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जस्टिस यूयू ललित ने 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लिया।

  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना शुक्रवार को रिटायर हो गए। उनकी जगह जस्टिस यूयू ललित ने 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ले ली है। जस्ट...

 



सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना शुक्रवार को रिटायर हो गए। उनकी जगह जस्टिस यूयू ललित ने 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ले ली है। जस्टिस ललित इसी साल 8 नवंबर को रिटायर होंगे। यानी CJI के तौर पर उनका कार्यकाल सिर्फ 74 दिन का होगा। इस दौरान उन्हें सुप्रीम कोर्ट में लंबित 492 संवैधानिक मामलों को निपटाने की चुनौती होगी।


सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, 26 अगस्त तक कोर्ट में 71,411 अन्य मामले लंबित हैं। इनमें आर्टिकल 370, नोटबंदी, सीएए, इलेक्टोरल बॉन्ड, यूएपीए और सबरीमाला जैसे केस शामिल हैं। क्रिमिनल लॉ विशेषज्ञ जस्टिस ललित 13 अगस्त 2014 को बार से सुप्रीम कोर्ट के जज बने। बार से CJI बनने वाले वे दूसरे जज हैं।


जस्टिस ललित ने शुक्रवार को 3 अहम सुधारों का वादा किया है। इनमें मुकदमे की समय से लिस्टिंग, अर्जेंट मामलों की मेंशनिंग के लिए नया सिस्टम बनाने और ज्यादा संवैधानिक पीठ बनाने की बात कही है।


पहली बार सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही लाइव



सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की ओर से पहली बार CJI रमना के काम के आखिरी दिन की कार्यवाही का लाइव किया गया। विदाई समारोह से पहले कोर्टरूम में मौजूद वकीलों से चीफ जस्टिस ने कहा, मुझे लिस्टिंग और पोस्टिंग के मुद्दों पर ध्यान न देने के लिए खेद है। भारतीय न्यायपालिका लोकतंत्र की लहरों के साथ चलती है। इसे एक आदेश या निर्णय से परिभाषित नहीं कर सकते।


रमना बोले- सफलता का शार्टकट नहीं होता।

वकीलों को नसीहत देते हुए कहा, सफलता का शार्टकट नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में कहा- मैंने 12 साल की उम्र में पहली बार गांव में बिजली देखी। 17 साल की उम्र में 10 हजार मजदूरों की अगुवाई की। आजकल वकीलों को चेंबर मिलता है। मैं पेड़ के नीचे खड़े होकर मुवक्किल से बात करता था। किसी जज की जिंदगी में कितना संघर्ष होता है, यह वकील ही समझ सकता है।


जस्टिस ललित महज 74 दिनों के लिए ही CJI बनेंगे

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस ललित महज 74 दिनों के लिए ही CJI बनेंगे, क्योंकि 8 नवंबर को वे रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस ललित ने जून 1983 में एक एडवोकेट के रूप में नामांकन किया। उन्होंने दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की फिर जनवरी 1986 में प्रैक्टिस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया।


उन्हें अप्रैल 2004 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट के रूप में नॉमिनेट किया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2जी मामलों में सुनवाई करने के लिए उन्हें CBI के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया था। जस्टिस ललित दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया लीगल सर्विसेज कमेटी के सदस्य भी थे।


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