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जिस सीट पर कांग्रेस ने लगाई थी कभी जीत की हैट्रिक, वहां अब जनाधार तलाश रही पार्टी

अनिल सिंह, बांदा उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में चार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। इसमें बांदा विधानसभा सीट को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता ...

अनिल सिंह, बांदा उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में चार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। इसमें बांदा विधानसभा सीट को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस क्षेत्र में कांग्रेस का इतना दबदबा था कि पार्टी ने लगातार तीन बार जीत दर्ज करके हैट्रिक बनाई थी, लेकिन ये बात पुरानी हो गई है। पिछले चुनाव में यहां से पूर्व मंत्री विवेक सिंह को न सिर्फ हार का मुंह देखना पड़ा था, बल्कि वे तीसरे स्थान पर थे। 7 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की चित्रकूट धाम मंडल का मुख्यालय और ऋषि बामदेव की तपोभूमि वामदेवेश्वर मंदिर इसी विधानसभा क्षेत्र में है। आजादी के बाद अब तक इस क्षेत्र में 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें इनमें सबसे अधिक 7 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। 1951 से 1962 के बीच कांग्रेस ने हैट्रिक लगाई थी। जिसमें पहलवान सिंह ने लगातार दो बार व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ब्रज मोहन लाल गुप्ता ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 1967 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई और इस पार्टी के गौरीशंकर सराफ ने जीत हासिल करके कांग्रेस की जीत पर ब्रेक लगा दिया था। अगले ही चुनाव में 1969 में कांग्रेस के महीरजध्वज सिंह विधायक चुने गए। एक दशक तक कांग्रेस हाशिए पर रही इसके बाद इस विधानसभा क्षेत्र में जमुना प्रसाद बोस का उदय हुआ जो सोशलिस्ट पार्टी से पहले चुनाव लड़े और फिर लगातार समाजवादी पार्टी व जनता दल से चुनाव लड़ते रहे। उन्होंने 1974 और 1977 में जीत हासिल की, लेकिन 1980 में पूरे प्रदेश में कांग्रेस की लहर आई और इसमें प्रोफ़ेसर सीपी शर्मा कांग्रेस के विधायक बने। इसके बाद पुनः जमुना प्रसाद बोस 1985 और 1989 में विधायक बनने में कामयाब हुए। इस बीच 1989 में बसपा का उदय हो गया था और यहां से बसपा के नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने राजनीति में सक्रिय होकर 1991 में बसपा का खाता खोला लेकिन 1993 में भाजपा के राज कुमार शिवहरे बसपा के नसीमुद्दीन को हराकर विधायक बनने में कामयाब हो गए। इस दौरान कांग्रेस हाशिए पर चली गई। विवेक वापस लाए कांग्रेस का खोया जनाधार काफी अरसे के बाद 1996 में कांग्रेस के विवेक कुमार सिंह कांग्रेस का खोया हुआ जनाधार वापस लाने में कामयाब हुए, पर अगले चुनाव 2002 में बसपा के बाबूलाल कुशवाहा ने कांग्रेस से सीट छीन ली। लेकिन 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा फिर कायम हो गया और दोनों बार इस सीट से विवेक सिंह विधायक चुने गए। पिछले 2017 के चुनाव में मोदी लहर के दौरान भाजपा के प्रकाश द्विवेदी ने कांग्रेस और बसपा को हराकर यह सीट अपने नाम कर ली। प्रकाश द्विवेदी ने बहुजन समाज पार्टी के मधुसूदन कुशवाहा को 32828 वोटों के मार्जिन से हराया था। और यहां कांग्रेस तीसरे स्थान पर चली गई विवेक कुमार सिंह को 32,223 मतो पर संतोष करना पड़ा। पत्नी ने बदला पाला इधर पिछले वर्ष कांग्रेस के पूर्व विधायक और प्रदेश के पूर्व मंत्री रह चुके विवेक कुमार सिंह का आकस्मिक निधन हो गया। आगामी विधानसभा में कांग्रेस उनकी पत्नी मंजुला सिंह को टिकट देकर सहानुभूति बटोर सकती थी लेकिन ऐन मौके पर उनकी पत्नी पाला बदलकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं, जिससे कांग्रेस की हालत और दयनीय हो गई। अब पार्टी को विधानसभा चुनाव में दमदार प्रत्याशी की दरकार है। नए चेहरे पर दांव इस बारे में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रदुम्न कुमार दुबे लालू का कहना है कि कांग्रेस 2022 के चुनाव में पूरी ताकत से लड़ेगी। पार्टी की और से बांदा विधानसभा क्षेत्र से 11 प्रत्याशियों ने आवेदन किया है। जिसमें पूर्व जिला अध्यक्ष राजेश दीक्षित, राजेश दुबे और पूर्व विधायक अर्जुन सिंह की बेटी शोभा सिंह चौहान का नाम शामिल है। इनमें जिसका भी नाम फाइनल होगा वह चुनाव मैदान में न सिर्फ पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगा बल्कि जीत हासिल करने के लिए किसी तरह की कसर नहीं छोड़ेगा। अब देखना है कि कांग्रेस के दावे पर प्रत्याशी चुनाव में कितना खरा उतरते हैं।


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