बीके मिश्रा, TNN बिहार के एक लाख से ज्यादा प्राथमिक शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। अगर वे नियुक्ति से संबंधित प्रमाण-पत्...

बीके मिश्रा, TNN बिहार के एक लाख से ज्यादा प्राथमिक शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। अगर वे नियुक्ति से संबंधित प्रमाण-पत्र जमा नहीं करते हैं तो उनकी नौकरी चली जाएगी। इनकी बहाली पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के जरिए 2006 से 2015 के बीच हुई थी। खतरे में सवा लाख प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने राज्य के सतर्कता विभाग को 2016 में सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र और दस्तावेजों का सत्यापन करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग के पास करीब 3.75 लाख शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच करने की जिम्मेदारी थी। हालांकि, उन्होंने खेद जताया कि सतर्कता विभाग को केवल ढाई लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जा सके। सर्टिफिकेट जमा करने की आखिरी तारीख 20 जुलाई विजय चौधरी के मुताबिक कई बार याद दिलाने के बावजूद शिक्षकों या भर्ती अधिकारियों ने बाकी शिक्षकों के प्रमाण पत्र सतर्कता विभाग को नहीं भेजे। हालांकि, राज्य के शिक्षा विभाग ने एक विशेष ऑनलाइन लिंक बनाया है। इसके जरिए बाकी शिक्षकों को अपने प्रमाणपत्रों की सॉफ्ट कॉपी 20 जुलाई तक जमा करने को कहा गया है। 10-15% शिक्षकों के जाली सर्टिफिकेट- सूत्र शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस बाबत एक अधिसूचना ऐसे शिक्षकों के नाम के साथ जल्द ही समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, तो कानून के अनुसार उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। टीओआई सूत्रों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर 'डिफॉल्टर्स' की भर्ती बाहरी कारणों से की गई है। उनके पास मुकम्मल प्रमाण पत्र नहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि लगभग 10 से 15% शिक्षकों ने कथित तौर पर जाली दस्तावेज जमा किए हैं।
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