नोएडा जेपी इंफ्राटेक के अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए चल रही फाइनेंशल क्रेडिटर्स की वोटिंग का रिजल्ट बुधवार को जारी हो गया है। प्राइवे...

नोएडा जेपी इंफ्राटेक के अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए चल रही फाइनेंशल क्रेडिटर्स की वोटिंग का रिजल्ट बुधवार को जारी हो गया है। प्राइवेंट एजेंसी सुरक्षा ने .12 प्रतिशत वोट के अंतर से प्रस्ताव की बिड जीत ली है। इस वोटिंग में एनबीसीसी को 98.54 प्रतिशत वोट मिले और सुरक्षा एजेंसी को 98.66 प्रतिशत वोट मिले। इसके चलते सुरक्षा एजेंसी की दावेदारी जेपी इंफ्राटेक के अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए मानी जा रही है। वोटिंग से जीतने के बाद अब सीओसी (कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स) और एनसीएलटी के अप्रूवल के बाद सुरक्षा एजेंसी जेपी इंफ्राटेक के अधूरे प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए नोएडा में काम शुरू कर सकेगी। बता दें कि जिले में पिछले 11 साल से जेपी इंफ्राटेक में करीब 22 हजार बायर्स फंसे हुए हैं। 13 जून से 21 जून तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनसीएलटी ने सुरक्षा और एनबीसीसी दोनों के प्रस्तावों पर फाइनेंशल क्रेडिटर्स की वोटिंग कराई है। इन क्रेडिटर्स में 41.9 प्रतिशत शेयर बैंकों का है जिनमें 13 बैंक हैं। .12 प्रतिशत शेयर एफडी होल्डर्स का और बाकी शेयर बायर्स का है, जिसमें 22 हजार बायर्स फंसे हुए हैं। अब वोटिंग से बिड जीतने के बाद यदि बिना अड़चन के सीओसी सुरक्षा एजेंसी को अप्रूवल दे देती है तो अगले 3-4 महीने में सुरक्षा एजेंसी इन अधूरे प्रॉजेक्टों में काम पूरा कर सकेगी। वहीं बुधवार को बिड का प्रस्ताव जीतने के बाद सुरक्षा एजेंसी की ओर से जारी बयान में बायर्स से लेकर बैंकों और सभी स्टेक होल्डर्स का तहे से धन्यवाद जारी किया गया है। सुरक्षा 3 साल में पूरा करेगी प्रॉजेक्ट बायर्स असोसिएशन से जुड़े बायर कृष्णा मित्रु ने बताया कि सुरक्षा एजेंसी ने वोटिंग के लिए जो अपनी बिड का प्रस्ताव रखा था उसमें 3 साल में प्रॉजेक्ट पूरे करने का दावा किया गया है। 3 महीने में काम शुरू करने का प्रस्ताव है। 300 करोड़ का फंड कंपनी अपने पास से लगाएगी। यमुना एक्सप्रेस वे को अपने पास रखेगी और बायर्स को लेट पेनल्टी का पैसा भी देगी। अपील में जा सकती है एनबीसीसी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षा एजेंसी ने .12 प्रतिशत से बिड जीती है। वहीं बायर्स की ओर से इस बार एनबीसीसी को की गई वोटिंग में खासा भरोसा जताया गया है। दोनों की वोटिंग प्रतिशत में बहुत मामूली अंतर है जिसके चलते संभावना यह भी जताई जा रही है कि एनबीसीसी एक बार फिर से अपील में जा सकती है। अगर ऐसा होता है मामला फिर से कुछ कानूनी दांव-पेच में उलझ सकता है।
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