धान का कटोरा कहे जाने वाले कैमूर में किसानों के मेहनत से उपजाई गई धान की फसल पककर तैयार है। इसके बावजूद कटनी के मजदूर नहीं मिलने से किसानों...
धान का कटोरा कहे जाने वाले कैमूर में किसानों के मेहनत से उपजाई गई धान की फसल पककर तैयार है। इसके बावजूद कटनी के मजदूर नहीं मिलने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है।इस खरीफ वर्ष में अच्छी बारिश होने से धान की फसल अच्छी हुई है।
धान की अच्छी फसल देखकर किसानों में भी खुशी व्याप्त है।इसके बावजूद किसानों की चिंता का कारण फसलों की समय से कटाई व रबी फसलों की बुवाई को लेकर है। खिली धूप से तैयार हो चुकी फसल तेजी से पक रही है।
लेकिन उन्हें काटने के लिए किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं।लॉक डाउन की अवधि में जो परदेसी मजदूर अपने गांव आए थे वह भी अपने काम पर लौट चुके हैं। जिससे मजदूर कटनी के लिए भी नहीं निकल रहे हैं।
बता दें कि कैमूर में 1.10 हेक्टेयर से भी अधिक भूमि पर धान की खेती हुई है. अच्छी पैदावार होने के बावजूद समय से धान की कटनी नहीं हो ही होने पर किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
कटनी में देर होने से किसानों को होगा नुकसान
सही समय पर फसल की कटाई शुरू नहीं होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। पकने के बाद धान की बालियां झड़ने लगती है। खासकर जो उच्च क्वालिटी के धान होते हैं उनकी बलिया और जल्दी झडती है।
कृषि विशेषज्ञ भी ऐसे धान को पहले काटने की बात कहते हैं। लेकिन इस बार अभी तक मजदूरों की कमी किसानों की परेशानी बढ़ा दी जा रही है।
रबी की खेती पर होगा असर नवम्बर में होती है बुआई
समय से धान की कटनी नहीं होने पर रबी फसलों की खेती पर भी असर पड़ेगा। रबी फसलों की बुवाई पिछड़ सकती है।जानकारों की माने तो 15 नवंबर से गेहूं और दलहन जैसे रबी फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है।
पूरा नवंबर रवि फसल की बुआई के लिए अनुकूल रहता है। लेकिन इस बार खेतों में इतनी नमी बनी हुई है कि पूरा नवंबर रबी फसलों की बुवाई संभव नहीं हो सकती है। दूसरी तरफ खेतों से धान की फसल नहीं कटने से भी रबी फसलों की बुआई के लिए किसान खेतों को तैयार नहीं कर पाए हैं।
नमी वाले खेतों में नहीं चल पाएंगे हार्वेस्टर
इस बार अधिक बारिश होने की वजह से कई जगहों पर अभी भी खेतों में पानी लगा हुआ है।जहां पानी सूख भी रहा है वहां नमी इतनी अधिक है कि हार्वेस्टर से फसल की कटाई संभव नहीं है। जिस कारण किसानों को मजदूरों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।
छोटे व सीमित किसानों के लिए हार्वेस्टर से फसल की कटाई संभव नहीं हो पाएगी।हार्वेस्टर कटाई के दौरान भी कई बातों का ध्यान रखना होगा।फसल अवशेष खेतों में नहीं जलाने के लिए सरकार की ओर से विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
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