योध्या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ( Trust) की लैंड डील में हरीश पाठक और कुसुम पाठक का नाम आया है। अभी फरार चल रहा हरीश पाठक (Ha...

योध्याश्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ( Trust) की लैंड डील में हरीश पाठक और कुसुम पाठक का नाम आया है। अभी फरार चल रहा हरीश पाठक (Harish Pathak) जालसाजी और धोखाधड़ी के केस में वॉन्टेड है। पुलिस और जिला प्रशासन उसके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई भी कर चुका है। हरीश पाठक के खिलाफ अयोध्या और आसपास के जिलों में ठगी और धोखाधड़ी के कई केस दर्ज हैं। इस बीच अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट की खरीदी एक और जमीन में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। 20 लाख की जमीन को तीन महीने के अंदर 2.5 करोड़ रुपये में खरीदने का मामला सामने आया है। ऐसे शुरू की ठगी पहले बात हरीश पाठक की। दो साल पहले 19 अक्टूबर 2019 को गोंडा के राम सागर ने हरीश पाठक और उनके सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। गोंडा जिले के हरीश पाठक, कुसुम पाठक और उनके बेटे विकास पाठक, प्रताप नारायण, माधुरी पांडे, चंद प्रकाश अनंत तिवारी ने फैजाबाद शहर के देवकाली बेनीगंज रोड पर वर्ष 2009 में साकेत गोट फार्मिंग लिमिटेड के नाम से कार्यालय खोला था। इसके जरिए किसानों से बकरी पालन के नाम पर खूब ठगी की गई। सूत्रों के मुताबिक वह कंप्यूटर की ट्रेनिंग का भी प्रशिक्षण देकर भी लोगों को खूब धन कमाने का लालच देता था। हरीश पाठक ने अपनी कंपनी का अखबारों में बड़े विज्ञापन देकर अपनी योजना का प्रचार कर किसानों व इसमें धन लगाने वालों को खूब लुभाया था। योजना में लोगों को लुभाने के लिए 5 हजार रुपये का बॉन्ड खरीदने पर 42 माह बाद 8 हजार रुपये और दो बकरी देने का वादा किया जाता है। किसानों को 5 हजार जमा करने पर 8 हजार रुपये और दो बकरी की वापसी काफी लाभकारी लगी। अयोध्या, बाराबंकी, गोंडा, सिद्धार्थ नगर और आसपास के जिलों के किसानों ने इस योजना में खूब पैसा लगाया। जिलों में रखे थे एजेंट कंपनी के विस्तार के लिए हरीश पाठक ने कई जिलों में एजेंट रखे व कार्यालय भी खोले। तीन साल बाद जब धन और बकरी की वापसी का समय आया तो धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। लोगों को 2 बकरी और धन वापस नहीं करने की शिकायतें आने लगी। 2011 से 2014 तक कंपनी के कार्यालयों में ताले लग गए। हरीश पाठक और कुसुम पाठक की कंपनी दिवालिया बताकर बंद कर दी गई। इस बीच बड़ी संख्या में लोग ठगी के शिकार हो चुके थे। पीड़ित लोगों ने इनके खिलाफ धोखाधड़ी के केस दर्ज करवाए। कैंट थाने में भी 16 अगस्त 2016 में हरीश पाठक समेत कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। 2018 में हुई थी कुर्कीपुलिस के मुताबिक मुकदमे की जांच में सहयोग न करने व कोर्ट की पेशी पर गैरहाजिर रहने के कारण 16 अगस्त 2018 को इनके घर की कुर्की की गई थी। हरीश की एक कार कैंट थाने में जब्त है। आसपास के जिलों में भी निवेशकों ने हरीश और उनके सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया है। इसके बाद ये लोग फरार हो गए। पुलिस ने इन सबको भगोड़ा घोषित कर रखा है। रजिस्ट्री की जिम्मेदारों को नहीं लगी भनक 18 मार्च 2021 को हरीश पाठक और कुसुम पाठक राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नाम एक ही दिन में तीन रजिस्ट्री और एंग्रीमेंट करके चले गए। इसके बाद भी पुलिस और जिला प्रशासन के जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं लगी। राम मंदिर ट्रस्ट ने ऐसे जालसाजी के आरोपी से करोड़ों की जमीन खरीद ली। एसएसपी शैलेश पांडेय का कहना है कि मामला कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट के आदेश पर अगली कार्रवाई की जाएगी। 20 लाख की जमीन ट्रस्ट ने 2.5 करोड़ में खरीदी उधर राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा महंगे रेट जमीन खरीदने का एक मामला सामने आया है। 135 गाटा संख्या वाली जमीन को इसी साल 20 फरवरी को दशरथ महल बड़ा स्थान के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य से दीप नारायण उपाध्याय ने 20 लाख रुपये में खरीदा। तीन माह बाद ही दीप नारायण उपाध्याय ने यह जमीन 2.5 करोड़ रुपये में ट्रस्ट को बेच दी। दीप नारायण उपाध्याय मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे हैं। इससे पहले भी एक जमीन की खरीद-फरोख्त में दीप नारायण का नाम आ चुका है। अयोध्या में सदर तहसील के अंतर्गत कोट रामचंद्र, हवेली अवध में 860 वर्ग मीटर की जमीन देवेंद्र प्रसादाचार्य से 2,247 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से खरीदी गई है। इस भूमि में भी ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा 11 मई को लेन-देन के लिए कानूनी गवाह के रूप में सूचीबद्ध है। दस्तावेजों से पता चलता है कि दीप नारायण को ऑनलाइन 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। 20 फरवरी को खरीदी गई जमीन में गवाह के नाम वेद नारायण पांडे और पवन तिवारी हैं। ये लोग भी मेयर के करीबी बताए जाते हैं।
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