इस साल खेती के मामले में बड़ी बात यह कि कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन में महानगरों से अपने घर लौटे अधिकांश युवा भी खेती से ही अपनी तकदीर संवार...

इस साल खेती के मामले में बड़ी बात यह कि कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन में महानगरों से अपने घर लौटे अधिकांश युवा भी खेती से ही अपनी तकदीर संवारने में जुट गए हैं। इस वजह से गांव के आसपास के जो खेत छुट्टा पशुओं के चलते परती रह जाते थे, इस साल उसकी भी घेराबंदी कर फसल बोए जा रहे हैं। ये युवा गेहूं, चना या सरसों से ज्यादा छेमी की खेती कर रहे हैं।
युवा किसान नरेश प्रसाद बताते हैं कि छेमी की खेती में मौसम साथ दिया तो मुनाफा भी प्रति एकड़ 50 से 60 हजार तक हो जाएगा। वहीं युवा किसान शैलेश शर्मा ने बताया कि इस साल ट्रायल के रूप में गांव पर खेती कर रहे हैं। यदि सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल से खेती का दायरा और भी बढ़ा दिया जाएगा।
इसी तरह और भी सैकड़ों युवा हैं जो अलग तरह की खेती कर आत्म निर्भर बनने की राह पर चल पड़े हैं। बहरहाल शीतकाल शुरू होते ही जिले के विभिन्न क्षेत्र के किसान आलू की खेती मे जुटे हुए हैं। हाट बाजारों में आलू बीज की काफी बिक्री हो रही है। विभिन्न प्रभेद के बीजों का चयन कर किसान आलू बीज की खरीदारी कर रहे हैं।
जुताई से पूर्व हल्की सिचाई फायदेमंद : जानकार व प्रबुद्ध किसानों ने बताया कि आलू की खेती के लिए ऊंची व मध्यम जमीन अच्छी होती है। बलुई दोमट मिट्टी आलू खेती के लिए बिलकुल उपयुक्त है। आलू की बुआई ऐसी भूमि पर करनी चाहिए, जहाँ जल निकासी सुलभ हो सकें। आलू की खेती के लिए भूमि में नमी की कमी महसूस हो तो जुताई से पूर्व हल्की सिचाई कर देनी चाहिए। अच्छी प्रभेद की अंकुरित बीज को लगाने से पौधे का विकास अच्छा होता है। बुआई का समय अगेती फसल के लिए मध्य सितम्बर से मध्य अक्टूबर तक और मुख्य फसल की बुआई के लिए मध्य अक्टूबर से 15 नवंबर उपयुक्त समय है।
बुआई के तुरंत बाद भी सिंचाई की जरूरत
अक्टूबर से नवंबर तक 240 से 200 सेन्टीग्रेड तापमान अवश्य रहता है, जो आलू अंकुरण व वृद्धि विकास के लिए काफी उपयुक्त है। आलू की खेती में पांच सिचाई की जरुरत होती है। बुआई के तुरंत बाद सिचाई करने से अंकुरण जल्द निकल आता है। प्राय: सिचाई 10 से 15 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए। तैयार आलू की खुदाई के लगभग आठ से 10 दिन पूर्व आलू के लतर को मिट्टी की सतह से काट कर हटा देना चाहिए। बीजोपचार, उर्वरक की मात्रा और खरपतवार प्रबंधन के लिए किसान सलाहकार से जानकारी अवश्य लेनी चाहिए।
आलू के बीज महंगे, फिर भी कम नहीं हुई खेती
अभी के समय में आलू के बीज महंगे हैं। आलू की खेती करने वाले किसान ब्रजेश तिवारी, मुन्ना, रमेश आदि ने बताया कि किसानों को बोआई में ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है, इसके बावजूद आलू की खेती कम होते नहीं दिख रही है। युवा किसान बबुआ महतो का कहना है कि बीज 35 से 40 के रेट में मुझे मिले हैं, लेकिन समय से आलू निकल जाए तो मुनाफे पर कोई इसर नहीं पड़ेगा। ब्रह्मपुर व सिमरी क्षेत्र में आलू की खेती करने वाले किसान भी भारी संख्या में हैं। खेती में छुट्टा पुशओं से परेशानी हैं, इसका निदान सरकार की ओर से हो जाता तो किसानों की आय दोगुनी हो सकती है।
रबी की बोआई के लिए मौसम अनुकूल : रबी की फसल के लिए अभी का समय अनुकूल है। हल्की ठंड से खेतों में नमी भी कायम है। किसान मानते हैं कि ऐसे मौसम में ही रबी की बोआई करनी चाहिए। मौसम को देखते हुए किसान सूर्योदय से सूर्यास्त अपने खेतों में काम करते दिख रहे हैं। युद्ध स्तर पर गेहूं, चना, मंसूरी, सरसों आदि की बोआई चल रही है। किसानों के अनुसार 15 नवंबर तक रबी की बोआई के लिए उचित समय होता है। ब्रह्मपुर के गंगा तराई और दक्षिणी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रबी की खेती होती है। इसके अलावा छेमी और परवल की खेती भी खूब होती है।
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