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शफीकुर्रहमान, अबू आजमी और ओवैसी.... लड़कियों की शादी की उम्र पर कैसे-कैसे दे रहे तर्क?

लखनऊ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उम्मीद की ...

लखनऊ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उम्मीद की जा रही है कि इससे संबंधित विधेयक मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान ही संसद में पेश कर दिया जाएगा। अभी लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल निर्धारित है। न्यूनतम उम्र सीमा में बदलाव का यह फैसला जया जेटली समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया है। केंद्र सरकार के फैसले के बाद इस पर सियासत तेज हो गई है। किसी ने इसे गलत फैसला बताया तो किसी ने सही कानून करार दिया। कई नेताओं ने इस पर विवादित बयान दिए हैं। जानें 21 की उम्र में शादी को लेकर किसने क्या कहा? शफीकुर्ररहमान बर्क सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। बर्क ने कहा कि इससे आवारगी का मौका मिलेगा। हालांकि बाद में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरह से पेश किया गया। उनका मतलब था कि माहौल खराब है। एसटी हसन मुरादाबाद के सपा सांसद डॉक्टर एसटी हसन ने कहा, 'महिलाओं में प्रजनन क्षमता 16-17 से लेकर 30 साल तक रहती है और 16-17 साल की उम्र में प्रजनन दर अच्छी रहती है और आप जब 21 साल कर रहे हैं तो इससे आपकी औलाद उस उम्र में होगी जब आप बुढ़ापे में होंगे।' असद्दुदीन ओवैसीएआईएमआईएम प्रमुख औवैसी ने कहा, 'मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है। यह विशिष्ट पितृसत्ता है जिसकी हम सरकार से उम्मीद करते आए हैं। 18 वर्षीय पुरुष और महिलाएं अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, प्रधानमंत्री और सांसद और विधायक चुन सकते हैं और चुनाव में वोट सकते हैं। लेकिन शादी नहीं कर सकते हैं? वे यौन संबंधों और लिव-इन पार्टनरशिप के लिए सहमति दे सकते हैं लेकिन अपना जीवन साथी नहीं चुन सकते हैं? बहुत हास्यास्पद।' ओवैसी ने कहा, 'एक कानून के बावजूद बाल विवाह बड़े पैमाने पर होते हैं। भारत में हर चौथी महिला की शादी 18 साल की उम्र से पहले हुई थी, लेकिन बाल विवाह के केवल 785 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। यदि बाल विवाह पहले से कम हुए हैं, तो यह शिक्षा और आर्थिक प्रगति के कारण है, न कि आपराधिक कानून के कारण।' ओवैसी ने कहा कि शादी की कानूनी उम्र से अधिक, यह युवाओं के लिए बेहतर शिक्षा और बेहतर आर्थिक संभावनाएं है, जो शादी पर प्रभाव डालती है। ओवैसी ने कहा, अगर मोदी ईमानदार होती तो उन्होंने महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया होता। फिर भी भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी घट रही है। यह 2005 के 26 प्रतिशत से 2020 में गिरकर 16% हो गई है।' अबु आजमी समाजवादी पार्टी के मुंबई के शिवाजी नगर से विधायक अबु आजमी ने कहा कि घर में मां, बेटी के साथ अकेले नहीं रहना चाहिए क्‍योंकि 'शैतान कभी सवार हो सकता है।' खापों ने भी किया विरोध कालखांडे खाप के प्रमुख चौधरी संजय कालखांडे ने कहा कि लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाने के फैसले का बुरा असर समाज पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि युवाओं में आज तकनीक और सोशल मीडिया तक बढ़ी पहुंच के कारण से 14 साल की लड़की भी विवाह के लिए पर्याप्त परिपक्व होती है। गठवाल खाप ने प्रमुख बाबा श्याम सिंह ने कहा कि न्यूनतम आयु बढ़ाने के फैसले का परिणाम महिलाओं के प्रति अपराध में वृद्धि के रूप में हो सकता है। उनका कहना है कि वोट देने का अधिकार और ड्राइविंग लाइसेंस जब 18 वर्ष की उम्र में मिल जाता है तो शादी के लिए 21 साल की पाबंदी क्‍यों होनी चाहिए। वैसे भी आजकल लड़के-लड़कियां 25-30 साल या भी उससे भी ज्‍यादा उम्र में शादी करते हैं। निम्‍न वर्ग और मध्यम वर्ग अपनी बेटी की शादी जल्‍दी करना चाहता है। लड़की की न्‍यूनतम आयु सीमा 18 साल ही उचित है।


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