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मदर टेरेसा की मिशनरीज ऑफ चैरिटी का लाइसेंस बहाल, विदेशी चंदा लेना मुमकिन

कोलकाता केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मदर टेरेसा का फॉरेन कंट्रिब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) रजिस्ट्रेशन बहाल कर दिया है। सूत्रों के अनुसा...

कोलकाता केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मदर टेरेसा का फॉरेन कंट्रिब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) रजिस्ट्रेशन बहाल कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, संबंधित विभाग में मिशनरी की ओर से जरूरी कागजात जमा करने के बाद लाइसेंस रिन्यू हुआ है। इससे पहले, गृह मंत्रालय ने कुछ 'प्रतिकूल इनपुट' के कारण एनजीओ के लाइसेंस को रिन्यू करने से इनकार कर दिया था। मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी को स्थापित किया था जो भारत में कल्याणकारी कामों में शामिल है। एफसीआरए लाइसेंस की बदौलत ही कोई संस्था विदेशी चंदा ले सकती है। 25 दिसंबर को गृह मंत्रालय ने मिशनरी समेत कई संस्थाओं का लाइसेंस रिन्यू करने से इनकार कर दिया था। क्या है मिशनरीज ऑफ चैरिटी? गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एफसीआरए लाइसेंस बहाल होने के बाद कोलकाता स्थित यह संगठन विदेशों से निधि प्राप्त कर सकेगा और साथ ही बैंकों में रखा धन खर्च कर सकेगा। मिशनरीज ऑफ चैरिटी एक कैथोलिक धार्मिक संगठन है जिसकी स्थापना नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा ने गरीबों और बेसहारों की मदद करने के लिए 1950 में की थी। प्रतिकूल सूचनाएं मिलने पर लाइसेंस हुआ था रद्द गृह मंत्रालय ने 27 दिसंबर को कहा था कि उसने कुछ ‘प्रतिकूल सूचनाएं’ मिलने के बाद मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। उसने यह भी कहा था कि उसने मिशनीज ऑफ चैरिटी का कोई खाता जब्त नहीं किया है लेकिन भारतीय स्टेट बैंक ने उसे बताया है कि एनजीओ ने अपने खातों पर रोक लगाने के लिए खुद बैंक को अनुरोध भेजा है। इस मामले के सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बैंक खातों को कथित तौर पर जब्त करने के लिए सरकार की आलोचना की थी। पटनायक ने संगठन को दिए थे 78 लाख रुपये गृह मंत्रालय की कार्रवाई के बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सभी जिलाधीशों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि राज्य में चल रही मिशनरीज ऑफ चैरिटी की किसी भी ईकाई को कोई वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े। अगर जरूरत पड़ती है तो उनकी मदद करने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष का इस्तेमाल किया जाए। पटनायक ने संगठन को राज्य में दर्जनों संस्थाओं को चलाने के लिए 78 लाख रुपये भी दिए थे। समाचार एजेंसी भाषा से मिले इनपुट के साथ


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