रवि सिन्हा, रांची सूर्योपासना और लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा को लेकर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर दिखा। छठव्रतियों ने शाम में अस्ताचलग...
रवि सिन्हा, रांची सूर्योपासना और लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा को लेकर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर दिखा। छठव्रतियों ने शाम में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। झारखंड सरकार की ओर से वित्त और खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने रांची के डोरंडा स्थित छप्पन सेट में निर्मित कृत्रिम तालाब में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर राज्यवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। राजधानी में दर्जनों कृत्रिम तालाब, 45 तालाब और दो डैम, तीन नदियों के अलग-अलग घाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं ने अर्घ्य अर्पित किया। शहर के कई प्रमुख छठ घाटों, कांके डैम, हटिया डैम, बड़ा तालाब और अन्य कुछ बड़े तालाबों में एनडीआरएफ की टीम की तैनात रही। वहीं सभी छठ घाटों पर लाइटिंग और चेजिंग रूम की भी व्यवस्था की गयी थी। इस साल अच्छी बारिश के कारण अधिकांश तालाब, डैम और नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है, इसलिए रेड रिबन लगाकर गहराई वाले स्थानों को चिह्नित किया गया था और श्रद्धालु और छठव्रतियों ने भी रेड रिबन के अंदर ही रहकर अर्घ्य अर्पित किया। छठ समितियों की ओर से सभी छठ घाटों की साफ-सफाई कर उसे आकर्षक ढंग से सजाया गया। दूसरी ओर छठ घाटों समेत चारों तरफ बज रहे छठ के धार्मिक गीतों ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया था। इस बीच छठ घाटों की ओर जा रहे व्रतियों को सामाजिक संस्थाओं की ओर से रास्ते में फल आदि का भी वितरण किया जा रहा था। इधर पारंपरिक ढोल-नगाड़े और गाजे-बाजे के साथ छठव्रती रास्ते में मत्था टेकते हुए घाटों पर पहुंचे और अस्ताचलगामी सूर्य को तालाबों में खड़े होकर पहला अर्घ्य अर्पित किया। बाद में विभिन्न छठ घाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं ने अस्त होते भगवान भास्कर की पूरी लगन और श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना की। गुरुवार की सुबह उदय होते सूर्य को अंतिम अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा। महापर्व को लेकर शहर में यातायात मार्ग को भी परिवर्तित किया गया था और पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे। बोकारो में भी छठ महापर्व की धूम बोकारो में भी महापर्व छठ की छटा देखने को मिली। नगर के तालाबों में श्रद्धालुओं ने अस्त होते भगवान भास्कर अर्घ्य देने पहुंचे। छठ मईया में अटूट आस्था देखने को मिली। व्रती कई घंटे तक पानी में खड़े रहकर आराधना की उसके बाद शुरू हुआ अर्घ्य अर्पण का सिलसिला जो आधे घंटे से अधिक समय तक चला।
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