प्रदूषण एक बार फिर गंभीर स्थिति में पहुंच गया। उत्तर प्रदेश के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यूपी के शहरों ने प्रदूषण के लिए मशहूर दिल्ली को भ...

मंगलवार को दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर चला गया, जोकि स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब हवा होने का प्रतीक है। एनसीआर के शहरों का भी यह हाल रहा। गाजियाबाद का AQI 451 पहुंच गया। फरीदाबाद का 430 और नोएडा का 426 रहा।

प्रदूषण एक बार फिर गंभीर स्थिति में पहुंच गया। उत्तर प्रदेश के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यूपी के शहरों ने प्रदूषण के लिए मशहूर दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया। टॉप तीन प्रदूषित शहर यूपी के फिरोजाबाद, आगरा और वृंदावन दर्ज किए गए। फिरोजाबाद का एक्यूआई 489 रहा। वहीं दूसरे नंबर पर 472 एक्यूआई के साथ नोएडा रहा और तीसरा सबसे प्रदूषित शहर 454 एक्यूआई के साथ वृंदावन दर्ज किया गया।
सांस लेने में हो रही परेशानी

इस हफ्ते ठंड भी बढ़ रही है, लिहाजा प्रदूषण की हालत चिंताजनक बनी हुई है। उत्तर भारत के कई शहरों में लोग वायु प्रदूषण की वजह से सांस लेने में परेशानी महसूस कर रहे हैं। घुटन का आलम ऐसा है कि दो कदम चलते ही सांस फूलने लगती है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि इस परेशानी से बचने के लिए वह क्या करें।
नोएडा, गाजियाबाद, बागपत समेत एनसीआर में प्रदूषण

प्रदूषण के मामले में गंभीर स्तर पर चल रहे शहरों में बागपत 442, बल्लभगढ़ 412, फरीदाबाद 430, गाजियाबाद 451, ग्रेटर नोएडा 412, गुरुग्राम 368, हापुड़ 433, जींद 403, कैथल 418, मेरठ 433, मुज्जफरनगर 410 और नोएडा 426 पर रहे।
ताजमहल को प्रदूषण ने जकड़ा, नजर आना हुआ बंद

आगरा में मंगलवार को बिगड़ी हवा के पीछे मुख्य वजह धूल कणों की भारी मौजूदगी रही। जो सीवर लाइन, पानी की लाइन, ताजमहल के 500 मीटर परिधि से सटे पीएसी मैदान में यूपी मेट्रो कॉरपोरेशन के निर्माण कार्य, हाइवे पर फ्लाईओवर निर्माण और ट्रैफिक जाम के कारण वातावरण में बने रहे। भारी धुंध और जहरीली गैसों के कारण स्मॉग की चादर पूरे दिन शहर पर छाई रही। रिपोर्ट के मुताबिक, शहर के पांच सेंटरों में की गई जांच में सोमवार को ताजमहल पर प्रदूषण की मात्रा शहर के अन्य हिस्सों के मुकाबले ज्यादा रही। ताज ट्रिपेजियम जोन के गठन के बाद 25 सालों में यह पहला मौका है जब ताजमहल के पास इस कदर भारी मात्रा में प्रदूषण दर्ज किया गया। बीते सालों में ताजमहल पर एक्यूआई शहर के अन्य हिस्सों के मुकाबले सबसे कम दर्ज किया जाता रहा है।
घर से बाहर सांस लेना हो रहा दूभर

पिछले कई दिन से लोगों को घरों से निकलने में दिक्कत हो रही है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ है। शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों प्रदूषण से प्रभावित मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। खासकर उन लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है जो कि पिछले दिनों कोरोना की चपेट में आ गए थे। ऐसे लोगों के लंग्स ने अभी ठीक से काम करना शुरू भी नहीं किया था कि अब प्रदूषण की मार में इनके लंग्स संघर्ष कर रहे हैं। वहीं संबंधित विभागों के भी हाथ पांव फूले हुए हैं। सिवाय चालान काटने और पानी का छिड़काव होने के अलावा दूसरा उपाय प्रदूषण की रोकथाम के लिए संबंधित विभागों के पास भी नजर नहीं आ रहा है।
नोएडा में ऐसे बढ़ा प्रदूषण

6 दिन से नोएडा का एक्यूआई 400 के पार चल रहा है। 5 नवंबर को दिवाली के अगले दिन जहां एक्यूआई का ग्राफ नोएडा में 475 पर पहुंच गया था उसके बाद 3-4 दिन में थोड़ी-थोड़ी गिरावट के साथ 412 पर सोमवार को पहुंचा ती लेकिन मंगलवार को फिर से बढ़ना शुरू हो गया है। मंगलवार को ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 116 पॉइंट बढ़ गया। 328 से सीधे 412 पर पहुंचा है। वहीं नोएडा का एक्यूआई भी सोमवार को 412 था वो मंगलवार को 426 पर पहुंच गया।
रात की हवा हो जाती है ज्यादा जहरीली

दिन के समय हवा की स्पीड थोड़ी बढ़ जाती है और धूप भी खिली होती है। जिससे प्रदूषण स्तर कम रहता है। जबकि रात के आठ बजे से लेकर सुबह 9 बजे तक एक्यूआई बहुत ज्यादा होता है। जिसकी वजह से रात की हवा दिन के अपेक्षा ज्यादा जहरीली होती है।
एक्यूआई में फिलहाल सुधार नहीं

सफर के मुताबिक, बादलों की वजह से मिक्सिंग हाइट अगले दो दिनों तक कुछ कम रहेगी, जिसकी वजह से स्मॉग दिख सकता है। लेकिन एक्यूआई बेहद खराब स्तर पर बनेगा और लोगों की परेशानियां खत्म नहीं होंगी।
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