चुनाव के दौरान धनबल और बाहुबल के उपयोग पर लंबी बहस होती है। दागियों के चुनाव लड़ने तथा विधानसभा और लोकसभा में पहुंचने पर विमर्श होते रहे हैं...

चुनाव के दौरान धनबल और बाहुबल के उपयोग पर लंबी बहस होती है। दागियों के चुनाव लड़ने तथा विधानसभा और लोकसभा में पहुंचने पर विमर्श होते रहे हैं, कई सिफारिशें भी आई हैं। आयोग ने कदम उठाए हैं। प्रत्याशियों को हलफनामा ही नहीं अपने खिलाफ दर्ज मामलों का सार्वजनिक इश्तेहार देना पड़ता है।
लेकिन हकीकत इससे अलग है। आंकड़ों को देखें तो हर बार चुनाव में आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों और करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हुई है। बीते 15 साल से खड़े उम्मीदवारों को देखें तो दागी प्रत्याशियों की संख्या 126% जबकि करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या 2022% बढ़ी है।
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