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ए्क्सक्लूसिव इंटरव्यू में बोले योगी- कोविड वैक्सीनेशन के लिए 'ऑपरेशन 10 करोड़', रोज लगेंगे इतने टीके

लखनऊ 'सदी के सबसे घातक वायरस' को लेकर पूरी दुनिया में तबाही मच गई। भारत में भी इस कोरोना महामारी ने सैकड़ों घरों को बर्बाद कर दिय...

लखनऊ 'सदी के सबसे घातक वायरस' को लेकर पूरी दुनिया में तबाही मच गई। भारत में भी इस कोरोना महामारी ने सैकड़ों घरों को बर्बाद कर दिया। उत्तर प्रदेश में पहला फेज बिना किसी बड़े नुकसान के गुजर गया। दूसरे फेज ने कई लोगों की जान ली। लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिनरात मेहनत करके काम किया और आखिर कोरोना वायरस के केसेस नाममात्र के हो गए हैं। कोविड टीकाकरण से लेकर महामारी में उठे मुद्दों को लेकर सीएम ने टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत की। उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद मांगने वालों पर ऐक्शन से लेकर अपने अनुभव सब शेयर किए। पेश है परवेज इकबाल सिद्दीकी, नेहा लालचंदानी, पंकज शाह और शैलवी शारदा से बातचीत के अंश: यूपी सरकार ने 'ऑपरेशन 10 करोड़' की घोषणा की है - तीन महीने में 10 करोड़ लोगों को टीका लगाने का इतना बड़ा लक्ष्य पाने की आपने क्या योजना बनाई है? लोगों को लग सकता है कि हमने पर्याप्त लोगों को टीका नहीं लगाया है। हम यूपी में अब तक 2.3 करोड़ डोज दे दी हैं। लेकिन हमारा लक्ष्य टीकों की उपलब्धता पर आधारित है। हम जून में 1 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य देख रहे हैं। लेकिन, जुलाई और अगस्त में ढेर सारे टीके उपलब्ध होंगे। केंद्र एक दिन में 1 करोड़ लोगों को लक्षित कर रहा है और अगर एक महीने में 30 करोड़ खुराक उपलब्ध हैं, तो यूपी को बड़ी संख्या में खुराक मिल सकेगी। हम कहते रहे हैं कि यूपी को उसकी आबादी के हिसाब से खुराक आवंटित की जाए, संक्रमण दर के हिसाब से नहीं। अभी तक वैक्सीन का वितरण संक्रमण के स्तर के अनुसार होता था। महाराष्ट्र में, पॉजिटिविटी रेट ज्यादा था और इसलिए उन्हें अधिक खुराक आवंटित की गई थी। अप्रैल में जब केंद्र ने राज्यों की टीके लगाने की क्षमता का आकलन करना चाहा तो यूपी ने एक ही दिन में 6 लाख शॉट दिए। अगर हमें पर्याप्त टीके मिलते हैं, तो हम एक दिन में 10-12 लाख खुराक का लक्ष्य रखेंगे। इस तरह हम तीन महीने में 10 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर सकेंगे। पॉजिटिविटी रेट और ऐक्टिव केसों की संख्या के अनुसार राज्यों के बीच टीकों का वितरण किया जाता है। केंद्र अब हमारी इस मांग पर सहमत हो गया है कि वैक्सीन बांटते समय आबादी का ध्यान रखा जाए। हमने सीरिंज की व्यवस्था और प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। हम दूसरे और तीसरे वर्ष के नर्सिंग और फार्मेसी के छात्रों को भी टीके लगाने का प्रशिक्षण देंगे। पिछले महीने जब मैंने गांवों का विजिट किया तो, मैंने पाया कि लोग अजीबोगरीब भय में घिरे हुए हैं। हम जल्द ही राज्य के 97,000 गांवों में वैक्सीन की झिझक से लड़ने के लिए एक अभियान शुरू करेंगे। आपकी सरकार ने दावा किया है कि जब राज्य में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे थे, तब फेक न्यूज और गलत सूचना का दौर चल रहा था? फर्जी खबरें और गलत सूचना फैलाना. महामारी को रोकने के लिए राज्य और केंद्र की ओर से किए जा रहे प्रयासों को कमजोर करने और ट्रैक से उतारने के लिए था। मुझे लगता है कि देश में विपक्षी दलों का इसमें हाथ है और देश के संकट में उनकी भूमिका की समीक्षा की जानी चाहिए। कुछ संगठनों ने भी इस कठिन समय में एक संदिग्ध भूमिका निभाई और उन्हें आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है। विभिन्न प्लेटफार्मों पर गैर-जिम्मेदाराना बयानों और भ्रामक सूचनाओं ने लोगों में चिंता और घबराहट बढ़ा दी। सोशल मीडिया पर सरकार पर मदद मांगने वाले लोगों की आवाज दबाने के आरोप लगे...? यह सच नहीं है। हमारे पास एक सीएम हेल्पलाइन नंबर है जो 500 प्रशिक्षित युवा संचालित करते हैं। यह टीम समस्या का सामना करने वाले लोगों की हर संभव मदद करने की कोशिश करता है। इसके अलावा, हर जिले में एकीकृत कोविड नियंत्रण कमांड सेंटर हैं। इन सभी केंद्रों में कोविड मामलों के प्रबंधन के लिए बड़ी संख्या में लोग हैं। लेकिन अफवाह फैलाने और लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई है। यह एक अपराध है। ऐसे लोगों की पहचान कर कार्रवाई करने की जरूरत है। यूपी में कोविड टेस्टिंग को लेकर काफी चर्चा हुई है? जब से महामारी आई तब से मैंने हर रोज राज्य मं कोविड -19 की स्थिति की समीक्षा की। अगर मैं व्यक्तिगत रूप से लखनऊ में नहीं रहा तो वर्चुअल इस समीक्षा से जुड़ा। राज्य में कोविड के मामलों, ठीक हुए लोगों, कोविड से हुई मौतों, कोरोना जांच की संख्या, यहां तक कि निजी संस्थानों में हुए आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या मैं बता सकता हूं। मैं जिलों के लिए डेथ ऑडिट भी करता हूं। एकीकृत कोविड-19 कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के पास प्रत्येक व्यक्ति का परीक्षण डेटा उपलब्ध है। इतना ही नहीं, यूपी सीएम हेल्पलाइन के तहत काम करने वाले 1,500 योग्य व्यक्तियों की एक टीम ने टेस्टिंग, होम आइसोलेशन आदि जैसे विभिन्न मापदंडों पर जिलों से रैंडम फीडबैक लिया। जब मामलों में गिरावट आई, तो कई राज्यों ने टेस्टिंग को भी कम किया, लेकिन यूपी ने ऐसा नहीं किया। हमने प्रतिदिन तीन लाख से ज्यादा टेस्ट करना जारी रखा। नदी में तैरते और किनारे दफन शवों को लेकर हो-हल्ला मच गया। आरोप थे कि आपकी सरकार ने कोविड पीड़ितों के अंतिम संस्कार के लिए 5,000 रुपये की सहायता प्रदान करने के बावजूद लोगों ने शवों का अंतिम संस्कार करने के बजाय उन्हें फेंक दिया। क्या इन मुद्दों के समाधान के लिए जमीनी स्तर पर कोई चूक हुई? वित्तीय सहायता की घोषणा पिछले साल की गई थी। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब लोग मरने वालों के शव लेने नहीं आए। सरकार लोगों से शवों का अंतिम संस्कार करने और उन्हें नदियों में न फेंकने का आग्रह करती रही है। बलरामपुर जिले में एक व्यक्ति के शव को नदी में फेंकने की घटना इसका उदाहरण है। इनमें से कई मामले अफवाहों और भ्रांतियों का परिणाम हैं। साथ ही, कई लोगों को शवों के अंतिम संस्कार में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसलिए हमने राज्य वित्त आयोग से धन आवंटित किया। लोगों ने अंतिम संस्कार किए जा रहे लोगों की संख्या और कोविड के कारण होने वाली मौतों की संख्या पर सवाल उठाया था। यह अजीब है, क्योंकि सरकार केवल कोविड से संबंधित मौतों के आंकड़े जारी कर रही थी। प्राकृतिक व अन्य कारणों से मौत थमने का नाम नहीं ले रही थी।


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