भोपाल उद्यानिकी विभाग में कथित रूप से प्याज घोटाला (Onion Scam In Madhya Pradesh) हुआ है। इस मामले की जांच विभाग की प्रमुख सचिव और वरिष्ठ...

भोपाल उद्यानिकी विभाग में कथित रूप से प्याज घोटाला (Onion Scam In Madhya Pradesh) हुआ है। इस मामले की जांच विभाग की प्रमुख सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी कल्पना श्रीवास्तव कर रही हैं। उन्होंने विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को लेकर मामले को संज्ञान में लिया था। साथ ही जांच के आदेश दिए थे। घोटाल में कल्पना श्रीवास्तव ने तत्कालीन आयुक्त मनोज अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की थी। शनिवार शाम को कल्पना श्रीवास्तव का विभाग से तबादला हो गया है। उन्हें नई पोस्टिंग नहीं दी गई है। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं। इसके साथ ही निदेशालय में आयुक्त के पद पर तैनात एक आईएफएस अफसर का भी उसी समय तबादला कर दिया गया है। वहीं, इनके तबादले को लेकर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं कि सरकार की तरफ से छुट्टी के दिन यह आदेश जारी किया गया था। उनका तबादला तब हुआ है, जब ईओडब्ल्यू ने इस मामले की जांच के लिए एफआईआर दर्ज कर ली थी। साथ ही कथित प्याज घोटाले की जांच कर रही थी। वहीं, उद्यानिकी विभाग के एमपी राज्य कर्मचारी संघ ने सीएम को पत्र लिखकर तबादले का विरोध किया है। सूत्रों के अनुसार अपने काम की वजह से कल्पना श्रीवास्तव को कई सम्मान मिला है। वह पीएम मोदी के हाथों भी सम्मानित हो चुकी हैं। उद्यानिकी विभाग में प्रमुख सचिव रहते हुए कल्पना श्रीवास्तव ने दो करोड़ रुपये की प्याज खरीद की जांच शुरू की थी, जब एक किसान मुकेश पाटीदार ने यह आरोप लगाया था कि प्याज खरीदी में मानदंडों का उल्लंघन हुआ है। खरीद राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत की गई थी। ईओडब्ल्यू ने शुरू की है जांच वहीं, विभाग की तरफ वरिष्ठ बागवानी विकास अधिकारी महेश प्रताप सिंह बुंदेला ने ईओडब्ल्यू को जानकारी दी थी। बुंदेला ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि प्रमुख सचिव ने ही इस घोटाले का पर्दाफाश किया है। ईमानदार अधिकारी को इस तरह से हटाना अनुचित है। यह मामले को रफा दफा करने की साजिश हो सकती है। उन्होंने कहा कि बागवानी निदेशालय संकट में है। वहीं, टेंडरिंग प्रक्रिया का उल्लंघन हो या बजट लीक का मामला हो, बागवानी निदेशालय अक्सर विवादों में रहा है। हाल ही में, मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिक्लचर के बजट से संबंधित अत्याधिक गोपनीय दस्तावेज लीक हो गए थे। यह केंद्र प्रायोजित योजना है। इस मामले में भी कुछ लोगों पर कार्रवाई हुई थी। विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध कथित रूप से कहा जाता है कि इसमें विभाग के कुछ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, जिनके वेंडर्स के साथ संबंध हैं। एमआईडीएच योजना के तहत 34 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था। यहीं पेपर वेंडर्स के हाथ लग गए थे। बताया जाता है कि वित्त विभाग के फैसले से पहले ही विभिन्न जिलों के आवंटित किए जाने वाले लक्ष्य का पेपर लीक हो गया। सूत्रों के अनुसार पेपर इसलिए लीक कर दिया गया था कि वेंडर्स पहले से ही अपनी योजना तैयार कर लें। आरोप यह भी है कि इस सिंडिकेट से जुड़ा एक व्यक्ति बागवानी विभाग और सचिवालय को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।बागवानी मिशन के अधिकारी बुंदेला ने कहा कि साजिश का खुलासा पहले होने की वजह विभाग शर्मिंदगी से बच गया। उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव ने इस घोटाले को पहले ही रोक दिया। अगस्त में दिए थे जांच के आदेश वहीं, प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव ने अगस्त में आदिवासी इलाकों में किसानों को 100 करोड़ रुपये मूल्य के चीन निर्मित उपकरण की आपूर्ति में कथित घोटाले की जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने एमपी एग्रो डिपार्टमेंट से मामले की जांच करने को कहा था। सूत्रों के अनुसार 2017-2019 के बीच कृषि मशीनीकरण योजना जांच के दायरे में थी, जिसके तहत छत्तीसगढ़ की एक कंपनी ने 11 आदिवासी बाहुल्य जिलों में किसानों को पावर टिलर प्रदान किए थे। आरोप था कि किसानों को 2 एसपी पावर टिलर 5 एचपी मशीनों की दर पर दिए गए थे। इसे लेकर निदेशालय में आईएएस अधिकारियों (रिटायर्ड) और कुछ अन्य अधिकारियों की सांठगांठ का आरोप है। एक चुनिंदा कंपनी से बिना किसी टेंडर के न केवल टिलर को कथित तौर पर खरीदा गया था, बल्कि कई मामलों में आपूर्ति केवल कागजों पर थी। जांच समिति तथ्यों को सत्यापित करने के लिए पावर टिलर लाभार्थियों के घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर सकती है। आरोप है कि डीलरों ने किसानों के फर्जी पावती प्रमाण पत्र जमा कर उनके सीधे खातों में राशि जमा करा दी। कई आदिवासी किसानों ने शिकायतें दर्ज कराईं, जिसके बाद राज्य सरकार ने जांच कराने का फैसला किया है। यह योजना उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों के माध्यम में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए थी। इस मामले की जांच लोकायुक्त कर रही है।
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