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Bihar News : बिहार के नए कांग्रेस अध्यक्ष के लिए रेस शुरू, 'भक्त' को दलित उम्मीदवार की तलाश लेकिन अंतरकलह बो रहा राह में कांटे

पटना: कौन होगा ? आखिर कांग्रेस किस चेहरे पर भरोसा जतानेवाली है? दिल्ली में बैठे हाईकमान की नजर में ऐसा कौन सा नेता है जो इस कुर्सी के लिए...

पटना: कौन होगा ? आखिर कांग्रेस किस चेहरे पर भरोसा जतानेवाली है? दिल्ली में बैठे हाईकमान की नजर में ऐसा कौन सा नेता है जो इस कुर्सी के लिए प्रबल दावेदार है? इन सारे सवालों के जवाब सितंबर-अक्टूबर में मिलने की उम्मीद है। खत्म हो रहा बिहार कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकालबिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कार्यकाल इसी सितंबर तक है। उनके तीन साल पूरे होने से पहले पार्टी ने अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश तेज कर दी है। सूत्रों के मुताबिक राज्य के एआईसीसी प्रभारी भक्त चरण दास इस पद के लिए दलित उम्मीदवार चुनना चाहते हैं। भक्त चरण दास ने लिया फीडबैक सूत्रों ने कहा कि दास ने अपने हालिया पटना दौरे के दौरान पार्टी पदाधिकारियों से संभावित उम्मीदवारों के बारे में फीडबैक लिया। मंगलवार को बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने ट्वीट किया था कि एक महिला को बीपीसीसी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए और पिछड़े, अत्यंत पिछड़े और अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को कार्यकारी अध्यक्षों के चयन में वरीयता दी जानी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया कि 'टीम में एक मुस्लिम और एक अगड़ी जाति का उम्मीदवार भी होना चाहिए।' कौन हो सकता है बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष सूत्रों ने कहा कि अपनी पटना यात्रा के दौरान दास ने नई समिति के बारे में फीडबैक लेने के लिए विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ आमने-सामने की बैठक की थी। सूत्रों ने कहा कि भक्त चरण दास कांग्रेस के कुटुम्बा विधायक राजेश राम के बीपीसीसी अध्यक्ष के पक्ष में लग रहे थे। कांग्रेस एमएलसी प्रेम चंद्र मिश्रा और पार्टी के कदवा विधायक शकील अहमद खान का नाम भी चर्चा में हैं। हालांकि, एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजेश राम पर आम सहमति थी। कुटुम्बा विधायक के नाम पर सहमति- सूत्र राज्य में प्रस्तावित परिवर्तन के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तारिक अनवर ने कहा कि 'दास बिहार के प्रभारी हैं और वह जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपेंगे।" हालांकि, एक अन्य अंदरूनी सूत्र ने कहा कि एक नाम को अंतिम रूप देने में समय लगेगा क्योंकि आलाकमान की तरफ से ही अंतिम मंजूरी दी जाती है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि 'इससे काफी पहले पावर में रहते सीपी जोशी ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अखिलेश सिंह के नाम की सिफारिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल बिहार एकमात्र राज्य है जहां कांग्रेस के अध्यक्ष ब्राह्मण जाति से आते हैं। बिहार में RJD और JDU दोनों ही पार्टियां पिछड़ों की राजनीति करती हैं। इसलिए पिछड़े उम्मीदवार को पेश करना उतना फायदेमंद नहीं हो सकता है।' अध्यक्ष पद से ज्यादा महत्वपूर्ण अंतरकलह निपटानादेखा जाए तो हालिया कई सालों से बिहार कांग्रेस अंतरकलह से जूझती रही है। बिहार कांग्रेस में ये नई बात नहीं है कि प्रदेश अध्यक्ष चाहे जो भी हो, उसके खिलाफ पार्टी में ही एक धड़ा हमेशा सक्रिय रहता है, बस इस धड़े की अगुवाई करने वालों के चेहरे बदल जाते हैं। जाहिर है कि अध्यक्ष पद से ज्यादा कांग्रेस को अंतरकलह की चिंता है। इसीलिए उम्मीदवार के नाम पर पहले से ही एक राय बनाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस के पुराने कैडर छोड़ चुके साथ एक समय में ये कहा जाता था कि बिहार के सवर्ण कांग्रेस के सबसे मजबूत कैडर हैं। लेकिन लालू के साथ 1990 में हाथ मिलाने के बाद ये कैडर तब से ही पार्टी का साथ छोड़ चुका है। सूत्रों के मुताबिक बिहार कांग्रेस में अंदरखाने इस बात की चर्चा भी तेज है कि अध्यक्ष पद पर किसी ऐसे उम्मीदवार को बिठाया जाए जिससे पुराने कैडरों के बीच एक सकारात्मक संदेश जाए।


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