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गाजियाबाद: 2 सीटें जीतने वाली BJP के चक्रव्यूह में फंसे SP-RLD, जिला पंचायत पर कब्जा

संजय श्रीवास्तव, गाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सत्ता में बैठे दल का ही कब्जा होता है शनिवार को एक बार फिर से साबित हो गया। 14 वॉर्ड...

संजय श्रीवास्तव, गाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सत्ता में बैठे दल का ही कब्जा होता है शनिवार को एक बार फिर से साबित हो गया। 14 वॉर्ड में से मात्र 2 सीटें जीतने के बावजूद बीजेपी ने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि 6 सीटों वाली सपा-आरएलडी अपने प्रत्याशी का नामांकन तक करने नहीं आ पाईं। इसके साथ ही गाजियाबाद भी उन 17 जिलों में शामिल हो गया, जहां बीजेपी कैंडिडेट ने निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया। हालांकि अब सपा और आरएलडी ने बीजेपी पर सत्ता का लाभ लेकर पुलिस-प्रशासन की मदद से जीत हासिल करने का आरोप लगाया है। यह था सीटों का गणित बीजेपी प्रत्याशी ममता त्यागी गाजियाबाद जिला पंचायत की अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं। जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी सबसे कम मात्र दो ही सीटें वॉर्ड-14 से ममता त्यागी और वॉर्ड-13 से अंशु मावी जीत पाई थीं। वॉर्ड-12 से निर्दलीय चुनाव जीती परमिता कसाना के पति बीजेपी से जुड़े हैं। ऐसे में उनका बीजेपी को समर्थन देना पहले से ही तय था। वहीं सत्ता में होने का लाभ भी मिलना था। जबकि सपा-आरएलडी ने तीन-तीन सीटें हासिल की थीं। वहीं बसपा के खाते में 5 सीटें आई थीं। सपा-आरएलडी को उम्मीद थी कि छह सीटें उनके पास अपनी हैं और चूंकि बसपा के पास पांच सदस्य हैं और उसने चुनाव में अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में असलम चौधरी बसपा से बेशक निष्कासित विधायक हैं परंतु पार्टी से जुड़े होने का लाभ उन्हें मिलेगा। इसीलिए उन्होंने असलम की पत्नी नसीम बेगम चौधरी को अपना संयुक्त उम्मीदवार बना दिया था। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी की तैयारियों और सरकारी सिस्टम का उसे सहयोग मिलता देख सपा और आरएलडी की ओर से वॉर्डों से जीते कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थे। वहीं बसपा सर्वाधिक पांच सीटें जीतने के बाद भी कोई उम्मीदवार उतारने की हिम्मत ही नहीं कर पाई। सत्ताधारी दल का रहा है जिला पंचायत अध्यक्ष का पद जिला पंचायत अध्यक्ष पद का इतिहास देखा जाए तो अधिकांश समय प्रदेश में जिसकी सत्ता रही उसी के पास अध्यक्ष पद रहा है। यहां तक कि सरकार बदलने के बाद मौजूदा अध्यक्ष अपना पूरा कार्यकाल तक नहीं कर पाया। जनपद से हापुड़ अलग होने से पहले वर्ष 2010 में प्रदेश में बसपा की सरकार थी। उस समय बसपा नेता मलूक नागर की पत्नी सुधा नागर जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। 2012 में हापुड़ जनपद के रूप में अलग हो गया और विधानसभा चुनाव में सपा की सरकार बन गई। जिसके बाद उपचुनाव हुआ और उस समय सपा से जुड़े पूर्व मंत्री राजपाल त्यागी के पुत्र और वर्तमान में मुरादनगर विधायक अजित पाल त्यागी जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए। 2015 में जिला पंचायत के चुनाव में तत्कालीन सपा सुप्रीमो मुलायम के नजदीकी एमएलसी आशु मलिक के भाई नूर हसन मलिक को जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया गया। हालांकि 2017 में बीजेपी के सत्ता में आने पर नूर हसन को अविश्वास पद आने पर हटना पड़ा और बीजेपी नेता पवन मावी पत्नी लक्ष्मी मावी जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया गया।


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