रदूषण उनके लिए बेहद हानिकारक है। हर साल उनके पास सांस लेने में परेशानी और दमे की शिकायत वाले बच्चे आते हैं। महिलाओं में भी गंभीर बीमारियांवरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. वाणी पुरी रावत बताती हैं कि महिलाओं में होने वाली हाई रिस्क प्रेगिनेंसी और पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के पीछे प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है। प्रदूषण के कारण गर्भवती महिलाओं को कई गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है। शरीर का हर अंग होता है प्रभावितआईएमए के पूर्व अध्यक्ष और सीनियर फिजिशियन डॉ. वीबी जिंदल कहते हैं कि प्रदूषण से केवल फेफड़े और दिल ही नहीं शरीर का प्रत्येक अंग प्रभावित होता है। प्रदूषण के कारण बाल, आंख, गला, लीवर, बोनमेरो, सिर दर्द, नर्वस सिस्टम और त्वचा भी बुरी तरह से प्रभावित होती है। इससे डायरिया भी हो सकता है। स्मॉग में मौजूद हानिकारण तत्व सांस के जरिए हमारे शरीर में जाते हैं और आंतों में पहुंचते हैं। जहां से ये विषैले तत्व खून में शामिल होकर पूरे शरीर को रोगी बना सकते हैं। डॉ. जिंदल ने कहा कि इससे पुरुषों के स्पर्म पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है, उनमें नपुंसकता बढ़ रही है। स्मॉग हो तो सैर से करें परहेजआयुर्वेद एवं युनानी चिकित्सा के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अशोक राना का कहना है कि स्मॉग के प्रभाव को कम करने के लिए कई तरह के काढ़े आयुर्वेद में हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं। इसके अलावा जब तक स्मॉग है तब तक सुबह और शाम की सैर बंद कर देनी चाहिए। इसके अलावा नाक को गीले रुमाल से ढककर रखना चाहिए। गीला रुमाल (पानी में भिगोकर अच्छे से निचोड़ा हुआ) स्मॉग के हानिकारक तत्वों को रोक लेता है और नाक तक स्वच्छ वायु ही पहुंचती है। ये सा‌वधानियां बरतें
  • - सुबह सैर पर जाने से पहले कुछ न कुछ जरूर खाएं, खाली पेट टहलने न निकले।
  • - पार्क में देख लें कि ओस पड़ी है या नहीं, ओस पड़ने के बाद ही टहलें क्योंकि ओस प्रदूषण की एक परत को खत्म कर देती है।
  • - सुबह सैर करने के दौरान मास्क का प्रयोग जरूर करें, चेहरे पर रुमाल या कोई कपड़ा भी बांध सकते हैं। कपड़े की दो परत 70 प्रतिशत तक खतरे को कम करती है।
  • - ज्यादा स्मॉग के दौरान घर में ही हल्का व्यायाम करें और योगासन करें।
  • - डायट में सुधार करें, हेल्दी डायट लें और दिन भर खूब पानी पिएं, इससे प्रदूषण के हानिकारक तत्व शरीर से बाहर निकलाने में मदद मिलेगी।
  • - जो लोग नियमित व्यायाम करते हैं वे जरूर करें, जो नहीं करते वह शाम को चार बजे से सात बजे तक सैर करें।
  • - अपने घर और दफ्तर के आसपास कूड़ा, कचरा और धूल नहीं फैलने दें।


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