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त्रिपुरा की पांच हाई प्रोफाइल सीटों का

  त्रिपुरा की सभी 60 सीटों पर आज वोटिंग चल रही है। कुल 259 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस चुनाव में कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी हुई है। म...

 






त्रिपुरा की सभी 60 सीटों पर आज वोटिंग चल रही है। कुल 259 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस चुनाव में कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. मानिक साहा खुद चुनावी मैदान में हैं। केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक को भी भाजपा ने टिकट दिया है। राज्य के उप-मुख्यमंत्री भी चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा विपक्ष के भी कई दिग्गज नेताओं की किस्मत पर आज वोटर्स फैसला करेंगे। आइए जानते हैं त्रिपुरा की पांच हाई प्रोफाइल सीटों का गणित...


 

1. टाउन बोरदोवाली : पश्चिमी त्रिपुरा जिले में पड़ने वाली इस सीट से मुख्यमंत्री डॉ. मानिक साहा खुद चुनाव लड़ रहे हैं। डॉ. साहा का सीधा मुकाबला कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के आशीष कुमार साहा से है। 


 

2. चारीलम : यहां से राज्य के उप-मुख्यमंत्री जिष्णुदेव वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। जिष्णुदेव के खिलाफ कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन ने अशोक देबबर्मा को मैदान में उतारा है। अशोक कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं। 


 

3. धनपुर  : यहां से केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक चुनाव लड़ रहीं हैं। प्रतिमा भौमिक त्रिपुरा से पहली महिला हैं, जिन्होंने आजादी के 75 साल के बाद केंद्रीय मंत्री का पद संभाला। प्रतिमा भौमिक भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। वो त्रिपुरा से पहली केंद्रीय मंत्री और उत्तर पूर्व से दूसरी महिला केंद्रीय मंत्री हैं। प्रतिमा त्रिपुरा पश्चिम से लोकसभा सांसद हैं। 


 

4. सबरूम : दक्षिण त्रिपुरा की सबरूम विधानसभा सीट से इस बार कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस गठबंधन ने जितेंद्र चौधरी को मैदान में उतारा है। जितेंद्र सीपीआईएम के सबसे वरिष्ठ नेता हैं और मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार हैं। जितेंद्र के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने शंकर राय को अपना प्रत्याशी बनाया है। 


 

5. कैलाशहर : उनाकोटी जिले में स्थित इस सीट से इस बार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बिराजित सिन्हा चुनाव लड़ रहे हैं। सिन्हा के खिलाफ भाजपा ने मोहम्मद मोबेशर अली उतारा है। अली त्रिपुरा में चुनाव लड़ रहे भाजपा के दो मुस्लिम चेहरों में शामिल हैं। 

 


त्रिपुरा में सबसे ज्यादा आदिवासी समुदाय के वोटर्स हैं। इनकी संख्या करीब 32 फीसदी है। 60 में से 20 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 40 सीटें अनारक्षित है। यही कारण है कि इसके लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। राज्य की सीमा बांग्लादेश से सटी हुई है और यहां 65 फीसदी बांग्लाभाषी रहते हैं। आठ फीसदी मुसलमान रहते हैं। 2021 में बांग्लादेश के दुर्गा पंडालों में खूब हिंसा हुई। इसका असर त्रिपुरा में भी देखने को मिला। यहां भी कई जिलों में तनाव की स्थिति देखी गई। पिछली बार भाजपा और आईपीएफटी ने सभी 20 आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी।