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देश में हर साल एक हजार शिशुओं में 32 बच्चों की मौत, विशेषज्ञों ने कहा- समय से पहले जन्म लेना है वजह

एक साल में जितने शिशुओं की मौत होती है, उसमें तीन चौथाई नवजात होते हैं। यदि नवजात (एक महीने तक के) की मृत्यु में कमी लाई जाए तो शिशु (एक सा...

एक साल में जितने शिशुओं की मौत होती है, उसमें तीन चौथाई नवजात होते हैं। यदि नवजात (एक महीने तक के) की मृत्यु में कमी लाई जाए तो शिशु (एक साल तक के बच्चे) मृत्यु दर में स्वतः कमी आ जाएगी। यह कहना है पीएमसीएच में शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एके जायसवाल का। वे सोमवार को राष्ट्रीय नवजात सप्ताह के मौके पर शिशु विभाग में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

वक्ताओं ने कहा कि देश में एक हजार (एक साल तक) बच्चों में हर साल 32 बच्चों की मौत हो जाती है। जबकि एक हजार जन्म लेने वाले नवजात बच्चों में एक महीने के अंदर 26 बच्चों की मौत होती है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं। 33 फीसदी बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं। 30 फीसदी बच्चों को संक्रमण लग जाता है। 20 फीसदी बच्चों की जन्म के समय सांस नहीं ले पाने से मौत हो जाती है। बाकी बच्चों में बनावट की गड़बड़ी और अन्य कारणों से मौत होती है।
गर्भवती महिला का खानपान पौष्टिक हो
विशेषज्ञों की माने तो रिसर्च से यह खुलासा हुआ है कि जो संसाधन उपलब्ध है यदि उसका सही समय पर इस्तेमाल किया जाए तो 75 फीसदी नवजात की जान बचाई जा सकती है। नवजात बच्चों की जान बचेगी तो शिशु मृत्युदर में कमी आ जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है स्वस्थ बच्चा पैदा हो। इसके लिए जरूरी है कि गर्भवती महिला का खानपान ठीक और पौष्टिक हो। गर्भवती महिला का एंटीनेटल चेकअप नियमित हो। प्रसव के समय ट्रेंड डॉक्टर और नर्स मौजूद हो। ठंड के समय में बच्चे को गर्म रखने की व्यवस्था हो।
हर नवजात की देखभाल हो
यूनिसेफ के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सैयद हुबे अली ने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद है हर स्वास्थ्य संस्थान पर हर नवजात की देखभाल में गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए सुविधा प्रदान करना। राज्य स्वास्थ्य समिति के शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विजय प्रकाश राय ने राज्य में समुदाय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक शिशु स्वास्थ्य से संबंधित चल रहे कार्यक्रमों व सेवाओं की विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर डॉ. अनिल कुमार तिवारी, डॉ. भूपेंद्र नारायण, डॉ. अखिलेश झा, डॉ. आफताब आलम, डॉ. अनुपमा झा समेत गाइनी विभाग की चिकित्सक, जूनियर डॉक्टर, इंटर्न, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ मौजूद थे।



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Every year 32 children die in a thousand infants in the country, experts said - premature birth is the reason


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