जयपुर जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर (mayor soumya gurjar) और तीन पार्षदों को निलंबित मामले को लेकर जहां बीजेपी गंभीर होती ...

जयपुरजयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर (mayor soumya gurjar) और तीन पार्षदों को निलंबित मामले को लेकर जहां बीजेपी गंभीर होती दिखाई दे रही है। वहीं बीजेपी प्रदेश संगठन ने केंद्र से निर्देश मिलने के बाद अब अनुशासन से समझौते नहीं करने का निर्णय लिया है। अब प्रदेश संगठन की ओर से हर छोटे- बड़े मामलों की रिपोर्ट केंद्र को भेजी जा रही है। ताजा मामला यह है कि राजस्थान बीजेपी ने जयपुर शहर के तीन विधायकों की केंद्रीय संगठन को रिपोर्ट भेजी है। इसमें इन विधायकों द्वारा एक बैठक में शामिल नहीं होने को अनुशासनहीनता में माना है। दरअसल पता चला है कि जयपुर मेयर सौम्या गुर्जर व तीन पार्षदों के निलंबन पर तुरंत बाद बीजेपी की ओर से एक आपात बैठक रात में बुलाई गई थी। इस बैठक की सूचना के समय इन तीनों विधायकों के फोन स्विच ऑफ थे। इनमें कालीचरण सराफ, नरपत सिंह राजवी और अशोक लाहोटी के नाम शामिल हैं। विधायकों ने किया डेमेज कंट्रोलमिली जानकारी के अनुसार पार्टी ने इस घटनाक्रम को अनुशासनहीनता माना है और केंद्रीय आलाकमान को रिपोर्ट भेजकर अवगत करा दिया है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि यह अहम बैठक थी, जिसमें ये तीनों नेता शामिल नहीं हुए , लिहाजा ये रिपोर्ट भिजवाई गई। हालांकि अब जानकारी मिली है कि इन तीनों विधायकों ने संगठन के पदाधिकारियों से मुलाकात करके अपनी उपलब्धता दर्ज कराके मामले को शांत करा दिया है। साथ ही प्रदर्शन व ज्ञापन देने में भूमिका निभाई है। पार्टी के ओर से संदेश - संकेत राजनीति के जानकारों का इस पूरे मामले पर कहना है कि मेयर निलंबन के बाद आपात बैठक बुलाए जाने वाले एपिसोड में केंद्रीय संगठन तक को अनुपस्थित विधायकों की रिपोर्ट भेजने के पीछे का मकसद संदेश देना था। इसके जरिए संगठन ने पूरे प्रदेश में ये संदेश दे दिया है कि अनुशासन हीनता करने वालों के खिलाफ केंद्र को रिपोर्ट करके एक्शन लेने पर पार्टी पीछे नहीं रहेगी। बीजेपी में दो फाड़ के बाद बयानों की तकरार इधर कांग्रेस की तरह की दो खेमों में बंटी नजर आ रही बीजेपी में भी लगातार बयानों की झड़ी जारी है। बीजेपी मुख्यालय के पोस्टर वार पर भी वसुंधरा राजे समर्थक लगातार अपनी नाराजगी जता रहे है। ऐसे में जयपुर के तीन विधायकों की रिपोर्ट बीजेपी आलाकमान को भेजने के पीछे यह भी मकसद बताया जा रहा है कि पार्टी प्रदेश संगठन ऐसे कार्यकर्ता-नेताओं को बर्दाशत करने के मूड में नहीं है। उन्हें इस प्रयास के जरिए भी संकेत दिए जा रहे हैं।
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