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Christmas 2021 : पटना का इकलौता चर्च जहां नहीं मनता क्रिसमस, जानिए क्यों

पटना देश-दुनिया के इसाई क्रिसमस के जश्न में डूबे हुए हैं। बिहार में भी घर और बाहर से लेकर गिरजाघरों तक क्रिसमस की बहार है। मगर राजधानी पट...

पटना देश-दुनिया के इसाई क्रिसमस के जश्न में डूबे हुए हैं। बिहार में भी घर और बाहर से लेकर गिरजाघरों तक क्रिसमस की बहार है। मगर राजधानी पटना में एक चर्च ऐसा भी है जहां के श्रद्धालु से लेकर पादरी तक क्रिसमस नहीं मनाते हैं। पटना के इस चर्च में नहीं मनता क्रिसमस पटना में फ्रेजर रोड पर आकाशवाणी के सामने (Seventh Day Adventist) चर्च है। इसमें क्रिसमस के दिन न तो कोई आराधना होनी है और न ही यहां आनेवाले किसी को हैप्पी क्रिसमस या मेरी क्रिसमस कहते हैं। इनका कहना है कि आस्था का एकमात्र स्रोत बाइबल है। बाइबल के न्यू टेस्टामेंट में ईसा मसीह की जीवनी है। मार्क्स, मैथ्यू, ल्यूक और जॉन ने लिखा है। इनमें ईसा की जन्म की तारीख नहीं बताई गई है। सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च के मुताबिक न्यू टेस्टामेंट में ईसा के गुजर जाने के 300 साल बाद तक का इतिहास है। कहीं भी क्रिसमस मनाने की कोई चर्चा नहीं है। ईसा मसीह के जन्म की तारीख बाइबल नहीं बताती है। कोई भी ऐतिहासिक तथ्य ईसा का जन्म 25 दिसंबर को होने की पुष्टि नहीं करते हैं। क्रिसमस नहीं मनाने के पीछे तर्क नंबर-1 क्रिसमस सिलिब्रेशन के बार में सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च का मानना है कि बेबीलोन में निमरोद नाम का राजा हुआ। उसने अपने बेटे को चमत्कारी कहना शुरू किया और जनता को उसके बेटे का जन्मदिन मनाने के लिए बाध्य किया। जिसका जन्म तारीख 25 दिसंबर था। बेबीलोन से ये रोम पहुंचा। रोमन सम्राट कांटेस्टाइन के इसाई धर्म को राजधर्म घोषित करने के बाद 25 दिसंबर को ईसा का जन्म दिन क्रिसमस के रूप में मनाया जाने लगा। वहीं निमरोद की पत्नी और बेटे की मूर्ति को लोग मदर मेरी और जीसस की मूर्ति मानकर घरों में स्थापित करने लगे। क्रिसमस नहीं मनाने के पीछे तर्क नंबर-2 इनका मानना है कि ईसा का जन्म तब हुआ जब उनके पिता जोसेफ और मां मेरी रोमन सम्राट कैसर के आदेश पर जनगणना में शामिल होने के लिए नाजरथ से यरूशलम जा रहे थे। उसी समय बेथलेहम में खुले आसमान तले सोए गड़ेरियों के बीच उनलोगों ने आसरा पाया और ईसा का जन्म हुआ। पूरे मध्य पूर्व में ऋतुएं एकसाथ आती हैं। यानी दिसंबर के महीने में इजरायल में भी जाड़ा पड़ता है। ऐसे समय में गड़ेरिये खुले आसमान तले नहीं सो सकते हैं। जाहिर है कि जब भी ईसा का जन्म हुआ होगा, उस समय गर्मी का मौसम रहा होगा।


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